2500 रुपये तक के कपड़े और जूते होंगे सस्ते, टैक्स को 5% स्लैब में लाने की तैयारी में GST काउंसिल

GST Council की मीटिंग में 2,500 रुपये तक के कपड़े और फुटवियर पर GST घटाकर 5% किए जाने पर सहमति बनने की जानकारी सामने आई है. अगर परिषद इस मामले में अंतिम फैसला करती है, तो इस दायरे में आने वाले कपड़े और जूतों की कीमत घटने से लाखों उपभोक्ताओं को फायदा मिलेगा.

गुड्स एंड सर्विस टैक्स Image Credit: jayk7/Moment/Getty Images

GST Reforms को लेकर PM Modi की तरफ से लाल किले की गई घोषणाओं को GST Council अब अमली जामा पहनाने की तैयारी कर रही है. PTI की रिपोर्ट की मुताबिक बुधवार को परिषद की बैठक में GST से जुड़े सुधारों पर चर्चा हुई. सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि परिषद 2,500 रुपये तक के कपड़े और फुटवियर पर सिर्फ 5% GST लगाए जाने की तैयारी कर रही है. इससे इन कपड़ों और जूतों की कीमत घटने की उम्मीद है.

GST Council का यह कदम उपभोक्ताओं और व्यापार दोनों के लिए राहत देने वाला साबित हो सकता है. 2,500 रुपये तक के कपड़े और जूते अब सिर्फ 5% GST के दायरे में आएंगे और टैक्स स्लैब में बदलाव से देश में वस्त्र और फुटवियर बाजार को भी मजबूती मिलने की संभावना है.

GST दर में बड़ा बदलाव

फिलहाल, कपड़ों और जूतों के मामाले में यह लिमिट 1,000 रुपये की है. यानी अभी 1,000 रुपये तक की कीमत वाले कपड़े और जूते 5% GST के दायरे में आते हैं. वहीं, इसके ऊपर की कीमतों पर 12% GST लगता है. त्योहारों से ठीक पहले यह बदलाव रेडिमेड गारमेंट्स और फुटवियर इंडस्ट्री को बूस्ट देने में अहम साबित हो सकता है. इससे उपभोक्ताओं के लिए टैक्स का बोझ कम होगा और खपत बढ़ेगी.

GST स्लैब में व्यापक सुधार

माना जा रहा है कि GST Council इस बैठक में 12% और 28% के स्लैब को खत्म करने का भी फैसला कर सकती है. क्योंकि, केंद्र सरकार की तरफ से पहले ही इसकी सिफारिश कर दी गई है. इस तरह अब ज्यादातर वस्तुएं 5% और 18% स्लैब में आ जाएंगी. इस बदलाव से टैक्स सिस्टम सरल होगा, प्रशासनिक बोझ कम होगा और कर चोरी को रोकने में मदद मिलेगी। 56वीं बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की और इसमें राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ चर्चा जारी है.

उपभोक्ता और व्यापार पर असर

विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से रोजमर्रा की जरूरत की चीजों की कीमतों में वास्तविक कमी देखने को मिल सकती है. खासतौर पर छोटे और मध्यम व्यापारियों को भी इन्वेंट्री और बिक्री पर बेहतर नियंत्रण मिलेगा. इसके अलावा आम लोगों के खरीदने की क्षमता बढ़ेगी. आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बदलाव से फुटवियर और कपड़ा उद्योग में बिक्री बढ़ सकती है.