दुनिया के बुद्धा बेल्ट में बिकेगा भारत का ये खास चावल, गोरखपुर-सिद्धार्थ नगर के किसानों को सीधा फायदा
उत्तर प्रदेश का पारंपरिक काला नमक चावल अब वैश्विक बाजारों में और ज्यादा एक्सपोर्ट होगा. बुद्धा राइस के नाम से मशहूर यह चावल थाईलैंड, वियतनाम, श्रीलंका, जापान, सिंगापुर और नेपाल जैसे देशों में बेचा जाएगा. इसे खास कोटे के तहत एक्सपोर्ट किया जाएगा.

Kala Namak Rice Exports: पूर्वी उत्तर प्रदेश की पारंपरिक धरोहर काला नमक चावल अब वैश्विक बाजारों में नई उड़ान भरने को तैयार है. बुद्धा राइस के नाम से मशहूर काला नमक चावल अब थाईलैंड, वियतनाम, श्रीलंका, जापान, सिंगापुर और नेपाल जैसे देशों में बेचा जाएगा. बाहर इस चावल की डिमांड लगातार बढ़ी है इसका फायदा उठाते हुए यूपी सरकार ने खास कोटे के तहत काला नमक चावल के एक्सपोर्ट को मंजूरी दी है. इससे पूर्वांचल के किसानों को काफी फायदा मिलेगा.
1000 टन तक होगा एक्सपोर्ट
उत्तर प्रदेश के मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने जानकारी दी कि यह चावल अब स्पेशल कोटा के तहत एक्सपोर्ट होगा. केंद्र सरकार ने इस खास किस्म के चावल को लेकर 1000 टन तक के एक्सपोर्ट कोटा की स्वीकृति दी है जबकि पिछले साल भारत में चावल के एक्सपोर्ट पर कई पाबंदियां लगी थी.
इससे पहले 500 टन चावल एक्सपोर्ट के लिए छूट मिली थी जिसके बाद अब तक 500 टन से ज्यादा काला नमक चावल सिंगापुर, नेपाल समेत कई देशों को एक्सपोर्ट किया जा चुका है. यह चावल विशेष रूप से बौद्ध आबादी वाले देशों में बेहद पसंद किया जाता है.
खास है GI टैग प्राप्त काला नमक चावल
काला नमक चावल गैर-बासमती किस्म का पारंपरिक, सुगंधित और पोषक तत्वों से भरपूर चावल है, जिसे खासतौर पर सिद्धार्थनगर जिले में उगाया जाता है. इसके अलावा यह महराजगंज, गोरखपुर, देवरिया, बस्ती, संत कबीर नगर, गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती और कुशीनगर में भी बड़े पैमाने पर उगाया जाता है. इस चावल को GI टैग भी प्राप्त है, जो इसकी खासियत को दर्शाता है.
यूपी के पूर्वांचल में ही इस चावल को उगाया जाता है, इसकी महक को लेकर खास चर्चा होती है.
सरकार ने सिद्धार्थनगर में शिवांश सिद्धार्थनगर एग्रीकल्चर डेवलपमेंट प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड नाम से एक कॉमन फैसिलिटी सेंटर (CFC) बनाया है जिसमें 80% खर्च सरकार करती है. यहां चावल की ग्रेडिंग, पैकेजिंग और बाकी प्रोसेसिंग जैसी सुविधाएं मिलती हैं.
मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, DataIntelo की स्टडी बताती है कि इस चावल का ग्लोबल बाजार 2023 में 30 अरब डॉलर का था जो 2032 तक बढ़कर 45 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है.
बुद्धा राइस का खास देशों से कनेक्शन
इसे बुद्धा चावल इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह चावल गौतम बुद्ध के समय से ही उगाया जा रहा है और इसे बुद्ध का उपहार भी माना जाता है. जिन देशों में इसे एक्सपोर्ट किया जाएगा उन देशों में बुद्ध को मानने वालों की संख्या ज्यादा है, वह एक तरह से पूरा बुद्धा बेल्ट है. उन देशों में इसी चावल की डिमांड ज्यादा है.
सरकार की भी होती है अच्छी कमाई
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2022–23 में बासमती और गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट से 11.14 अरब डॉलर कमाए थे लेकिन फिर प्रतिबंधों के चलते यह आंकड़ा FY24 में घटकर 10.42 अरब डॉलर रह गया. हालांकि, अक्टूबर 2024 में सभी तरह के चावल पर लगी रोक हटने के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 12.47 अरब डॉलर तक पहुंच गया है.
अब इसके एक्सपोर्ट को बढ़ावा देकर सरकार और किसानों दोनों को फायदा पहुंचेगा.
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