शेयरखान से जुड़ा ‘ऑप्शंस क्वीन’ का नाम, 29 साल पुरानी इस कंपनी पर क्यों लगा ये दाग!
ऑनलाइन ट्रेडिंग कंपनी शेयरखान के साथ अस्मिता पटेल का नाम जुड़ रहा है. इन-दिनों वह सेबी के शिकंजे में हैं. उन पर निवेशकों को गुमराह करने और फ्रॉड का आरोप है. तो शेयरखान से क्या है अस्मिता का कनेक्शन जानें पूरी डिटेल.
Mirae Asset Sharekhan-Asmita Patel controversy: भारत में ऑनलाइन ट्रेडिंग की दुनिया में मिरै एसेट शेयरखान एक जाना-माना नाम है, लेकिन इन-दिनों ये दूसरी वजह से सुर्खियों में हैं. दरअसल शी वुल्फ ऑफ स्टॉक मार्केट (She Wolf) और ऑप्शंस क्वीन (Options Queen) के नाम से चर्चित अस्मिता पटेल का नाम इस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से जुड़ रहा है. बताया जाता है कि अस्मिता शेयरखान की अथॉराइज्ड पर्सन (AP) रह चुकी हैं. उन पर निवेशकों को बरगलाने और फ्राॅड को लेकर अभी जांच चल रही है. इस सिलसिले में उन्हें सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने घेर लिया है.
अस्मिता पटेल ग्लोबल स्कूल ऑफ ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड (APGST) की निदेशक हैं. वो दावा करती थीं कि जो भी उनके स्कूल में आकर पढ़ाई करेगा, वो शेयर बाजार से मोटी कमाई कर सकेगा. मगर उनके इन झूठे दांवों से निवेशकों को गुमराह करने के आरोप में उनके खिलाफ सेबी सख्त रवैया अपना रही है. जांच में पाया गया कि अस्मिता उस समय शेयरखान की ऑथराइज्ड पर्सन यानी AP थीं, जब उन पर अवैध निवेश सलाहकार संस्था चलाने के लिए जांच चल रही थी.
नोटिस जारी कर जब्त किए 54 करोड़
SEBI ने 6 फरवरी, 2025 के आदेश में एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और एपीजीएसटी, उसके निदेशकों और अन्य संबंधित संस्थाओं से लगभग 54 करोड़ रुपये जब्त किए गए. उन पर आरोप है कि वो शैक्षिक गतिविधियों की आड़ में अवैध निवेश की सलाह दे रही हैं. आदेश में नियामक ने कहा है कि अस्मिता पटेल, जो ट्रेडिंग स्कूल के निदेशकों में से एक थी और शेयरखान की एपी थी, वजह छात्रों को ब्रोकरेज के साथ खाता खोलने के लिए कह रही थीं.
ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ने कही ये बात
अस्मिता पटेल का नाम शेयरखान से जोड़े जाने पर ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ने भी अपना बयान दिया है. मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में शेयरखान ने कहा कि अस्मिता पटेल अब कंपनी के साथ एपी नहीं हैं. कंपनी ऐसे व्यापारिक साझेदारों के साथ नहीं जुड़ती है जो इस तरह की अनैतिक गतिविधियों में शामिल होते हैं. यह हमारी नीतियों के खिलाफ है. कंपनी अपने एपी को नियमों और ग्राहक सुरक्षा के बारे में निरंतर शिक्षित करते हैं, क्योंकि कंपनी और उससे जुड़े लोगों की जिम्मेदारी निवेशकों की सुरक्षा का ध्यान रखना है.
क्यों उलझा है मामला?
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक जब अस्मिता पटेल के ट्रेडिंग स्कूल के खिलाफ जारी 6 फरवरी के आदेश में ब्रोकरेज की पहचान नहीं की गई है, इसे केवल एबीसी लिमिटेड के रूप में नामित किया गया है. हालांकि मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मामला यहां उलझा नजर आता है . ओवरलैप्स से पता चला कि अस्मिता उस वक्त शेयरखान की एपी थीं थी जब वह जांच के दायरे में थीं. क्योंकि 6 फरवरी के आदेश में 26 अगस्त 2019 और 31 अक्टूबर 2023 के बीच की अवधि की जांच की गई और नोट किया गया कि पटेल 2016 से ब्रोकरेज की एपी थी, हालांकि मनी9 लाइव इन तथ्यों की किसी तरह की पुष्टि नहीं करता है.
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कब हुई थी शेयरखान की शुरुआत?
शेयरखान की शुरुआत साल 1995 में हुई थी. उस वक्त भारत में शेयर बाजार के प्रति आम लोगों की जागरूकता और निवेश की आदतें बहुत कम थीं. यह प्लेटफॉर्म बड़े निवेशकों के अलावा छोटे निवेशकों को भी शेयर बाजार में अवसर प्रदान करने के लिए लॉन्च किया था. इसकी नींव श्रीपाल मोरखिया ने रखी थी. मगर शुरुआत के एक साल में ही कंपनी के हालात बिगड़ गए थे, लेकिन मोरखिया ने हार नहीं मानी और मजबूत रणनीति बनाई. नतीजतन 2003 में कंपनी ने कमबैक किया. वर्तमान में यह 31 लाख से ज्यादा ग्राहकों का विश्वास जीत चुका है और 1100 से ज्यादा शहरों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है.