गेहूं जमाखोरों के लिए बुरी खबर, सरकार ने स्टॉक लिमिट नियमों में किया बदलाव
केंद्र सरकार ने गेहूं की स्टॉक लिमिट से जुड़े नियमों में बदलाव करते हुए व्यापारियों, रिटेलर्स, प्रोसेसर्स और बड़ी रिटेल चेन्स के लिए नई लिमिट तय की है, जो मार्च 2026 तक प्रभावी रहेगी. इस कदम का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, जमाखोरी पर रोक लगाना और बाजार में कीमतों को स्थिर रखना है. नई नीति के तहत स्टॉक की अधिकतम सीमा तय की गई है.

Wheat stock limit: केंद्र सरकार ने व्यापारियों, थोक विक्रेताओं, रिटेलर्स और बड़ी रिटेल चेन्स पर गेहूं की स्टॉक लिमिट को मार्च 2026 तक बढ़ा दिया है. इसका उद्देश्य खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, जमाखोरी रोकना और सट्टेबाजी पर नियंत्रण पाना है. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, 27 मई 2025 को जारी “द रिमूवल ऑफ लाइसेंसिंग रिक्वायरमेंट्स, स्टॉक लिमिट्स एंड मूवमेंट रिस्ट्रिक्शंस ऑन स्पेसिफाइड फूडस्टफ्स (अमेंडमेंट) ऑर्डर, 2025” के तहत यह प्रावधान 31 मार्च 2026 तक लागू रहेगा.
स्टॉक लिमिट के संशोधित नियम
- थोक व्यापारी और विक्रेता अधिकतम 3,000 टन गेहूं रख सकते हैं.
- रिटेलर्स प्रति आउटलेट 10 टन तक गेहूं रख सकते हैं.
- बड़ी रिटेल चेन्स प्रति आउटलेट 10 टन, लेकिन कुल स्टॉक उनकी आउटलेट्स और गोदामों की संख्या × 10 टन से अधिक नहीं होना चाहिए.
- प्रोसेसर्स अपनी मासिक उत्पादन क्षमता का 70 फीसदी × वित्तीय वर्ष के शेष महीने तक स्टॉक रख सकते हैं.
स्टॉक की जानकारी देना अनिवार्य
सभी गेहूं स्टॉक धारकों को हर शुक्रवार तक अपनी स्थिति https://evegoils.nic.in/wsp/login पर अपडेट करनी होगी. बाद में यह पोर्टल https://foodstock.dfpd.gov.in पर माइग्रेट किया जाएगा.
नियम उल्लंघन पर कार्रवाई
जो संस्थाएं पोर्टल पर पंजीकृत नहीं हैं या स्टॉक लिमिट का उल्लंघन करती हैं, उन पर आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 6 और 7 के तहत कार्रवाई की जाएगी. जिनके पास निर्धारित सीमा से अधिक गेहूं है, उन्हें अधिसूचना के 15 दिनों के भीतर इसे सीमा के अनुरूप करना होगा.
उत्पादन और सरकारी खरीद
2024-25 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में देश में गेहूं का रिकॉर्ड 117.50 मिलियन टन उत्पादन हुआ है. 27 मई 2025 तक सरकार ने राज्य एजेंसियों और FCI के माध्यम से 298.17 लाख टन गेहूं की खरीद की है, जो PDS, OMSS और अन्य योजनाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त है.
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स्टॉक लिमिट बढ़ाने के पीछे का कारण
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के अनुसार, यह कदम गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने और देशभर में इसकी आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है. केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारी कमी पैदा करने वालों पर नजर रखेंगे.
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