कितने में बनती हैं बुलेटप्रूफ गाड़ियां? जानें क्या है नियम; फीचर्स जानकर दंग रह जाएंगे आप
अक्सर आपने फिल्मों में देखा होगा कि कुछ गाड़ियां ऐसी होती हैं, जिन पर अंधाधुंध गोलीबारी का कोई असर नहीं होता. हालांकि, कई लोग ऐसे भी होते हैं जिनके पास बुलेटप्रूफ गाड़ियां होती हैं. अगर आप भी बुलेटप्रूफ गाड़ी लेना चाहते हैं, तो इसके लिए कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना आवश्यक होता है. साथ ही यह जानना भी बेहद जरूरी है कि इस पर कितना खर्च आता है.

Bulletproof Vehicles: अक्सर कई लोगों को धमकी भरे कॉल आते रहते हैं, विशेषकर उन लोगों को जो बड़े व्यवसायी होते हैं या जिनके पास पर्याप्त संपत्ति होती है. ऐसे में, अपनी जान की सुरक्षा के लिए कई लोग बुलेटप्रूफ गाड़ी खरीदने का विकल्प चुनते हैं. इन गाड़ियों की अपनी खासियत होती है, लेकिन इन्हें हर कोई नहीं खरीद सकता. आइए जानते हैं कि बुलेटप्रूफ गाड़ी बनाने के क्या नियम हैं, इस पर कितना खर्च आता है और किन गाड़ियों को आमतौर पर बुलेटप्रूफ बनवाया जाता है.
क्या होती हैं बुलेटप्रूफ गाड़ियों की विशेषताएं
बुलेटप्रूफ गाड़ियों के शीशे विशेष प्रकार के मजबूत कांच (पॉलीकार्बोनेट लेयर) से बनाए जाते हैं, जो उच्च क्षमता की गोलियों को भी रोक सकते हैं. वहीं, गाड़ी की बॉडी पर लगाई गई बख्तरबंद प्लेटें इसे बम धमाकों से भी सुरक्षित बनाती हैं. यदि टायर पर गोली लगने से वह पंचर हो जाए, तब भी ऐसे विशेष टायर कुछ दूरी तक गाड़ी को बिना रुके चला सकते हैं, जिससे चालक सुरक्षित स्थान तक पहुंच सके.
इन गाड़ियों में जीपीएस ट्रैकिंग, पैनिक बटन और पुलिस से स्वतः संपर्क करने वाली सिस्टम भी होती है, जिससे आपात स्थिति में तुरंत मदद मिल सके.
कितना होता है खर्च
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, किसी भी गाड़ी को बुलेटप्रूफ बनाने की लागत लगभग 10 लाख रुपये से शुरू होकर 25 लाख रुपये तक जाती है. यह लागत इस पर निर्भर करती है कि कौन-से उपकरण और सेफ्टी फीचर्स लगाए जा रहे हैं तथा वाहन का प्रकार क्या है.
बुलेटप्रूफ ग्लास (30 मिमी से 40 मिमी मोटा) की कीमत 7 लाख रुपये से अधिक होती है, जबकि विशेष टायरों की कीमत 2 से 5 लाख रुपये तक होती है क्योंकि ये टायर आमतौर पर जर्मनी से आयात किए जाते हैं. वहीं, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया और यूनाइटेड किंगडम से इम्पोर्टेड बख्तरबंद स्टील की कीमत लगभग 7 डॉलर प्रति किलोग्राम होती है. एक गाड़ी को बुलेटप्रूफ बनाने के लिए लगभग एक टन स्टील की आवश्यकता पड़ती है.
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बुलेटप्रूफिंग के कितने प्रकार होते हैं
बुलेटप्रूफिंग के कुल चार स्तर होते हैं:
- स्तर-1 और स्तर-2: ये सामान्य पिस्तौल जैसे छोटे हथियारों की गोलियों से सुरक्षा देते हैं.
- स्तर-3: यह AK-47, SLR जैसी राइफल्स की गोलियों को रोकने में सक्षम होता है.
- स्तर-4: यह सबसे उच्च सुरक्षा स्तर होता है, जो आर्मर-पियर्सिंग गोलियों से भी सुरक्षा प्रदान करता है. ऐसे गोलों का इस्तेमाल सामान्यतः सैन्य अभियानों में किया जाता है.
क्या हैं इसके नियम
बुलेटप्रूफ गाड़ी बनवाने के लिए संबंधित जिले के जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और गृह मंत्रालय से अनुमति लेनी आवश्यक होती है. इस अनुमति के बिना आप अपनी सामान्य गाड़ी को बुलेटप्रूफ नहीं करवा सकते.
भारत में आमतौर पर जिन गाड़ियों को बुलेटप्रूफ बनवाया जाता है, उनमें टाटा सफारी, महिंद्रा स्कॉर्पियो, मित्सुबिशी पजेरो, टोयोटा इनोवा, फोर्ड एंडेवर, टोयोटा फॉर्च्यूनर, बीएमडब्ल्यू, ऑडी जैसी एसयूवी शामिल हैं.
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