क्या कोहरे की कमी से खत्म हो जाती है किन्नू की मिठास, आखिर टेंशन में क्यों हैं किसान
रात में सर्दी पड़ रही है, तो दिन में तेज धूप खिल जाती है. इससे फसलों के ऊपर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है. ऐसे में किसान लो-टनल तकनीक का उपयोग करेला, लौकी, तरबूज और खीरा जैसी सब्जियों की खेती कर सकते हैं. इससे मौसम में आए बदलाव का असर नहीं पड़ेगा.

कड़ाके की ठंड ने दस्तक दे दी है. इससे इंसान के साथ-साथ मवेशी भी परेशान हो गए हैं. लेकिन हरियाणा के सरिसा जिले में तापमान बढ़ रहा है. दोपहर को तेज धूप खिलने के चलते सर्दी की बजाय गर्मी का एहसास होता है. अचानक मौसम में आए इस बदलाव का असर रबी फसलों के अलावा किन्नू के बागों पर भी पड़ रहा है. खास कर कोहरे की कमी के कारण किन्नू के फलों की प्राकृतिक चमक और मिठास खत्म हो गई है. इससे किसान टेंशन में आ गए हैं.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, सिरसा जिले में 15,000 एकड़ में किन्नू की खेती है. खास बात यह है कि बागों में किन्नू की कटाई शुरू भी हो गई है. पिछले साल एक किन्नू के पेड़ से करीब एक क्विंटल पैदावार मिली थी, लेकिन इस सीजन में उत्पादन में 30 से 40 फीसदी तक गिरावट आने की संभावना है. हालांकि, उत्पादन और क्वालिटी प्रभावित होने के बावजूद किसानों को मार्केट में अच्छी कीमतें मिल रही हैं. पिछले साल 8 से 12 रुपये प्रति किलो के मुकाबले इस बार किन्नू के रेट बढ़कर 24 से 25 रुपये किलो हो गए हैं. इससे किसानों को थोड़ी राहत मिली है.
सब्जियों पर मिलाजुला असर
जिला बागवानी अधिकारी पुष्पेंद्र सिंह का कहना है कि इस साल कोहरा न पड़ने और ठंड कम होने से किन्नू में मिठास और चमक कम हुई है. हालांकि, अगर जल्द ही कोहरा फिर से आता है, तो किन्नू की क्वालिटी बेहतर हो सकती है. ऐसे में कीमतें भी बढ़ सकती हैं. हालांकि, उनका कहना है कि तापमान में उतार-चढ़ाव का सब्जियों की फसलों पर मिलाजुला असर पड़ा है.
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इन फसलों के लिए मौसम अनुकूल
दो दिन पहले रात का तापमान 3 से 4 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया था, जिससे टमाटर, मिर्च और बैंगन को पाले से नुकसान पहुंचा था. हालांकि, अब स्थिति पहले से बहतर हो गई है. न्यूनतम तापमान अब 7 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 23.2 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया है. आलू, मटर, फूलगोभी, मूली और गाजर जैसी अन्य सब्जियों के लिए मौजूदा मौसम अनुकूल बना हुआ है. इससे कोई खास नुकसान की खबर नहीं है.
किसान ऐसे करें सब्जियों की खेती
पुष्पेंद्र सिंह के अनुसार, किसान लो-टनल तकनीक का उपयोग करके करेला, लौकी, तरबूज और खीरा जैसी शुरुआती बेल वाली सब्जियां उगा सकते हैं. इस तकीक से खेती करने पर फसलों के ऊपर तेज धूप और काड़के की ठंड का असर नहीं पड़ता है. क्योंकि दिन में तेज धूप और रात में कोहरे से बचाने के फसलों को प्लास्टिक शीट से ढक दिया जाता है. इससे अच्छी पैदावार होती है.
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