इन बड़े प्रोजेक्ट पर टिकी है अनिल अंबानी की किस्मत, जानें दांव पर कौन और क्या है 17600 करोड़ का कनेक्शन
अनिल अंबानी अपनी कंपनियों का कर्ज चुकाकर अब रिवाइवल प्रक्रिया में हैं. उनका कमबैक बेहतर बनाने के लिए वो रणनीति के साथ आगे बढ़ रहे हैं, यही वजह है कि अब वो डिफेंस से लेकर ग्रीन एनर्जी सेक्टर पर फोकस कर रहे हैं. उन्होंने कई बड़ी डील भी की है, तो किन प्रोजेक्ट्स पर लगाया है उन्होंने दांव और ये कितने होंगे फायदेमंद, जानें डिटेल.
Anil Ambani Comeback: दिग्गज बिजनेसमैन अनिल अंबानी आजकल कमबैक की राह पर हैं. एक दशक तक बाजार में उतार-चढ़ाव का सामना करने वाले अंबानी की किस्मत अब पलट रही है. यही वजह है कि रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के शेयरों में जबरदस्त उछाल आया है. साथ ही कर्ज-मुक्त बैलेंस शीट के साथ वो कॉर्पोरेट जगत में वापसी कर रहे हैं. इतना ही नहीं उन्होंने अपनी रणनीति भी बदली है. अब वह ग्रीन एनर्जी, डिफेंस और स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे सेक्टर्स में दांव लगा रहे हैं, क्योंकि इनमें उन्हें देश का भविष्य नजर आ रहा है. हाल ही में अनिल अंबानी की प्रमुख कंपनियों रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने धड़ाधड़ नए ऑर्डर हासिल किए है, इनके जरिए वो 17,600 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाने की योजना बना रहे हैं. तो किन प्रोजेक्ट्स पर टिकी है अनिल अंबानी की किस्मत और क्या उनके सिर सजेगा डिफेंस का ताज, यहां देखें डिटेल.
ग्रीन एनर्जी और डिफेंस में दांव
अनिल अंबानी इस बार बड़े-बड़े वादों के बजाय तय रणनीति के साथ आगे बढ़ रहे हैं. उनकी कंपनी रिलायंस पावर सोलर प्लस स्टोरेज मेगा प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है, जो भारत के रिन्यूएबल एनर्जी लक्ष्यों को सपोर्ट करेगा. वहीं, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने 10,000 करोड़ रुपये के स्मार्ट म्यूनिशन्स कॉन्ट्रैक्ट्स हासिल किए हैं, जो डिफेंस सेक्टर में इसकी मजबूत स्थिति को दर्शाते हैं. कंपनी की प्रोजेक्ट पाइपलाइन तेजी से बढ़ रही है. साथ ही फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (FIIs) की हिस्सेदारी में भी इजाफा हुआ है, जिससे निवेशकों का भरोसा कंपनी के प्रति बढ़ा है.
डिफेंस सेक्टर में ये हैं मेगा प्रोजेक्ट्स
- October 2024 में हुई डील के तहत धीरूभाई अंबानी डिफेंस सिटी, मुंबई के रत्नागिरी में बनाया जाएगा, जो भारत का सबसे बड़ा प्राइवेट सेक्टर ग्रीनफील्ड डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग सेंटर होगा.
- June 8, 2025 में HAL से ₹5,000 करोड़ का ऑर्डर मिला. जिसके तहत 55 डोर्नियर और 228 विमानों को 7-10 साल में अपग्रेड करने का कॉन्ट्रैक्ट किया गया है.
- Rafale PBL program के तहत लंबी अवधि का मेंटेनेंस और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट दिया जाएगा.
- June 10, 2025 में जर्मनी की कंपनी डाइडल डिफेंस के साथ हुई डील के तहत महाराष्ट्र में वल्कैनो 155 मिमी प्रिसिजन-गाइडेड म्यूनिशंस का स्थानीय उत्पादन किया जाएगा, जो ₹10,000 करोड़ का होगा.
- June 19, 2025 में फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन के साथ भी रिलायंस की डील हुई. जिसमें कंपनी को 2000 फाल्कन बिजनेस जेट्स के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
- June 25, 2025 में कंपनी ने जर्मनी की राइनमेटाल से ₹600 करोड़ का निर्यात ऑर्डर हासिल किया, जिसमें विस्फोटक और प्रोपेलेंट्स बनाए जाएंगे.
- June 30, 2025 में भी अनिल अंबानी की कंपनी ने कोस्टल मैकेनिक्स इंक (USA) के साथ नया समझौता किया, जो ₹20,000 करोड़ का है. ये डिफेंस मेंटेनेंस और अपग्रेड्स के लिए है.
क्लीन एनर्जी में भी झटके बड़े ऑर्डर
दिसंबर 2024: रिलायंस NU Suntech ने 930 मेगावाट सोलर और 1,860 मेगावाट सोलर बैटरी एनर्जी स्टोरेज (BESS) वाला SECI प्रोजेक्ट हासिल किया. यह एशिया की सबसे बड़ी सोलर-प्लस-स्टोरेज परियोजना में से है.
रिलायंस ने भूटान की DHI कंपनी के साथ भी 500 मेगावाट सोलर और 770 मेगावाट हाइड्रो ज्वाइंट वेंचर साइन किया है. यह भूटान के रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में किसी भारतीय निजी कंपनी का सबसे बड़ा FDI निवेश है.
19 मई 2025: SJVN की नीलामी में रिलायंस NU Energies को 350 मेगावाट सोलर और 700MWh BESS प्रोजेक्ट मिला.
28 मई 2025: रिलायंस ने कुवैत, यूएई और मलेशिया में 1,500 मेगावाट के गैस-आधारित प्रोजेक्ट्स के लिए बोलियां लगाईं. इन प्रोजेक्ट में भारत से री-डिप्लॉय किए गए GE मॉड्यूल का इस्तेमाल किया गया है.
अंबानी की 2 कंपनियों का दिखा जलवा
पिछले छह महीनों में अनिल अंबानी की दो प्रमुख कंपनियों, रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर, ने बाजार में तहलका मचा दिया है. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस पावर का मार्केट कैप 1.5 गुना और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर का 1.9 गुना बढ़ा है. मई 2025 तक रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की नेट वर्थ 8,428 करोड़ रुपये से बढ़कर 14,287 करोड़ रुपये हो गई, जबकि रिलायंस पावर की नेट वर्थ 11,614 करोड़ रुपये से बढ़कर 16,337 करोड़ रुपये पर पहुंच गई. दोनों कंपनियों ने अपने डेट-टू-इक्विटी रेशियो को भी तेजी से घटाया है. रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर का डेट-टू-इक्विटी रेशियो एक साल में 0.78x से घटकर 0.28x और रिलायंस पावर का 1.62x से कम होकर 0.93x हो गया है.