अनिल अंबानी की बढ़ी मुश्किलें, ED ने ₹4,462 करोड़ की नई संपत्ति को किया अटैच, कुल जब्ती ₹7,500 करोड़ के पार
ED ने अनिल अंबानी की रिलायंस ग्रुप पर एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (DAKC) की करीब 132 एकड़ जमीन को अटैच कर लिया है, जिसकी कीमत 4,462.81 करोड़ रुपये बताई जा रही है. यह कदम मनी लॉन्ड्रिंग निवारण कानून (PMLA) के तहत उठाया गया है.
ED Reliance Group Anil Ambani: प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस ग्रुप के खिलाफ चल रही बैंक धोखाधड़ी जांच में एक और बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (DAKC) के भीतर करीब 132 एकड़ जमीन को अटैच कर लिया है, जिसकी कीमत करीब 4,462.81 करोड़ रुपये बताई जा रही है. यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग निवारण कानून (PMLA), 2002 के तहत की गई है.
बढ़ गई रिलांयस ग्रुप की एसेट्स
ईटी ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इस कार्रवाई के बाद रिलायंस ग्रुप से जुड़े कुल अटैच किए गए एसेट्स की कीमत बढ़कर 7,500 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई है. ईडी की स्पेशल टास्क फोर्स, मुख्यालय ने यह कार्रवाई रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCom) और दूसरे अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (ADAG) कंपनियों की ओर से लिए गए बैंक लोन के कथित दुरुपयोग और डायवर्सन की जांच के तहत की है. इससे पहले भी ईडी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड से जुड़ी 42 संपत्तियों को 3,083 करोड़ रुपये के मूल्य पर अटैच किया था.
सीबीआई की FIR से शुरू हुई जांच
यह पूरी जांच सीबीआई की उस FIR से शुरू हुई थी जिसमें अनिल अंबानी, RCom और अन्य कंपनियों पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश (धारा 120-B, 406, 420 IPC) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था. आरोप है कि कंपनियों ने बैंक से मिले लोन का इस्तेमाल गलत उद्देश्यों के लिए किया और रकम को संबंधित पार्टियों में ट्रांसफर कर दिया.
रिलायंस ने दी सफाई
सोमवार, 3 नवंबर को रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने स्टॉक एक्सचेंज को जानकारी दी कि ईडी ने उनकी कुछ संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच किया है. कंपनी ने कहा कि यह कार्रवाई PMLA के तहत जांच का हिस्सा है, लेकिन इसका कंपनी के बिजनेस, शेयरहोल्डर्स या कर्मचारियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. कंपनी ने बयान में स्पष्ट किया, “हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि कंपनी की कुछ संपत्तियों को ईडी ने अस्थायी रूप से अटैच किया है. इसका हमारे बिजनेस ऑपरेशंस या निवेशकों पर कोई प्रभाव नहीं होगा. श्री अनिल डी. अंबानी पिछले 3.5 सालों से कंपनी के बोर्ड में नहीं हैं.”
बैंक लोन से लेकर फंड डायवर्जन तक
ईडी की जांच में सामने आया है कि रिलायंस कम्युनिकेशंस और इसकी सहयोगी कंपनियों ने 2010 से 2012 के बीच देसी और विदेशी बैंकों से 40,185 करोड़ रुपये के लोन लिए थे. इनमें से पांच बैंकों ने इन खातों को धोखाधड़ी वाला घोषित किया है. जांच एजेंसी के मुताबिक, एक ग्रुप कंपनी द्वारा लिए गए लोन का इस्तेमाल दूसरी कंपनी के कर्ज चुकाने में किया गया. कुछ रकम रिलायंस से जुड़ी कंपनियों या संबंधित पार्टियों में ट्रांसफर की गई और कुछ म्यूचुअल फंड व फिक्स्ड डिपॉजिट्स में लगाई गई, जिसे बाद में फिर से ग्रुप फर्मों में लौटा दिया गया. ईडी का दावा है कि कुल 13,600 करोड़ रुपये लोन की “एवरग्रीनिंग” में लगाए गए, जबकि 12,600 करोड़ रुपये संबंधित कंपनियों को ट्रांसफर किए गए और 1,800 करोड़ रुपये म्यूचुअल फंड्स में पार्क किए गए.
यस बैंक कनेक्शन में नया खुलासा
ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने रिलायंस ग्रुप की दो कंपनियों- रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) में भारी निवेश किया था. यस बैंक ने RHFL में 2,965 करोड़ रुपये और RCFL में 2,045 करोड़ रुपये का निवेश किया. दिसंबर 2019 तक इनमें से लगभग 3,337.5 करोड़ रुपये अनपेड रह गए. जांच में पता चला कि रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड से जुटाए गए सार्वजनिक धन को सीधे अनिल अंबानी ग्रुप की वित्तीय कंपनियों में निवेश नहीं किया जा सकता था, क्योंकि सेबी के नियम इसके खिलाफ हैं.
लेकिन इस प्रतिबंध को दरकिनार करने के लिए पैसों को यस बैंक के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से ग्रुप की कंपनियों तक पहुंचाया गया. सीबीआई और ईडी दोनों एजेंसियों ने पाया है कि यस बैंक के निवेश के जरिए यह पैसा RHFL और RCFL में पहुंचा और वहां से यह रिलायंस समूह की अन्य कंपनियों को लोन के रूप में दे दिया गया.
क्या है ईडी का आरोप?
ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, कई मामलों में लोन अप्रूवल की प्रक्रिया में जानबूझकर लापरवाही बरती गई. आवेदन से लेकर अप्रूवल और पैसे के ट्रांसफर तक का काम सिर्फ एक ही दिन में पूरा कर दिया गया. कई बार लोन जारी करने से पहले जरूरी दस्तावेज अधूरे थे, निरीक्षण नहीं हुआ और सिक्योरिटी भी अधूरी या गायब थी. एजेंसी ने कहा कि यह सब “intentional control failures” का संकेत देता है. हाल ही में दायर सीबीआई के आरोपपत्र में यह दावा किया गया है कि पूर्व यस बैंक सीईओ राणा कपूर और अनिल अंबानी ने मिलकर ऐसी डील्स कीं जिनसे यस बैंक को 2,700 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ.
ईडी का रुख सख्त
ईडी ने कहा कि उसकी जांच जारी है और एजेंसी “वित्तीय अपराध करने वालों को सजा दिलाने और अवैध संपत्तियों को वसूलने” के लिए प्रतिबद्ध है. इस कार्रवाई के साथ, रिलायंस ग्रुप के खिलाफ अटैच की गई संपत्तियों का कुल मूल्य 7,545 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है.
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