ऑर्डर का बादशाह कौन, अनिल अंबानी की रिलायंस या पारस डिफेंस, किसमें हैं कमाई का दम, देखें रिकॉर्ड
भारत सरकार के सैन्य क्षेत्र को मजबूत किए जाने के मकसद से डिफेंस से जुड़ी कंपनियों को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसी के चलते डिफेंस सेक्टर से जुड़ी कई कंपनियों की चांदी हो रही है. इन्हीं में अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस और एक अन्य कंपनी पारस डिफेंस भी शामिल है. ताे हाल ही में किन-किन कंपनियों से इनकी डील हुई फाइनल, चेक करें डिटेल.
Reliance Defence vs Paras Defence & Space Technologies: भारत के डिफेंस सेक्टर में इन-दिनों ग्रोथ की काफी संभावनाएं हैं. सरकार की ओर से इसे बढ़ावा दिए जाने से डिफेंस कंपनियों को और बल मिला है. विकास की इन्हीं संभावनाओं के चलते देश की दो दिग्गज कंपनियों, रिलायंस डिफेंस और पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज को धड़ाधड़ नए ऑर्डर मिल रहे हैं. इससे एक तरफ जहां अनिल अंबानी का डिफेंस सेक्टर में दबदबा बन रहा है. वहीं पारस डिफेंस की साख रक्षा क्षेत्र में मजबूत हो रही है. तो दोनों कंपनियों में ऑर्डर के मामले में किसका पलड़ा है भारी और किसके फाइनेंशियल स्थिति में है दम, आइए समझते हैं.
क्यों सुर्खियों में दोनों कंपनियां?
अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सहायक कंपनी रिलायंस डिफेंस जहां अपने मेगा प्रोजेक्ट की वजह से सुर्खियों में है, तो वहीं पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज (PDST) अपनी मजबूत उपस्थिति और महत्वाकांक्षी योजनाओं के साथ सुर्खियां बटोर रही हैं. पारस डिफेंस ने वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में शानदार मुनाफा दर्ज किया, जबकि रिलायंस डिफेंस अपने 10,000 करोड़ रुपये के धीरूभाई अंबानी डिफेंस सिटी (DADC) प्रोजेक्ट के साथ भारत को रक्षा विनिर्माण का ग्लोबल हब बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. ये दोनों कंपनियां न केवल स्वदेशी प्रोडक्शन को बढ़ावा दे रही हैं, बल्कि वैश्विक बाजार में भी भारत के मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट का झंडा बुलंद कर रही हैं.
अनिल अंबानी की कंपनी का मेगा प्रोजेक्ट पर फोकस
रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की सहायक कंपनी रिलायंस डिफेंस रत्नागिरी, महाराष्ट्र में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से धीरूभाई अंबानी डिफेंस सिटी (DADC) बना रही है. यह 1,000 एकड़ का ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट वटाड इंडस्ट्रियल एरिया में है. ये विस्फोटक, गोला-बारूद और छोटे हथियारों के उत्पादन पर फोकस करेगा.
इन विदेशी कंपनियों से हुई डील
रिलायंस ने जर्मनी की राइनमेटल AG और डाइडल डिफेंस जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी की है, ताकि 155mm आर्टिलरी शेल्स और प्रेसिजन-गाइडेड मुनिशन्स का उत्पादन किया जा सके. ऐसे में रिलायंस इंफ्रा का लक्ष्य अगले दो वर्षों में 155mm गोला-बारूद के निर्यात से 3,000 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल करना है. रिलायंस ने पहले ही चार तरह के नए-जेनरेशन 155mm आर्टिलरी गोला-बारूद डिजाइन और विकसित किए हैं. इसके अलावा अनिल अंबानी की कंपनी ने फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (DRAL) से भी फाल्कन जेट के लिए डील की है.
फाइनेंशियल ग्राफ
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सहायक कंपनी रिलायंस डिफेंस ने जर्मन रक्षा फर्म से गोला-बारूद के लिए 600 करोड़ रुपये का निर्यात ऑर्डर हासिल किया है. आउटलुक बिजनेस की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2025 की चौथी तिमाही में रिलायंस इंफ्रा का कंसॉलिडेटेड रेवेन्यू ₹4387.08 करोड़ तक पहुंच गया. (यहां रिलायंस डिफेंस का रेवेन्यू अलग से नहीं बताया गया है). मगर रिलायंस डिफेंस Diehl के साथ हुई डील के जरिए 10,000 करोड़ रुपये का रेवेन्यू जनरेट करने की सोच रही है.
पारस डिफेंस ने हासिल किए ये प्रोजेक्ट
- पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज का लक्ष्य FY27 तक टॉप-5 ड्रोन कंपनियों में शामिल होना है.
- HAL, ISRO, DRDO, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, गोदरेज, टाटा पावर और एल्बिट सिस्टम्स जैसे इसके बड़े क्लाइंट्स हैं.
- कंपनी ने जनवरी 2025 में MK-46 और MK-48 बेल्ट-फेड लाइट मशीन गन्स के प्रोडक्शन के लिए लाइसेंस भी हासिल किया है, जिसमें प्रति वर्ष 6,000 यूनिट्स की क्षमता है.
कैसा रहा वित्तीय प्रदर्शन?
पारस डिफेंस, जो डिफेंस और स्पेस ऑप्टिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, हैवी इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स प्रोटेक्शन सॉल्यूशंस में महारथ रखती है, इसने FY25 की चौथी तिमाही में मुनाफे में जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की. इक्विटी मास्टर की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी का 2025 की चौथी तिमाही में रेवेन्यू साल दर साल आधार पर 36% बढ़कर 1,082 मिलियन रुपये हो गया. शुद्ध लाभ में 117% की वृद्धि हुई और यह 208 मिलियन रुपये रहा.
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कितना है ऑर्डर बुक?
कंपनी की ऑर्डर बुक 31 मार्च 2025 तक 900 करोड़ रुपये से ज्यादा थी, अब प्रबंधन इसे 1,500-2,000 करोड़ रुपये तक ले जाने का लक्ष्य रखता है.
क्या है दोनों कंपनियों का टारगेट?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रिलायंस डिफेंस ने 2029 तक भारतीय रक्षा निर्यात में 50,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है, जो सरकार के व्यापक लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए और राइनमेटल एजी और डाइहल डिफेंस से मिले ऑर्डर को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है, वहीं पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज लिमिटेड को उम्मीद है कि मौजूदा भू-राजनीतिक तनाव और अनिश्चितताओं के बीच अगले एक साल में इसकी ऑर्डर बुक 2,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी.