टैरिफ ने भारत को दिया जोर का झटका, अमेरिकी एक्सपोर्ट में गिरावट; स्मार्टफोन और फार्मा को भारी नुकसान
India Export to US: भारतीय उत्पादों पर टैरिफ 10 फीसदी से शुरू होकर 7 अगस्त तक 25 फीसदी और अगस्त के अंत तक 50 फीसदी तक पहुंच गया. टैरिफ फ्री वस्तुएं, जो भारत के कुल निर्यात का लगभग एक-तिहाई हिस्सा हैं. स्मार्टफोन और दवाइयों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है.
India Export to US: ट्रंप के टैरिफ का असर भारत और अमेरिका के बीच होने वाले एक्सपोर्ट पर गंभीर रूप से नजर आया है. इंडिया बेस्ड ट्रेड थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, मई और सितंबर 2025 के बीच अमेरिका को भारत के एक्सपोर्ट में 37.5 फीसदी की गिरावट आई है. ट्रंप प्रशासन के टैरिफ में व्यापक बढ़ोतरी ने प्रमुख सेक्टर्स में मार्जिन को कम कर दिया. एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के सबसे बड़े निर्यात बाजार अमेरिका में पांच महीने की अवधि में निर्यात 8.8 अरब डॉलर से घटकर 5.5 अरब डॉलर रह गया, जो हाल के वर्षों में सबसे बड़ी शॉर्ट टर्म गिरावटों में से एक है. स्टडी में 2 अप्रैल से लागू अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव का आकलन करने के लिए मई से सितंबर 2025 तक भारत के निर्यात प्रदर्शन का आकलन किया गया.
टैरिफ फ्री वस्तुओं की एक्सपोर्ट में हिस्सेदारी
भारतीय उत्पादों पर टैरिफ 10 फीसदी से शुरू होकर 7 अगस्त तक 25 फीसदी और अगस्त के अंत तक 50 फीसदी तक पहुंच गया. टैरिफ फ्री वस्तुएं, जो भारत के कुल निर्यात का लगभग एक-तिहाई हिस्सा हैं, में सबसे अधिक गिरावट देखी गई. यह मई में 3.4 अरब डॉलर से 47 फीसदी गिरकर सितंबर में 1.8 अरब डॉलर रह गई.
स्मार्टफोन और दवाइयों के एक्सपोर्ट को झटका
GTRI ने कहा, ‘स्मार्टफोन और दवाइयों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है. स्मार्टफोन एक्सपोर्ट, जो एक साल पहले इसी अवधि में 197 फीसदी बढ़ा था, मई में 2.29 अरब डॉलर से 58 फीसदी गिरकर सितंबर में 884.6 मिलियन डॉलर रह गया. हर महीने निर्यात में लगातार गिरावट आ रही थी. GTRI ने कहा, ‘गिरावट के कारणों का पता नहीं चल पाया है और उनकी जांच की जरूरत है.’
फार्मास्यूटिकल्स एक्सपोर्ट 15.7 फीसदी की गिरावट आई, जो 745.6 मिलियन डॉलर से घटकर 628.3 मिलियन डॉलर रह गया.
इंडस्ट्रीयल मेटल्स और ऑटो पार्ट्स
इंडस्ट्रीयल मेटल्स और ऑटो पार्ट्स, जो वैश्विक स्तर पर एक समान टैरिफ के अधीन हैं, में 16.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
इस कैटेगरी में एल्युमीनियम एक्सपोर्ट में 37 फीसदी, तांबे में 25 फीसदी, ऑटो पार्ट्स में 12 फीसदी और आयरन एवं स्टील में 8 फीसदी की गिरावट आई. GTRI ने कहा, ‘चूंकि सभी ग्लोबल सप्लायर पर समान शुल्क लागू थे. इसलिए यह गिरावट भारतीय प्रतिस्पर्धात्मकता में किसी कमी के बजाय अमेरिकी औद्योगिक गतिविधियों में मंदी से ज्यादा जुड़ी हुई प्रतीत होती है.
टेक्सटाइल्स और केमिकल
टेक्सटाइल्स, रत्न एवं आभूषण, केमिकल, कृषि-खाद्य पदार्थ और मशीनरी जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्र, जो कुल मिलाकर भारत के अमेरिकी निर्यात का लगभग 60 फीसदी हिस्सा बनाते हैं उसमें 33% की गिरावट दर्ज की गई, जो मई के 4.8 अरब डॉलर से सितंबर में 3.2 अरब डॉलर रह गया.
सोलर पैनल एक्सपोर्ट 60.8 फीसदी गिरकर 202.6 मिलियन डॉलर से 79.4 मिलियन डॉलर पर आ गया, जिससे भारत की रिन्यूएबवल एनर्जी एक्सपोर्ट कमजोर हुई है.
ट्रेड मार्जिन में गिरावट
GTRI ने कहा, ‘चीन को केवल 30 फीसदी और वियतनाम को 20 फीसदी टैरिफ का सामना करने के साथ, भारत की प्रतिस्पर्धा में तेजी से गिरावट आई है. रिपोर्ट में केमिकल, मरीन और सी फूड, टेक्सटाइल्स, एग्री और प्रोसेस्ड फूड एक्सपोर्ट में गिरावट का भी संकेत दिया गया है. नए आंकड़े इस बात को साफ बताते हैं कि टैरिफ ने न केवल भारत के व्यापार मार्जिन को कम किया है, बल्कि प्रमुख निर्यात उद्योगों में स्ट्रक्चरल कमजोरियों भी उजागर किया है.