कर्ज के साए में बांग्लादेश! $104 अरब के बोझ से डगमगा रही अर्थव्यवस्था, निर्यात कमाई का 16% भुगतान में खर्च

वैश्विक अनिश्चितता और घरेलू दबावों के बीच एक पड़ोसी देश की आर्थिक तस्वीर तेजी से बदल रही है. आंकड़े इशारा कर रहे हैं कि वित्तीय संतुलन बनाए रखना अब पहले जितना आसान नहीं रहा. बढ़ते दायित्व, घटती राहत और सख्त फैसलों के संकेत क्या बताते हैं.

कर्ज के साए में बांग्लादेश! Image Credit: Freepik

बांग्लादेश इन दिनों सिर्फ राजनीतिक या सामाजिक वजहों से नहीं, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी दबाव में है. महंगाई भले ही घटी है पर डॉलर की कमी, विदेशी मुद्रा भंडार पर तनाव और IMF की सख्त शर्तों के बीच अब देश के बढ़ते कर्ज ने चिंता और गहरी कर दी है. जो अर्थव्यवस्था कुछ साल पहले तक तेज ग्रोथ की मिसाल दी जाती थी, वही अब यह सवाल खड़ा कर रही है कि क्या बांग्लादेश अपने कर्ज का बोझ बिना झटके के संभाल पाएगा.

बांग्लादेश पर कितना कर्ज है?

वर्ल्ड बैंक की International Debt Report 2025 के मुताबिक, 2024 के अंत तक बांग्लादेश पर कुल बाहरी कर्ज करीब 104 अरब डॉलर (9360 अरब रुपये) था. यह रकम सिर्फ सरकार ही नहीं, बल्कि सरकारी गारंटी वाली संस्थाओं और निजी सेक्टर की विदेशी देनदारियों को मिलाकर बनती है.

हालांकि ताजा आंकड़े बताते हैं कि 2025 के मध्य तक यह बाहरी कर्ज बढ़कर 113 अरब डॉलर से ज्यादा हो चुका है, यानी दबाव कम होने के बजाय और बढ़ा है.

GDP के मुकाबले कर्ज कितना भारी?

अगर कर्ज को देश की अर्थव्यवस्था के आकार से जोड़कर देखा जाए तो तस्वीर थोड़ी अलग दिखती है. अलग-अलग स्रोतों के मुताबिक बांग्लादेश का Debt-to-GDP Ratio करीब 39 फीसदी के आसपास है. यह अनुपात अपने आप में बहुत खतरनाक नहीं माना जाता, लेकिन समस्या यहीं से शुरू होती है कि बांग्लादेश की कमाई और विदेशी मुद्रा प्रवाह इस कर्ज को संभालने के लिए पर्याप्त रफ्तार से नहीं बढ़ रहे.

सबसे बड़ा खतरा उस आंकड़े से झलकता है, जहां बांग्लादेश का बाहरी कर्ज उसकी कुल निर्यात आय से लगभग दोगुना हो चुका है. आसान शब्दों में कहें तो देश जितना सामान बाहर बेचकर कमाता है, उसके मुकाबले उस पर विदेशी कर्ज कहीं ज्यादा है. इसका मतलब यह है कि अगर वैश्विक बाजार में झटका लगा, कपड़ा निर्यात घटा या डॉलर की आमद कम हुई, तो कर्ज चुकाने का दबाव अचानक बहुत बढ़ सकता है.

हर साल कितना पैसा सिर्फ कर्ज चुकाने में जा रहा है?

रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश अपनी निर्यात कमाई का करीब 16 फीसदी हिस्सा सिर्फ कर्ज की किस्त और ब्याज चुकाने में खर्च कर रहा है. यह पैसा ऐसा नहीं है जिसे विकास, रोजगार या सामाजिक योजनाओं में लगाया जा सके. यही वजह है कि सरकार को सब्सिडी घटाने, टैक्स बढ़ाने और खर्चों पर कटौती जैसे मुश्किल फैसले लेने पड़ रहे हैं.

कर्ज आया कहां से और मौजूदा हालात क्यों बना रहे हैं दबाव?

बांग्लादेश का ज्यादातर बाहरी कर्ज वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) और दूसरे बहुपक्षीय संस्थानों से लिया गया है. इसके अलावा चीन और कुछ अन्य देशों से लिए गए द्विपक्षीय कर्ज भी इसमें शामिल हैं. बीते वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर, बिजली परियोजनाओं और विकास योजनाओं के लिए बड़े पैमाने पर उधारी ली गई, लेकिन अब जब वैश्विक ब्याज दरें ऊंची हैं, वही कर्ज महंगा साबित हो रहा है.

एक नजर में स्थिति:

विवरण2024
कुल बाहरी कर्ज स्टॉक104,487
बाहरी कर्ज स्टॉक (% के रूप में)
निर्यात के मुकाबले192%
सकल राष्ट्रीय आय (GNI) के मुकाबले22%
कर्ज सेवा (% के रूप में)
निर्यात के मुकाबले16%
सकल राष्ट्रीय आय (GNI) के मुकाबले2%
शुद्ध वित्तीय प्रवाह (कर्ज और इक्विटी)7,095
शुद्ध कर्ज प्रवाह5,769
शुद्ध इक्विटी प्रवाह1,326
सकल राष्ट्रीय आय (GNI)469,503
जनसंख्या (मिलियन में)174
(आंकड़े: मिलियन अमेरिकी डॉलर में)

बांग्लादेश इस समय कई मोर्चों पर एक साथ जूझ रहा है. एक तरफ विदेशी मुद्रा भंडार घटा है, दूसरी तरफ आयात का बिल महंगा बना हुआ है. IMF से मिले पैकेज के तहत सरकार को सख्त आर्थिक सुधार करने पड़ रहे हैं, जिससे आम लोगों पर महंगाई का असर साफ दिख रहा है. इन हालात में बढ़ता कर्ज अर्थव्यवस्था के लिए एक अतिरिक्त जोखिम बनकर खड़ा है.

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अर्थशास्त्रियों का मानना है कि बांग्लादेश अभी कर्ज संकट में नहीं है, लेकिन खतरे के संकेत साफ दिखाई दे रहे हैं. अगर निर्यात नहीं बढ़ा, डॉलर की आमद नहीं सुधरी और आर्थिक सुधारों की रफ्तार धीमी रही, तो आने वाले वर्षों में कर्ज संभालना मुश्किल हो सकता है.

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