ईरान-इजरायल जंग के बीच अमेरिका ने भेजे अपने F16, F22, F35 जैसे लड़ाकू विमान, ट्रंप ने सरेंडर करने का दिया अल्टीमेटम
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के सुप्रीम लीडर से बिना शर्त आत्मसमर्पण करने को कहा है, वहीं अमेरिका ने मध्य पूर्व में अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने का फैसला किया है. अमेरिका F-16, F-22 और F-35 जैसे लड़ाकू विमानों की तैनाती कर रहा है और अपने सैनिकों को संभावित ईरानी हमलों से सुरक्षित रखने के लिए यह कदम उठा रहा है.

Iran Israel War USA: इजरायल और ईरान में जारी जंग के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के सुप्रीम लीडर को बिना शर्त सरेंडर करने के लिए कहा है. उन्होंने ये भी कहा कि अमेरिका का उन्हें मारने का कोई इरादा फिलहाल के लिए नहीं है. साथ ही अमेरिका ने मध्य पूर्व में अपनी सैन्य ताकत को और मजबूत करने का फैसला किया है. अमेरिका वहां अपने कुछ लड़ाकू विमानों की तैनाती बढ़ा रहा है और कुछ अन्य को वहां पर और समय तक तैनात रखेगा. अमेरिका के इस फैसले ने खतरे को और गहरा बना दिया है.
अमेरिकी फाइटर जेट्स की हो रही तैनाती
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका F-16, F-22 और F-35 जैसे आधुनिक लड़ाकू विमानों की मध्य पूर्व में तैनाती कर रहा है. अमेरिका ने कहा कि ये तैनाती पूरी तरह से रक्षा के मकसद से की जा रही है. इन विमानों का इस्तेमाल अब तक ड्रोन और अन्य हमलावर चीजों को मार गिराने के लिए किया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, एक दिन पहले बड़ी संख्या में टैंकर विमानों को यूरोप भेजा गया था और एक को मध्य पूर्व की ओर रवाना किया गया. यह कदम ऐसे वक्त में उठाया गया है जब वहां तनाव अपने चरम पर है.
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने इन तैनातियों पर कहा कि अमेरिका का मकसद अपने सैनिकों को संभावित ईरानी हमलों और वहां मौजूद ईरान समर्थक ताकतों से सुरक्षित रखना है.
हालांकि अमेरिका की इस क्षेत्र में पहले से ही मजबूत उपस्थिति है. करीब 40,000 सैनिक पहले से ही तैनात हैं, जिनके पास अत्याधुनिक हवाई सुरक्षा सिस्टम्स, लड़ाकू विमान और युद्धपोत मौजूद हैं. ये सभी दुश्मन की मिसाइलों को ट्रैक और नष्ट करने में सक्षम हैं.
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ईरान और इजरायल के बीच जंग क्यों छिड़ी
पिछले शुक्रवार इजरायल ने ईरान पर अपना अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला शुरू किया. उसका दावा है कि ईरान एक खतरनाक मुकाम पर पहुंच चुका है और अब वह परमाणु हथियार बनाने की कगार पर है. हालांकि ईरान ने इस बात से इनकार किया है. उसका कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण है.
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