Vodafone Idea को बड़ी राहत, सभी AGR बकायों पर सरकार कर सकती है पुनर्विचार, सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया को राहत देते हुए कहा कि सरकार कंपनी के सभी AGR बकायों पर पुनर्विचार कर सकती है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राहत सिर्फ 2016-17 के अतिरिक्त बकाये तक सीमित नहीं है. करीब 83,500 करोड़ की कुल AGR देनदारी से जूझ रही कंपनी के लिए यह फैसला गेमचेंजर साबित हो सकता है, जिससे रिवाइवल की उम्मीदें बढ़ीं.

वोडाफोन आइडिया Image Credit: Getty image

कर्ज के बोझ से दबी टेलीकॉम कंपनी Vodafone Idea को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि केंद्र सरकार कंपनी के सभी AGR बकाया की वसूली पर पुनर्विचार कर सकती है. इसमें न केवल वित्त वर्ष 2016-17 से जुड़े अतिरिक्त देनदारी पर.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

चीफ जस्टिस BR गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि 27 अक्टूबर को जारी आदेश में हुई तकनीकी भूल को सुधारा गया है. अदालत ने स्पष्ट किया कि Vodafone Idea की याचिका में सभी AGR बकायों के रिव्यू की मांग शामिल थी, केवल अतिरिक्त देनदारी की नहीं. कंपनी की ओर से वकीलों ने दलील दी थी कि पिछले आदेश के छठे पैराग्राफ में गलती से यह उल्लेख हो गया कि राहत सिर्फ अतिरिक्त AGR देनदारी के लिए मांगी गई है. कोर्ट ने इस आपत्ति को स्वीकार करते हुए कहा कि सरकार सभी बकायों पर पुनर्विचार करने के लिए स्वतंत्र है.

सरकार को मिली कानूनी छूट

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, “केंद्र सरकार ने इस कंपनी में महत्वपूर्ण इक्विटी निवेश किया है और यह लाखों उपभोक्ताओं को प्रभावित करता है. इसलिए, हम सरकार को पुनर्विचार करने और आवश्यक कदम उठाने से नहीं रोक सकते हैं.” केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने दलील दी कि सरकार के पास कंपनी में 49% हिस्सेदारी है और लगभग 20 करोड़ ग्राहकों के हित इससे जुड़े हैं. इसलिए सरकार कंपनी के सभी मुद्दों पर पुनर्विचार करने को तैयार है.

कितना है बकाया?

कंपनी पर वर्तमान में कुल AGR बकाया लगभग ₹83,500 करोड़ का है, जबकि अतिरिक्त AGR देनदारी करीब 9,450 करोड़ बताई जा रही है. सुप्रीम कोर्ट के इस स्पष्टीकरण से अब DoT (दूरसंचार विभाग) को वोडाफोन आइडिया के सभी बकायों का पुनर्मिलान करने और राहत देने का रास्ता मिल गया है.

क्या है AGR विवाद?

AGR यानी एडजस्टेड Gross Revenue वह आधार है, जिसके हिसाब से दूरसंचार कंपनियां सरकार को लाइसेंस और स्पेक्ट्रम शुल्क का भुगतान करती हैं. विवाद की जड़ यह रही कि क्या इसमें नॉन टेलीकॉम इनकम जैसे ब्याज, डिविडेंड आदि को भी जोड़ा जाए या नहीं. साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने AGR की परिभाषा को व्यापक मानते हुए सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था. इसके बाद वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल समेत कई टेलीकॉम कंपनियों पर हजारों करोड़ रुपये की देनदारी आ गई थी. इस ताजा आदेश के बाद Vodafone Idea के रिवाइवल की उम्मीदें फिर से बढ़ गई हैं.