मानसून ने समय से पहले दी दस्तक, लेकिन अब घट रही बारिश की रफ्तार; क्या होगा असर

भारत में 2025 का मानसून सीजन 23 मई को शुरू हुआ, जो करीब दो दशक में सबसे जल्दी था. शुरुआती तेज बारिश के बाद अब मानसून की रफ्तार धीमी हो गई है. बावजूद इसके रिजर्वायर में भरपूर पानी है और खाद्य महंगाई पर असर अभी तक मामूली रहा है.

मानसून Image Credit: Santiago Urquijo/Open moment/ Getty Images

Monsoon 2025 Slowdown: भारत में साल 2025 का मानसून सीजन समय से 8 दिन पहले 23 मई को केरल तट से टकराकर शुरू हुआ. यह लगभग दो दशकों में मानसून का सबसे जल्दी आगमन था. इसकी शुरुआत चक्रवात ‘शक्ति’ की वजह से हुई, जिससे शुरुआती बारिश अच्छी हुई. लेकिन अब पिछले कुछ दिनों से मानसून की रफ्तार धीमी होती नजर आ रही है. BofA Global Research ने इसपर एक रिपोर्ट जारी की जिसके मुताबिक, 1 जून से 8 जून के बीच देश में सामान्य से 25 फीसदी कम बारिश हुई है. हालांकि, अगर 23 मई से अब तक की कुल बारिश को देखें तो यह सामान्य से 67 फीसदी ज्यादा रही है.

इस बार बांधों में पानी भरपूर

मानसून की शुरुआती बारिश की वजह से देश के रिजर्वायर में पानी का स्टोरेज बेहतर स्थिति में है. इस साल रिजर्वायर में पानी 2024 के मुकाबले लगभग 40 फीसदी ज्यादा है. फिलहाल, कुल स्टोरेज कैपेसिटी का 31 फीसदी हिस्सा भरा हुआ है जो अच्छी बात है. जैसे-जैसे जून और जुलाई में बारिश बढ़ेगी, वैसे-वैसे खेतों में बोआई का काम भी तेज होगा. मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, इस साल बारिश “सामान्य से अधिक” रह सकती है. विभाग ने अनुमान लगाया है कि 89 फीसदी संभावना है कि बारिश सामान्य या उससे अधिक होगी. केवल 11 फीसदी संभावना है कि बारिश सामान्य से कम होगी. ये पिछले सालों की तुलना में कम रिस्क को दर्शाता है.

मानसून क्यों है अहम?

भारत में खेती का बड़ा हिस्सा मानसून पर निर्भर करता है. कुल सालाना बारिश का लगभग 60-65 फीसदी हिस्सा मानसून के दौरान ही आता है. यही बारिश गर्मियों की फसल (खरीफ) के लिए जरूरी होती है, जो देश की कुल कृषि पैदावार का लगभग 60 फीसदी हिस्सा होती है. इसके अलावा, बारिश से नदियों, बांधों और जलाशयों का जलस्तर बढ़ता है, जो देश की जल आपूर्ति के लिए जरूरी है.

खाद्य महंगाई पर असर कम

मानसून का असर खासतौर पर सब्जियों और दूसरे जल्दी खराब होने वाले खानों पर पड़ता है. लेकिन फिलहाल इसकी महंगाई कंट्रोल में है. मार्च में सब्जियों की महंगाई दर साल-दर-साल निगेटिव हो गई थी जो पिछले 22 महीनों में पहली बार हुआ. लंबे समय तक खराब न होने वाले खानों की महंगाई दर भी 4 फीसदी से नीचे है और 2023 की शुरुआत के बाद से धीरे-धीरे कम हो रही है. मई 2025 में सब्जियों के दाम थोड़े बढ़े हैं, लेकिन यह बढ़त सामान्य मौसमी औसत से कम है. इसी वजह से FY26 के लिए रिटेल महंगाई (CPI) का अनुमान 4.1 फीसदी से घटाकर अब 3.8 फीसदी सालाना कर दिया गया है.

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