मार्च में GST ने जमकर भरा सरकारी खजाना, कलेक्शन में करीब 10 फीसदी का उछाल

GST Collection: घरेलू ट्रांजेक्शन से GST रेवेन्यू 8.8 फीसदी बढ़कर 1.49 लाख करोड़ रुपये हो गया. मार्च लगातार 13वां महीना रहा, जिसमें 1.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कलेक्शन हुआ. रिफंड को छोड़कर मार्च में नेट जीएसटी कलेक्शन भी पिछले वर्ष की तुलना में 7.6 फीसदी अधिक रहा.

सरकार 12 फीसदी टैक्स स्लैब को हटा सकती है. Image Credit: Getty image

GST Collection: मार्च के महीने में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) ने जमकर सरकारी खजाना भरा है. वित्त वर्ष 2025 (2024-25) की चौथी तिमाही में भारतीय इकोनॉमी ने शानदार प्रदर्शन किया है. मार्च के महीने में ग्रॉस GST कलेक्शन 9.9 फीसदी बढ़कर 1.96 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया. जबकि पिछले महीने यह 1.84 लाख करोड़ रुपये था.

रिफंड में इजाफा

घरेलू ट्रांजेक्शन से GST रेवेन्यू 8.8 फीसदी बढ़कर 1.49 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि इंपोर्टेड वस्तुओं से रेवेन्यू 13.56 फीसदी बढ़कर 46,919 करोड़ रुपये हो गया. मार्च के दौरान कुल रिफंड 41 फीसदी बढ़कर 19,615 करोड़ रुपये हो गया. रिफंड को एडजस्टमेंट करने के बाद मार्च 2025 में नेट GST रेवेन्यू 1.76 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा, जो एक साल पहले की अवधि की तुलना में 7.3 फीसदी अधिक है.

13वें महीने जोरदार कलेक्शन

मार्च लगातार 13वां महीना रहा, जिसमें 1.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कलेक्शन हुआ. इस तिमाही में GST केलेक्शन 5.8 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 10.4 फीसदी अधिक है. रिफंड को छोड़कर मार्च में नेट जीएसटी कलेक्शन भी पिछले वर्ष की तुलना में 7.6 फीसदी अधिक रहा.

कैपिटल एक्सपेंडिचर में वृद्धि

केंद्र सरकार के दूसरे ए़़डवांस अनुमान के अनुसार 6.5 फीसदी की वृद्धि दर हासिल करने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को चौथी तिमाही में 7.6 फीसदी की ग्रोथ की आवश्यकता होगी. मुख्य आर्थिक सलाहकार वी.अनाथ नागेश्वरन ने पिछले महीने कहा था कि भारत इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है, क्योंकि महाकुंभ से संबंधित खर्च के साथ-साथ सरकारी कैपिटल एक्सपेंडिचर में वृद्धि से मदद मिलने की उम्मीद है.

अप्रैल-फरवरी की अवधि के लिए केंद्र सरकार का कैपेएक्स 8.1 लाख करोड़ रुपये रहा, जो हाल के बजट में निर्धारित 10.2 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से काफी कम है. अर्थव्यवस्था लक्ष्य से पीछे रह सकती है, क्योंकि सरकार को वित्त वर्ष के अंतिम महीने में 2.1 लाख करोड़ रुपये खर्च करने थे.

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