ED ने Flipkart को दी गलती मानने और जुर्माना भरने की पेशकश, FEMA उल्लंघन मामला हो सकता है खत्म

ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट को ED ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के उल्लंघन मामले में ‘कंपाउंडिंग’ का विकल्प दिया है. इसके तहत कंपनी अगर अपनी गलती स्वीकार कर जुर्माना भरती है, तो यह मामला खत्म किया जा सकता है. यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है जब भारत-अमेरिका के बीच व्यापार वार्ताएं जारी हैं.

फ्लिपकार्ट Image Credit: GettyImages

ED Flipkart FEMA Case: ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट के खिलाफ चल रहे FEMA (Foreign Exchange Management Act) यानी विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के उल्लंघन के मामले में अब राहत की संभावना बन रही है. पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ED ने फ्लिपकार्ट को यह विकल्प दिया है कि अगर कंपनी अपनी गलती स्वीकार कर ले और जुर्माना अदा करे, तो यह मामला निपटाया जा सकता है.

ईडी ने दिया ‘कंपाउंडिंग’ का विकल्प

रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले हफ्ते ईडी ने फ्लिपकार्ट को कंपाउंडिंग नियमों के तहत यह प्रस्ताव दिया. कंपाउंडिंग प्रक्रिया का अर्थ होता है कि कोई कंपनी अगर FEMA के किसी प्रावधान का उल्लंघन स्वीकार करती है, तो वह बिना लंबी जांच या कानूनी प्रक्रिया से गुजरे, जुर्माना भरकर मामला सुलझा सकती है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “ईडी ने फ्लिपकार्ट को अपनी गलती मानने, जुर्माना भरने और उससे जुड़े विक्रेता नेटवर्क को खत्म करने के लिए कहा है.”

अमेजन भी जांच के दायरे में

फ्लिपकार्ट के अलावा अमेजन इंडिया को भी ईडी ने तलब किया है. ईडी अमेजन से कंपनी के कारोबारी संचालन की स्थिति जानना चाहती है. हालांकि, अमेजन इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि, “हम चल रही जांच पर कोई टिप्पणी नहीं करते.” ईडी से इस मामले में पूछे गए सवाल का भी कोई जवाब नहीं मिला. रिपोर्ट के मुताबिक, एक ई-कॉमर्स कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि ईडी द्वारा फ्लिपकार्ट को दिया गया कंपाउंडिंग विकल्प भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता में भारत की स्थिति मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है. यह कदम भारत की नियामक सख्ती और निवेश पारदर्शिता को दिखाने में मदद करेगा.

क्या है मामला?

ईडी लंबे समय से फ्लिपकार्ट और अमेजन इंडिया दोनों की जांच कर रहा है. आरोप है कि दोनों कंपनियों ने FEMA के प्रावधानों का उल्लंघन किया और अपने प्लेटफॉर्म पर डिस्काउंट देकर बिक्री बढ़ाने की कोशिश की, जो विदेशी निवेश नियमों के तहत सवालों के घेरे में आता है. ईडी ने जुलाई 2021 में फ्लिपकार्ट, उसकी सहयोगी कंपनियों और कुछ व्यक्तियों को शो कॉज नोटिस जारी किया था. यह नोटिस 2009 से 2015 के बीच की गतिविधियों से जुड़ा था.

उस समय फ्लिपकार्ट में अमेरिकी दिग्गज वॉलमार्ट का निवेश नहीं हुआ था. बाद में 2018 में वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट में बहुमत हिस्सेदारी खरीदी थी. हालांकि, इसके बाद भी ईडी ने फ्लिपकार्ट के 2016 के बाद के कारोबारी संचालन की जांच जारी रखी. हाल ही में अप्रैल 2025 में भी कंपनी को एक नया नोटिस भेजा गया था.

CCI भी कर रहा जांच

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) भी फ्लिपकार्ट के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कानून (Competition Act) के उल्लंघन से जुड़ी जांच कर रहा है. सितंबर 2024 में CCI की जांच इकाई (DG) की रिपोर्ट की नॉन-कॉन्फिडेंशियल कॉपी फ्लिपकार्ट की एक सहायक कंपनी को मिली थी. रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया था कि कुछ सहायक कंपनियों ने बाजार में प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों में हिस्सा लिया.

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