GST राहत और टेक्नोलॉजी बूस्ट से मैन्युफैक्चरिंग PMI ने फिर पकड़ी रफ्तार, अक्टूबर में 59.2 के स्तर पर पहुंचा इंडेक्स

अक्टूबर में भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने फिर रफ्तार पकड़ ली है. एचएसबीसी इंडिया पीएमआई इंडेक्स बढ़कर 59.2 पर पहुंच गया, जो मजबूत घरेलू मांग, जीएसटी राहत और टेक्नोलॉजी निवेश का नतीजा है. हालांकि, अमेरिकी टैरिफ दबाव के बीच निर्यात ऑर्डर्स की रफ्तार थोड़ी धीमी रही.

मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रोथ. Image Credit: Freepik

India Manufacturing PMI: अक्टूबर में भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने फिर रफ्तार पकड़ ली है. सितंबर में चार महीने के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद अब प्रोडक्शन, ऑर्डर्स और खरीदारी गतिविधियों में तेजी दर्ज की गई है. इसकी बड़ी वजह जीएसटी राहत उपायों, तकनीकी निवेश में बढ़ोतरी और घरेलू मांग में सुधार को माना जा रहा है.

GST सुधार और नई मांग से बढ़ा प्रोडक्शन

HSBC इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) अक्टूबर में बढ़कर 59.2 पर पहुंच गया. सितंबर में यह आंकड़ा 57.7 था. जुलाई और अगस्त में भी यह 59 के स्तर के आसपास रहा था, जो इस सेक्टर की स्थिर मजबूती को दिखाता है. इस डेटा को S&P ग्लोबल तैयार करता है,

रिपोर्ट के मुताबिक, नए ऑर्डर्स में तेज बढ़ोतरी के चलते प्रोडक्शन और खरीदारी गतिविधियों में तेजी आई है. कंपनियों ने बताया कि विज्ञापन, मजबूत घरेलू मांग और जीएसटी सुधारों से ऑर्डर्स में इजाफा हुआ है. हालांकि, निर्यात ऑर्डर्स की बढ़त दर 10 महीने में सबसे धीमी रही, जिससे यह संकेत मिलता है कि बाहरी मांग में कुछ कमी आई है.

लागत घटी, खरीदारी बढ़ी

S&P ग्लोबल के मुताबिक, भारतीय कंपनियों ने अक्टूबर में प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए कच्चे माल और सेमी-फिनिश्ड आइटम्स की खरीदारी तेज की. यह खरीदारी मई 2023 के बाद की सबसे तेज रफ्तार से बढ़ी है. एक अहम वजह यह भी रही कि इनपुट कॉस्ट में कमी आई, यानी कंपनियों के लिए प्रोडक्शन सस्ता हुआ.

इसी बीच, रिटेल महंगाई दर भी सितंबर में घटकर 1.54 फीसदी पर आ गई, जो जून 2017 के बाद का सबसे निचला स्तर है. सब्जियों और दालों के दाम घटने से उपभोक्ताओं को भी राहत मिली है.

मजबूत डिमांड से बढ़ा भरोसा, पर दबाव भी बरकरार

HSBC की चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी ने कहा कि “मजबूत डिमांड के चलते प्रोडक्शन, नए ऑर्डर्स और रोजगार में तेजी आई है. वहीं, इनपुट कॉस्ट में कमी और कुछ बढ़ी हुई कीमतों को उपभोक्ताओं पर डालने से कंपनियों को फायदा हुआ है.”

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हालांकि, अमेरिका की सख्त टैरिफ नीति ने भारत के निर्यात क्षेत्र पर दबाव बढ़ाया है. वॉशिंगटन ने अगस्त में भारतीय उत्पादों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया, और उसी महीने एक और 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ जोड़ा. एसबीआई कैपिटल मार्केट्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे अमेरिका को हर महीने करीब 30 अरब डॉलर की अतिरिक्त आमदनी हो रही है, जबकि भारत को करीब 50 फीसदी ड्यूटी का बोझ झेलना पड़ रहा है.