जिस घर में रहते हैं अनिल अंबानी, वो भी हुआ अटैच! 17 मंजिला घर बेहद आलीशान, जानें दूसरे शहरों में कौन सी प्रॉपर्टी पर एक्शन
अनिल अंबानी के मुंबई के पाली हिल वाले घर समेत आठ शहरों की संपत्तियों को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में अटैच कर लिया है. ₹3,084 करोड़ की यह कार्रवाई रिलायंस होम फाइनेंस और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस से जुड़े फंड डायवर्जन मामले से जुड़ी है, जिसमें यस बैंक का भी नाम आया है.
मुंबई के पॉश इलाके पाली हिल में स्थित वह 17 मंजिला आलीशान घर, जहां बिजनेसमैन अनिल अंबानी अपने परिवार के साथ रहते हैं, अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) के केस फाइलों में अटैच है. मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले में ईडी ने अनिल अंबानी की रिलायंस ग्रुप से जुड़ी संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच कर लिया है. वो घर जो कभी अमीरी और शोहरत का प्रतीक था, अब मनी लॉन्ड्रिंग केस की फाइलों में एक ‘जप्त संपत्ति’ बन चुका. इसमें सिर्फ मुंबई का घर ही नहीं, बल्कि देश के आठ शहरों की कई संपत्तियां शामिल हैं.
16000 वर्गफुट में फैली है “Abode”
पाली हिल में स्थित यह 17 मंजिला इमारत पश्चिमी मुंबई के सबसे अपमार्केट इलाकों में से एक में है. लगभग 16,000 वर्गफुट में फैली और 66 मीटर ऊंची इस शानदार बिल्डिंग का नाम “Abode” है और इसमें हर वह लग्जरी सुविधाएं है, जो एक अरबपति के सपनों में होती है. इमारत में एक ओपन स्विमिंग पूल, कई जिमनेजियम, और एक बड़ा गैरेज है जिसमें अंबानी परिवार की लग्जरी कारों का कलेक्शन रखा जाता था. इतना ही नहीं, बिल्डिंग की छत पर एक हेलिपैड भी है, जहां से कुछ हेलीकॉप्टर ऑपरेट किए जाते है. Houesing.com ने इस प्रॉपर्टी की कीमत 5000 करोड़ रुपये आंकी है. अनिल अंबानी अपने परिवार के साथ इस घर में रहते हैं. अब यह पूरी संपत्ति सरकारी नियंत्रण में आ चुकी है.
और किन शहरों की संपत्ति पर हुई कार्वराई
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय ने कुल 3084 करोड़ रुपये वैल्यू की संपत्तियों को अटैच किया है. ये कार्रवाई 31 अक्टूबर को जारी आदेशों के बाद की गई. ईडी के मुताबिक, ये संपत्तियां प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत जब्त की गई हैं. इनमें दिल्ली का रिलायंस सेंटर, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई और आंध्र प्रदेश के ईस्ट गोदावरी में फैली प्रॉपर्टीज शामिल हैं. इन संपत्तियों में रिहायशी फ्लैट, ऑफिस स्पेस और जमीन के टुकड़े हैं.
RHFL और RCFL के जरिए हुआ फंड का डायवर्जन
ईडी की जांच का केंद्र रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) हैं. एजेंसी का आरोप है कि 2017 से 2019 के बीच यस बैंक ने RHFL में 2965 करोड़ और RCFL में 2045 करोड़ रुपये का निवेश किया. दिसंबर 2019 तक ये निवेश NPA यानी नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स बन गए. जांच में सामने आया कि रिलायंस निपॉन म्यूचुअल फंड द्वारा अनिल अंबानी की कंपनियों में डायरेक्ट निवेश करना नियमों के खिलाफ था, लेकिन जनता से जुटाए गए फंड्स को यस बैंक के जरिए इंडायरेक्ट तरीके से RHFL और RCFL में डाल दिया गया.
ईडी ने बताया कि इन कंपनियों में बड़े पैमाने पर फंड डायवर्जन और ऑन-लेंडिंग के मामले सामने आए हैं. कई बार लोन की फाइल उसी दिन मंजूर हुई जिस दिन आवेदन किया गया. कुछ मामलों में तो आवेदन आने से पहले ही लोन जारी कर दिया गया. कई उधारकर्ताओं के पास कारोबार नाममात्र का था, और सुरक्षा दस्तावेज खाली या अधूरे मिले. एजेंसी ने इसे “जानबूझकर की गई गड़बड़ी और निगरानी की विफलता” बताया है.
13,600 करोड़ रुपये का एक और घोटाला सामने
ईडी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस और उससे जुड़ी कंपनियों पर भी शिकंजा कसा है. शुरुआती जांच में 13,600 करोड़ रुपये की फंड डायवर्जन की बात सामने आई है. इसमें 12,600 करोड़ रुपये जुड़े हुए पक्षों को भेजे गए, जबकि 1800 करोड़ रुपये फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड में लगाए गए, जिन्हें बाद में ग्रुप कंपनियों के लाभ के लिए भुनाया गया.
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ईडी ने कहा है कि वह प्रोसीड्स ऑफ क्राइम यानी अवैध फंड्स की ट्रेसिंग और जब्त संपत्तियों की प्रक्रिया जारी रखेगा. एजेंसी का कहना है कि यह कार्रवाई जनता के हितों की रक्षा और निवेशकों के पैसे को सुरक्षित रखने के लिए की जा रही है.
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