अंडमान निकोबार में मानसून की हुई एंट्री, केरल में भी जल्दी आने के संकेत; IMD ने जारी किया अलर्ट
दक्षिण-पश्चिम मानसून ने इस साल समय से पहले अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दक्षिण बंगाल की खाड़ी और दक्षिण अंडमान सागर में दस्तक दे दी है. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने पुष्टि की है कि पिछले दो दिनों में क्षेत्र में बड़े स्तर पर बारिश, तेज दक्षिण-पश्चिमी हवाएं और OLR में गिरावट जैसे मौसमी संकेत मिले हैं.
Monsoon in Andaman Nicobar: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने जानकारी दी है कि इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून ने तय समय से पहले ही अपनी यात्रा शुरू कर दी है. सोमवार को जारी ताजा बुलेटिन के मुताबिक, मानसून दक्षिण बंगाल की खाड़ी, दक्षिण अंडमान सागर, निकोबार द्वीप समूह और उत्तर अंडमान सागर के कुछ हिस्सों तक पहुंच चुका है. यह क्षेत्र में मानसून की आमतौर पर आने वाली तारीख जो कि 18-19 मई है, से लगभग 5-6 दिन पहले की शुरुआत मानी जा रही है. बीते दो दिनों में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में बड़े स्तर पर मध्यम से भारी बारिश दर्ज की गई. मौसम विभाग ने बताया कि इन द्वीपों में कई स्थानों पर भारी बारिश हुई जो मानसून की आगमन की ओर साफ इशारा करता है.
तेज हुई हवाएं
मौसम संबंधी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 48 घंटों में दक्षिण-पश्चिमी हवाएं मजबूत हुईं, जिनकी गति 20 नॉट (लगभग 37 किमी/घंटा) से अधिक रही. ये हवाएं सी लेवल (समुद्र तल) से लगभग 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक देखी गई है. आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन (OLR) में गिरावट देखी गई, जो बादलों की अधिकता और बारिश की स्थिति का संकेत देता है. बताते चले कि OLR यानी आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन वह एनर्जी है जो धरती से अंतरिक्ष की ओर लौटती है. जब आसमान में बादलों की मात्रा अधिक होती है तो यह एनर्जी धरती से बाहर नहीं निकल पाती और OLR के स्तर में गिरावट आती है. यह मानसून की सक्रियता का वैज्ञानिक पैमाना माना जाता है.
मानसून की एंट्री केरल में कब?
IMD के मुताबिक इस साल मानसून 27 मई के आसपास केरल में एंट्री कर सकता है. यह सामान्य तारीख 1 जून से लगभग 5 दिन पहले की स्थिति होगी. अगर यह अनुमान सही बैठता है तो देश के दूसरे हिस्सों में भी मानसून समय से पहले पहुंच सकता है. भारत की कृषि और जल संसाधन व्यवस्था मानसून पर काफी हद तक निर्भर करती है. समय से पहले और सामान्य से बेहतर मानसून का मतलब- बुवाई के समय में सुधार, रिजर्वायर में पर्याप्त जलभराव, बिजली प्रोडक्शन में मदद, फसलों की अच्छी पैदावार होता है.
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