हाइड्रोजन से चलने वाली गाड़ियों की नंबर प्लेट का अलग होगा रंग, सरकार ने जारी किया ड्राफ्ट नोटिफिकेशन

भारत सरकार ने हाइड्रोजन से चलने वाले वाहनों के लिए अलग-अलग रंग की नंबर प्लेट का प्रस्ताव दिया है, जिससे इन पर्यावरण मित्र वाहनों की पहचान आसान हो सकेगी. जानिए प्राइवेट, कमर्शियल और कैब व्हीकल्स के लिए क्या होंगे रंग और भारत में इन वाहनों की मौजूदा स्थिति क्या है.

हाइड्रोजन व्हीकल और नंबर प्लेट Image Credit: @Money9live

Hydrogen Vehicle Number Plate Color: केंद्र सरकार की ओर से हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाले वाहनों के लिए एक खास नंबर प्लेट की व्यवस्था का प्रस्ताव दिया गया है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने शुक्रवार को एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर यह जानकारी दी. इस प्रस्ताव के तहत अब हाइड्रोजन वाहनों की पहचान के लिए विशेष रंगों वाली नंबर प्लेट्स इस्तेमाल की जाएंगी.

कैसा होना चाहिए नंबर प्लेट?

मंत्रालय के प्रस्ताव के मुताबिक, अगर वाहन हाइड्रोजन से चलने वाला कमर्शियल व्हीकल है, तो उसकी नंबर प्लेट के ऊपरी हिस्से का रंग हरा और निचला हिस्सा नीला होगा. जबकि उस पर पीले रंग में नंबर लिखे जाएंगे. वहीं, अगर व्हीकल प्राइवेट इस्तेमाल के लिए है, तो नंबर प्लेट का ऊपरी हिस्सा हरा और निचला हिस्सा नीला रहेगा. इससे इतर, उस पर सफेद रंग में नंबर लिखे जाएंगे.

वहीं, अगर व्हीकल किराए की कैब (ऑन रेंट टैक्सी) है, तो नंबर प्लेट का ऊपरी हिस्सा काला और निचला हिस्सा नीला होगा. उसके लिखे हुए नंबर पीले रंग में होंगे. मंत्रालय ने इसके लिए सुझाव और आपत्तियां मंगाई हैं, जिसके बाद इसे लागू किया जा सकता है. इसी कड़ी में आइए जानते हैं कि हाइड्रोजन फ्यूल व्हीकल असल में होते क्या हैं.

हाइड्रोजन फ्यूल व्हीकल क्या होते हैं?

हाइड्रोजन से चलने वाले वाहन ऐसे होते हैं जो पारंपरिक पेट्रोल-डीजल की जगह हाइड्रोजन गैस का इस्तेमाल करते हैं. इन्हें फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल (FCEV) भी कहा जाता है. ये गाड़ियां बिजली पैदा करने के लिए हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के रासायनिक प्रतिक्रिया का इस्तेमाल करती हैं और सिर्फ पानी को एमिशन के तौर पर छोड़ती हैं. इसका मतलब है कि इन गाड़ियों की मदद से प्रदूषण लगभग ना के बराबर होता है.

भारत में हाइड्रोजन फ्यूल गाड़ियों की क्या है स्थिति?

भारत में फिलहाल हाइड्रोजन फ्यूल वाली गाड़ियों की संख्या बहुत कम है. कुछ चुनिंदा ऑटो कंपनियों जैसे टाटा मोटर्स और टोयोटा ने इस पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. वहीं सरकार ने नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत 2047 तक क्लीन एनर्जी से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देने का टारगेट रखा है. इस कदम से भारत में हाइड्रोजन वाहनों की पहचान और ट्रैकिंग आसान हो सकेगी, साथ ही शहर सहित लोगों को प्रदूषण से बड़े स्तर पर राहत भी मिलेगी.

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