1500 करोड़ रुपये की क्रिटिकल मेटल रीसाइक्लिंग स्कीम को कैबिनेट की मंजूरी, मिलेंगे 70,000 नए रोजगार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने बुधवार को 1500 करोड़ रुपये की एक नई स्कीम को मंजूर दी है. इस योजना के तहत ई-वेस्ट, लिथियम-आयन बैटरी और वाहन स्क्रैप से क्रिटिकल मेटल्स रीसाइक्लिंग को बढ़ावा दिया जाएगा. एक अनुमान के मुताबिक इससे 70,000 नई नौकरियां बनेंगी.
Critical Minerals and Metals के क्षेत्र में आत्मनिर्भता को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार युद्धस्तर पर जुटी है. देश में मौजूदा संसाधनों के दोहन के साथ ही सरकार दूसरे देशों के साथ लॉन्ग टर्म समझौते भी कर रही है. इसके अलावा अब रिसायक्लिंग के फ्रंट पर भी पहल की है. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में 1,500 करोड़ रुपये की एक प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी गई है. इस योजना का मकसद भारत में सेकेंडरी सोर्सेज से क्रिटिकल मेटल्स का उत्पादन बढ़ाना है. क्योंकि, नई खदानों और विदेशी अधिग्रहण में समय लग सकता है. ऐसे में उद्योगों को वैकल्पिक स्रोत मिलें, इसके लिए यह योजना शुरू की गई है.
योजना की अवधि और कवरेज
यह योजना वित्त वर्ष 2025-26 से 2030-31 तक 6 साल के लिए लागू रहेगी. इसके तहत ई-वेस्ट, लिथियम-आयन बैटरी स्क्रैप और पुराने वाहनों से निकलने वाले कैटालिटिक कनवर्टर जैसे स्क्रैप को रीसाइक्लिंग के लिए कवर किया जाएगा. बड़े और स्थापित रीसाइक्लिंग फर्मों के साथ-साथ स्टार्टअप और छोटे व्यवसाय भी इसका लाभ उठा सकेंगे. कुल बजट का एक-तिहाई हिस्सा छोटे उद्यमों के लिए रिजर्व रखा गया है.
किसे मिलेगा लाभ?
योजना का लाभ नई यूनिट्स में निवेश, मौजूदा यूनिट्स के विस्तार, मॉडर्नाइजेशन और डायवर्सिफिकेशन के लिए लिया जा सकता है. हालांकि, इसमें बेसलाइन यह है कि सरकार का ध्यान केवल उन रीसाइक्लरों पर है जो क्रिटिकल मेटल्स की वास्तविक निकासी करते हैं.
कैसे मिलेगा प्रोत्साहन?
कैपेक्स सब्सिडी पहला तरीका है. इसके तहत प्लांट, मशीनरी और यूटिलिटी पर 20% सब्सिडी मिलेगी, जो निर्धारित समय में उत्पादन शुरू करने वालों को मिलेगी. इसके बाद ओपेक्स सब्सिडी होगी, जिसके तहत वित्त वर्ष 2025-26 को बेस वर्ष मानकर अगले वर्षों में इनक्रीमेंटल सेल्स के आधार पर प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. वहीं, बड़े उद्यमों के लिए कुल प्रोत्साहन 50 करोड़ रुपये और छोटे उद्यमों के लिए 25 करोड़ रुपये तक होगा. इसके अलावा ओपेक्स सब्सिडी की सीमा 10 करोड़ और 5 करोड़ रुपये रखी गई है.
क्या है सरकार की उम्मीद?
सरकार की इस योजना से उम्मीद है कि सालाना कम से कम 270 किलो टन रीसाइक्लिंग क्षमता विकसित की जाए और करीब 40 किलो टन क्रिटिकल मेटल उत्पादन शुरू हो. इसके लिए 8,000 करोड़ रुपये का निवेश आने की संभावना है और 70,000 के करीब प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे. योजना तैयार करने से पहले सरकार ने उद्योग और अन्य हितधारकों के साथ कई राउंड मीटिंग और सेमिनार आयोजित किए हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लाभार्थिंयों को इसमें शामिल किया जा सके.