केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, 31.3 मिलियन टन से ज्यादा खरीदी होने पर भी नहीं करेगी गेहूं का निर्यात, ये है वजह
भारत सरकार ने गेहूं की बेहतर खरीद के बावजूद 2025 में निर्यात न करने का फैसला किया है. सरकार की प्राथमिकता भंडारण को मजबूत करने और राशन वितरण बहाल करने की है. अब तक 19.86 मिलियन टन गेहूं खरीदा जा चुका है. 2024-25 में उत्पादन रिकॉर्ड 115.43 मिलियन टन रहने का अनुमान है.
Wheat export: गेहूं की बंपर खरीद के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. वह इस साल गेहूं का निर्यात नहीं करेगी. भले ही सरकारी खरीद 31.3 मिलियन टन (एमटी) के लक्ष्य से अधिक ही क्यों न हो जाए. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता भंडारण को मजबूत करना और राशन दुकानों के जरिए सामान्य वितरण बहाल करना है. मई 2022 में केंद्र सरकार ने घरेलू उत्पादन में थोड़ी गिरावट और केंद्रीय भंडार के लिए कम खरीद के चलते कीमतों पर काबू पाने के लिए गेहूं निर्यात पर रोक लगा दी थी. हालांकि, भारत ने मानवीय आधार और राजनयिक कारणों से कुछ मित्र देशों को सीमित मात्रा में सरकार से सरकार के अनुरोध पर गेहूं निर्यात जारी रखा.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि हमें पता है कि इस साल गेहूं का उत्पादन और खरीद दोनों बेहतर हैं, लेकिन हमारी पहली प्राथमिकता अभी भी भंडारण को सुरक्षित स्तर तक पहुंचाना है, ताकि जरूरत पड़ने पर खुले बाजार में 6-7 मिलियन टन गेहूं बेचा जा सके. इसके अलावा, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गेहूं और चावल के वितरण में भी फिर से संतुलन बनाने की जरूरत है. पिछले कुछ वर्षों में गेहूं की कम खरीद के कारण कुछ लाभार्थियों को गेहूं की जगह चावल दिया गया था. अधिकारियों के अनुसार, अगर सरकार 2022 की तरह पूरा कोटा वापस बहाल करती है, तो हर साल अतिरिक्त 3.5 से 4 मिलियन टन गेहूं की जरूरत पड़ेगी.
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3 मिलियन टन गेहूं बेचा
सरकार ने 2024-25 में खुले बाजार में नीलामी और सहकारी संस्थाओं को गेहूं देकर करीब 3 मिलियन टन गेहूं बेचा, जबकि 2023-24 में यह बिक्री लगभग 10 मिलियन टन थी. 2021-22 में केंद्र सरकार ने रिकॉर्ड 43.34 मिलियन टन गेहूं खरीदा था. लेकिन इसके बाद से पिछले तीन सालों में खरीद लगातार तय लक्ष्य से कम रही. 2022-23 में सरकार ने 44.4 मिलियन टन के लक्ष्य के मुकाबले सिर्फ 18.79 मिलियन टन गेहूं खरीदा, 2023-24 में 34.15 मिलियन टन के मुकाबले 26.2 मिलियन टन और 2024-25 में 37.3 मिलियन टन के लक्ष्य के मुकाबले 26.61 मिलियन टन ही खरीद पाई.
लेकिन मौजूदा सीजन में सरकार ने 24 अप्रैल तक 19.86 मिलियन टन गेहूं खरीद लिया है, जबकि पिछले साल इसी समय तक 13.58 मिलियन टन ही खरीदा गया था. यानी खरीद में 46 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इस साल 31.27 मिलियन टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया है. कृषि मंत्रालय का अनुमान है कि 2024-25 (जुलाई-जून) में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 115.43 मिलियन टन होगा, जो 2023-24 के 113.29 मिलियन टन से ज्यादा है.
कब कितना हुआ गेहूं का निर्यात
भारत ने 2022-23 में 4.7 मिलियन टन गेहूं का निर्यात किया था, जिसकी कीमत $1.52 बिलियन थी. ये निर्यात उस प्रतिबंध से पहले हुए अनुबंधों के आधार पर किया गया था. लेकिन 2023-24 में यह घटकर सिर्फ 0.19 मिलियन टन रह गया और 2024-25 के अप्रैल से फरवरी तक तो सिर्फ 2,749 टन ही निर्यात हो सका. यह प्रतिबंध तब लगाया गया था जब भारत खुद को एक भरोसेमंद वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित करने की तैयारी कर रहा था. इससे पहले 2021-22 में भारत ने रिकॉर्ड 7.23 मिलियन टन गेहूं का निर्यात किया था, जिसकी कीमत $2.12 बिलियन थी.
आटे की कीमत में 3.6 फीसदी की बढ़ोतरी
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2025 में गेहूं के खुदरा दाम में पिछले साल के मुकाबले 2.5 फीसदी और आटे की कीमत में 3.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 1 से 27 अप्रैल के बीच पूरे देश में गेहूं की औसत खुदरा कीमत 34.34 रुपये प्रति किलो और आटे की 40.17 रुपये प्रति किलो रही.1 अप्रैल तक भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास 11.79 मिलियन टन गेहूं का स्टॉक था, जबकि पिछले साल इसी तारीख को यह 7.5 मिलियन टन था. यह स्टॉक निर्धारित न्यूनतम बफर नॉर्म 7.46 मिलियन टन से काफी ज्यादा है.
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