Crude Price Crash! JP Morgan का बड़ा दावा, FY27 तक 30 डॉलर प्रति बैरल तक गिर सकता है क्रूड का दाम
JP Morgan के मुताबिक FY27 के अंत तक ब्रेंड क्रूड 30 डॉलर प्रति डॉलर से नीचे फिसल सकता है. नॉन OPEC प्लस सप्लाई, ऑफशोर और शेल प्रोडक्शन, बढ़ती इन्वेंटरी और कमजोर डिमांड-सप्लाई बैलेंस कीमतों को नीचे धकेल रहे हैं. ऐसी स्थिति भारत के लिए इंपोर्ट बिल, महंगाई और फिस्कल साइड पर बड़ी राहत ला सकती है. जून में ऐसा ही दावा S&P Global ने भी किया था.
कच्चे तेल के दाम भारत की इकोनॉमी से लेकर आम आदमी की जेब तक सीधा असर डालते हैं. JP Morgan की एक रिपोर्ट बता रही है कि ग्लोबल मार्केट में तैयार होता सप्लाई गैप क्रूड की कीमतों को FY27 के अंत तक 30 डॉलर प्रति बैरल तक धकेल सकता है. इससे पहले जून में S&P Global ने भी इस तरह का अनुमान जताते हुए कहा था कि यह भारत के लिए बड़ी राहत का संकेत है.
डिमांड से ज्यादा सप्लाई
JP Morgan के मुताबिक 2025 में ग्लोबल ऑयल डिमांड 0.9 mbd बढ़कर 105.5 mbd तक पहुंचने का अनुमान है. 2026 में यह स्थिर रहेगी और 2027 में 1.2 mbd की तेज ग्रोथ दिखेगी. लेकिन बड़ी समस्या यह है कि 2025 और 2026 में सप्लाई डिमांड से करीब तीन गुना तेजी से बढ़ने वाली है. 2027 में यह गति भले घटे, लेकिन ओवरसप्लाई खत्म नहीं होगी.
नॉन OPEC प्लस से भारी सप्लाई बूस्ट
JP Morgan की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2027 तक बढ़ने वाली कुल सप्लाई का आधा हिस्सा Non-OPEC+ देशों से आएगा. ऑफशोर और शेल प्रोडक्शन नया लो-कॉस्ट पावरहाउस बन चुका है, जिसने OPEC+ की बैलेंसिंग क्षमता को कमजोर कर दिया है.
ऑफशोर प्रोजेक्ट्स बने ग्रोथ इंजन
ऑफशोर सेक्टर अब हाई-विजिबिलिटी और कम लागत वाला सप्लाई सोर्स बन गया है. 2025 में 0.5 mbd, 2026 में 0.9 mbd और 2027 में 0.4 mbd का अतिरिक्त उत्पादन आने का अनुमान है. 2029 तक लगभग सभी FPSO प्रोजेक्ट सैंक्शन हो चुके हैं, यानी आने वाली ऑफशोर सप्लाई अब लगभग तय है.
शेल की फ्लेक्सिबिलिटी
US शेल भले सुस्त हुआ हो, लेकिन प्रोडक्टिविटी और कैपिटल एफिशिएंसी इसे सपोर्ट दे रही है. अर्जेंटीना का Vaca Muerta भी नया लो-कॉस्ट फ्रंटियर बनकर उभरा है. 2025 में शेल सप्लाई 0.8 mbd बढ़ी, जबकि 2026 और 2027 में क्रमशः 0.4 और 0.5 mbd की नई सप्लाई बाजार में आएगी.
इन्वेंटरी बढ़ा रही दबाव
इस साल ग्लोबल ऑयल इन्वेंटरी 1.5 mbd बढ़ चुकी है, जिसमें 1 mbd ऑयल ऑन-वाटर और चीन के पास बड़ा रिजर्व स्टॉक पड़ा है. JP Morgan के अनुसार यह अतिरिक्त स्टॉक 2026 में नए सप्लाई लेयर की तरह बाजार में उतरेगा. 2026 में सरप्लस 2.8 mbd और 2027 में 2.7 mbd तक पहुंच सकता है.
कितना टूट सकता है दाम?
JP Morgan का अनुमान है कि 2026 में ब्रेंड 60 डॉलर प्रति बैरल से नीचे फिसल सकता है और Q4 में लो 50 डॉलर तक जा सकता है. FY26 के अंत में कीमतें 40 डॉलर के दायरे में रहने का अनुमान है. 2027 में औसत कीमत 42 डॉलर और FY27 के अंत तक 30 डॉलर पहुंचने की संभावना है. हालांकि, स्वैच्छिक कटौती से थोड़ी स्थिरता आ सकती है, इसलिए FY26 के लिए फोरकास्ट 58 डॉलर का है.
भारत के लिए ‘बूस्टर डोज’
कीमतें गिरने की यही तस्वीर भारत के लिए सबसे बड़ी राहत है. इंपोर्ट बिल घटेगा, महंगाई पर काबू आएगा, फिस्कल पर दबाव कम होगा और रुपये को बड़ा सपोर्ट मिलेगा. S&P Global और अब JP Morgan दोनों संकेत दे रहे हैं कि अगले दो वर्षों में क्रूड मार्केट भारत के पक्ष में चल सकता है.