अनिल अंबानी की कंपनी पर हजारों करोड़ के हेरफेर का आरोप, वकील ने SBI को लिखी चिट्ठी; जानें- पूरा मामला

Anil Ambani-SBI: रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) ने बुधवार को शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा कि SBI 2016 के एक मामले में कथित तौर पर पैसा दूसरी जगह भेजने का हवाला देते हुए उसके कर्ज खाते को धोखाधड़ी के रूप में कैटेगराइज्ड कर रहा है.

क्या बढ़ने वाली है अनिल अंबानी के लिए मुश्किलें. Image Credit: Getty image

Anil Ambani-SBI: उद्योगपति अनिल अंबानी के वकील ने दिवालिया हो चुकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) के लोन अकाउंट को फ्रॉड के रूप में कैटेगराइज्ड करने का विरोध करते हुए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को पत्र लिखा है. बुधवार 2 जुलाई को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि SBI के इस कदम ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिशानिर्देशों के साथ अदालती निर्देशों का भी उल्लंघन किया है. रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) ने बुधवार को शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा कि SBI 2016 के एक मामले में कथित तौर पर पैसा दूसरी जगह भेजने का हवाला देते हुए उसके कर्ज खाते को धोखाधड़ी के रूप में कैटेगराइज्ड कर रहा है.

‘बैंक का फैसला एकतरफा’

अनिल अंबानी के वकील ने कहा कि SBI का RCOM के लोन अकाउंट को धोखाधड़ी वाला बताने का आदेश चौंकाने वाला एवं एकतरफा है और यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का भी उल्लंघन करता है. वकील ने कहा कि SBI का आदेश हाई कोर्ट और मुंबई उच्च न्यायालय के विभिन्न फैसलों के साथ RBI के दिशानिर्देशों का सीधा उल्लंघन है.

पत्र में वकील ने कहा कि SBI ने कारण बताओ नोटिस की अमान्यता के बारे में अंबानी के कॉम्युनिकेशन का लगभग एक साल तक जवाब नहीं दिया है. वकील ने कहा कि SBI ने अंबानी को अपने आरोपों के खिलाफ दलीलें पेश करने के लिए व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि अंबानी कानूनी सलाह के अनुरूप मामले को आगे बढ़ा रहे हैं.

SBI का क्या है आरोप?

SBI ने बताया कि रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसके पूर्व निदेशक अनिल अंबानी को भेजे गए पत्र में लोन अकाउंट को ‘फ्रॉड’ के रूप में दर्ज करने की बात कही है. लेटर में लिखा है कि बैंक ने कंपनी के लोन अकाउंट को ‘फ्रॉड’ के रूप में दर्ज करने और RBI के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार अनिल अंबानी का नाम केंद्रीय बैंक को रिपोर्ट करने का फैसला किया है.

RBI के दिशानिर्देशों के अनुसार, जब कोई बैंक किसी खाते को ‘फ्रॉड’ के रूप में कैटेगराइज्ड करता है, तो उसे धोखाधड़ी का पता चलने के 21 दिन के भीतर RBI को इसकी सूचना देनी चाहिए और मामले की सूचना सीबीआई/पुलिस को भी देनी चाहिए.

सूचना के अनुसार, रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसकी सब्सिडियरी कंपनियों को बैंकों से कुल 31,580 करोड़ रुपये का कर्ज मिला था. रिलायंस कम्युनिकेशन फिलहाल लिक्विडेशन प्रोसिडिंग से गुजर रही है.

क्या अनिल अंबानी को नहीं मिलेगा कर्ज?

RBI के दिशानिर्देशों के अनुसार, दंडात्मक प्रावधान, कंपनी के प्रमोटर डायरेक्टर और अन्य फुल टाइम डायरेक्टर सहित धोखाधड़ी करने वाले उधारकर्ता पर लागू होते हैं. विशेष रूप से जिन उधारकर्ताओं ने लोन नहीं चुकाया है तथा खाते में धोखाधड़ी भी की है, उन्हें धोखाधड़ी की गई राशि के पूर्ण भुगतान की तारीख से पांच वर्ष की अवधि के लिए बैंकों, डेवलपमेंट फाइनेंस संस्थानों, सरकारी स्वामित्व वाली एनबीएफसी आदि से फंड प्राप्त करने पर रोक लगा दी जाएगी.

कर्ज के पैसे का इस्तेमाल

धोखाधड़ी पहचान समिति की रिपोर्ट के अनुसार, कुल कर्ज में से 13,667.73 करोड़ रुपये यानी करीब 44 फीसदी का उपयोग कर्ज और अन्य दायित्वों के रीपेमेंट में किया गया. कुल डेट का 41 फीसदी यानी 12,692.31 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग संबंधित पक्षों को भुगतान करने के लिए किया गया.

शेयर बाजार को दी गई सूचना में बताया गया कि 6,265.85 करोड़ रुपये का उपयोग अन्य बैंक कर्ज को चुकाने के लिए किया गया और 5,501.56 करोड़ रुपये का भुगतान संबंधित या जुड़े पक्षों को किया गया, जो स्वीकृत उद्देश्यों से जुड़े नहीं थे.

पैसों का ट्रांसफर

इसके अलावा, देना बैंक से 250 करोड़ रुपये के कर्ज (जो वैधानिक बकाया के लिए था) का इस्तेमाल स्वीकृत उपयोग के अनुरूप नहीं किया गया. लोन को रिलायंस कम्युनिकेशन समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को इंटर-कॉरपोरेट डिपॉजिट (ICD) के रूप में ट्रांसफर कर दिया गया और बाद में दावा किया गया कि इसका उपयोग एक्सटर्नल कमर्शियल डेट चुकाने के लिए किया गया है.

कर्ज और भुगतान

समिति ने पाया कि कैपिटल एक्सपेंडिचर को पूरा करने के लिए आईआईएफसीएल द्वारा 248 करोड़ रुपये का लोन स्वीकृत किया गया था, लेकिन कंपनी ने कर्ज चुकाने के लिए रिलायंस इन्फ्राटेल लिमिटेड को 63 करोड़ रुपये और आरआईईएल को 77 करोड़ रुपये का भुगतान किया.

रिपोर्ट में कहा गया कि इन कंपनियों को सीधे फंड का ट्रांसफर करने के बजाय इसे आरसीआईएल के जरिए भेजा गया, इसका कारण प्रबंधन या अनिल अंबानी की ओर से नहीं बताया गया है. ये (देना बैंक और आईआईएफसीएल कर्ज का उपयोग) फंड का दुरुपयोग और विश्वासघात प्रतीत होता है.

रिपोर्ट कहती है कि आरकॉम, आरआईटीएल और आरटीएल ने कुल 41,863.32 करोड़ रुपये के इंटर-कॉरपोरेट डिपॉजिट लेनदेन किए, जिनमें से केवल 28,421.61 करोड़ रुपये के उपयोग की सही जानकारी उपलब्ध है.

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