बिहार, झारखंड सहित इन राज्यों के किसान अनुबंध पर करेंगे दाल की खेती, जानें इसके फायदे और मायने

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022 में 27.3 मिलियन टन दलहन का उत्पादन हुआ. लेकिन वित्त वर्ष 2023 में दालों का उत्पादन घटकर 26 मिलियन टन पर रह गया. इस तरह वित्त वर्ष 2024 में 24.5 मिलियन टन रह गया.

सबसे ज्यादा दाल पैदा करने वाले राज्य Image Credit: GettyImages

केंद्र सरकार ने देश में दलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने का फैसला किया है. इसके लिए उसने तमिलनाडु, बिहार, झारखंड और गुजरात सहित कई राज्यों में दलहन की खेती के लिए किसानों से अनुबंध किया है. कहा जा रहा है कि इन राज्यों में किसान अनुबंध पर 1,500 हेक्टेयर जमीन पर अरहर और मसूर की दाल उगाएंगे. सरकार को उम्मीद है कि उसके इस कदम से उन राज्यों को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद मिलेगी.

केंद्र सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को पहले कुछ राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया है. धीरे-धीरे बाकी के अन्य राज्यों में इस पायलट प्रोजेक्ट को विस्तार दिया जाएगा. एक सरकारी अधिकारी ने कहा है कि सरकार उन राज्यों में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए दाल उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने की योजना पर काम कर रहे हैं, जहां किसान पारंपरिक रूप से दालें उगाने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं. खास बात यह है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए किसानों और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) के बीच अनुबंध हुआ है. इस अनुबंध के अनुसार, किसान अपनी जमीन पर अरहर और मसूर उगाएंगे और एजेंसी सरकार के बफर स्टॉक के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) या बाजार मूल्य, जो भी अधिक हो, पर उनकी उपज का एक हिस्सा खरीदेगी.

उत्पादन में गिरावट से बढ़ीं कीमतें

द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारी ने कहा कि इस साल बफर स्टॉक के मुकाबले खरीद की मात्रा ज्यादा नहीं होगी, लेकिन हमें उम्मीद है कि आने वाले सालों में इसमें बढ़ोतरी होगी. क्योंकि तब हम ज्यादा रकबे में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए खेती करने में समर्थ हो जाएंगे. वर्तमान में, पंजीकृत दलहन उत्पादकों की पूरी उपज खरीदने की सरकार की प्रतिबद्धता के बावजूद, सरकारी एजेंसियां निजी खिलाड़ियों द्वारा दी जाने वाली उच्च कीमतों के कारण खरीद लक्ष्य को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि उत्पादन में गिरावट ने कीमतों को बढ़ा दिया है.

अरहर, उड़द, मसूर की होगी खरीद

ऐसे भी देश में दालें पिछले साल से ही काफी महंगी हैं. क्योंकि लगातार दो वर्षों से समय पर बारिश नहीं हो रही है. ऐसे में सरकार को घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए आयात प्रतिबंध हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा. सरकार ने किसानों से वादा किया है कि वे एमएसपी या बाजार मूल्य (जो भी अधिक हो) पर असीमित मात्रा में अरहर, उड़द और मसूर की खरीद करेंगे. बस इसके लिए किसानों को पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा.

देश में घट गया दाल का उत्पादन

हालांकि पिछले कुछ वर्षों में दालों के उत्पादन में गिरावट आई है, जबकि जनसंख्या बढ़ने के कारण इसकी मांग में वृद्धि हुई है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022 में 27.3 मिलियन टन दलहन का उत्पादन हुआ. लेकिन वित्त वर्ष 2023 में दालों का उत्पादन घटकर 26 मिलियन टन पर रह गया. इस तरह वित्त वर्ष 2024 में 24.5 मिलियन टन रह गया.