20 साल में 50X बढ़ा भारत का BFSI सेक्टर, GDP में 27% योगदान; जानें बैंकिंग से लेकर इंश्योरेंस तक की ग्रोथ स्टोरी
भारत का बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस (BFSI) सेक्टर देश की आर्थिक बढ़ोतरी का नया इंजन बन गया है. बजाज फिनसर्व एसेट मैनेजमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो दशकों में इस सेक्टर का मार्केट कैप 1.8 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 91 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया यानी 50 गुना उछाल. विस्तार में जानें कि रिपोर्ट में क्या है.
BFSI Report: भारत का बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस (BFSI) सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था का नया इंजन बन गया है. बजाज फिनसर्व एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो दशकों में इस सेक्टर का मार्केट कैप करीब 50 गुना बढ़ गया है. साल 2005 में जहां BFSI सेक्टर का मार्केट कैप 1.8 लाख करोड़ रुपये था, वहीं 2025 में यह बढ़कर 91 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया. यानी, इस दौरान सेक्टर की वार्षिक औसत वृद्धि दर (CAGR) करीब 22 फीसदी रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि BFSI सिर्फ एक सेक्टर नहीं बल्कि भारत को “विकसित भारत” की दिशा में ले जाने वाला एक स्ट्रक्चरल मेगाट्रेंड है.
GDP में 27% का योगदान
बिजनेस स्टैंडर्ड ने बजाज फिनसर्व एसेट मैनेजमेंट कंपनी की स्टडी के आधार पर एक रिपोर्ट जारी की है. उसके मुताबिक, वर्तमान में BFSI सेक्टर भारत की GDP में 27 फीसदी योगदान देता है, जबकि 20 साल पहले यह सिर्फ 6 फीसदी था. इस सेक्टर के भीतर अब भी बैंकिंग का दबदबा बना हुआ है, लेकिन नई कंपनियों और संस्थानों ने भी अपनी मजबूत पकड़ बनाई है. 2005 में जहां BFSI मार्केट कैप का 85 फीसदी हिस्सा बैंकों के पास था, वहीं 2025 में यह घटकर 57 फीसदी रह गया है.
इसका मतलब है कि NBFCs, फिनटेक कंपनियों, एसेट मैनेजमेंट कंपनियों और इंश्योरेंस फर्म्स ने अपनी मजबूत स्थिति बनाई है. पिछले दशक में बैंक क्रेडिट में 10.7 फीसदी CAGR और डिपॉजिट्स में 10.25 फीसदी CAGR की बढ़ोतरी हुई है. बैंकों की वित्तीय स्थिति भी काफी बेहतर हुई है- ग्रॉस NPA FY22 के 5.8 फीसदी से घटकर FY25 में 2.2 फीसदी रह गया, जबकि क्रेडिट कॉस्ट 1.3 फीसदी से घटकर 0.4 फीसदी पर आ गई.
निफ्टी 50 से बेहतर रिटर्न दिए हैं BFSI स्टॉक्स
रिपोर्ट के अनुसार, BFSI सेक्टर के स्टॉक्स ने पिछले 15 सालों में हर प्रमुख मार्केट रिकवरी साइकिल में Nifty 50 इंडेक्स को पछाड़ा है. 2009 के ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस रिकवरी के दौरान Nifty Financial Services Index (NFS) में सिर्फ छह महीनों में 80 फीसदी की तेजी आई, जबकि Nifty 50 सिर्फ 64 फीसदी चढ़ा. इसी तरह, 2014 के चुनाव नतीजों के बाद NFS ने 37 फीसदी और Nifty 50 ने 23 फीसदी रिटर्न दिया. कोविड के बाद 2021 में भी NFS ने 66 फीसदी की बढ़त दर्ज की, जबकि Nifty 50 सिर्फ 55 फीसदी चढ़ा.
NBFC और फिनटेक कंपनियां
NBFCs और फिनटेक कंपनियां अब भारत की क्रेडिट ग्रोथ की नई ताकत बनकर उभरी हैं. NBFCs की नेटवर्थ में पिछले 20 सालों में 15 फीसदी CAGR की बढ़ोतरी हुई है, जबकि उनका मुनाफा (PAT) 31.7 फीसदी CAGR से बढ़ा है. आज NBFCs BFSI सेक्टर की कुल कमाई में 18 फीसदी का योगदान देते हैं. उनके ग्रॉस NPA में भी भारी सुधार हुआ है. FY22 के 4.5 फीसदी से घटकर FY25 में 2.6 फीसदी पर पहुंच गया है. रिपोर्ट के अनुसार, NBFCs ग्रामीण इलाकों, MSME सेक्टर और रिटेल ग्राहकों को क्रेडिट उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभा रही हैं. डिजिटल लेंडिंग, वाहन फाइनेंस और को-लेंडिंग जैसी पहले भविष्य में इस ग्रोथ को और तेज करेंगी.
इंश्योरेंस सेक्टर का भी दबदबा
भारत का इंश्योरेंस सेक्टर भी इस वित्तीय बदलाव का बड़ा हिस्सा बन चुका है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2032 तक दुनिया का छठा सबसे बड़ा इंश्योरेंस बाजार बन सकता है. लाइफ इंश्योरेंस AUM FY07 के मुकाबले 10 गुना बढ़कर 61.6 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जबकि जनरल इंश्योरेंस सेक्टर ने भी पिछले 15 वर्षों में 10 गुना ग्रोथ दर्ज की है. वर्तमान में इंश्योरेंस सेक्टर का मार्केट कैप 10.6 लाख करोड़ रुपये है.
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में भी तेजी
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की ग्रोथ और भी तेज रही है. पिछले 20 वर्षों में इसका AUM 45 गुना बढ़ा है. मार्च 2025 तक म्यूचुअल फंड AUM 75 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है और AUM-to-GDP रेशियो 2015 के 7 फीसदी से बढ़कर 19.9 फीसदी हो गया है. SIP निवेशों, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और टियर-2 व टियर-3 शहरों के निवेशकों की बढ़ती भागीदारी ने निवेश को आम लोगों के लिए आसान और सुलभ बनाया है.
‘लॉन्ग टर्म अल्फा इंजन’ है BFSI
रिपोर्ट के अनुसार, BFSI सेक्टर भारतीय मार्केट का “लॉन्ग-टर्म अल्फा इंजन” साबित हुआ है. हर बड़े बाजार सुधार के दौरान इस सेक्टर ने Nifty 50 से 10 से 20 प्रतिशत अंक ज्यादा रिटर्न दिए हैं. रिपोर्ट में कहा गया, “BFSI सेक्टर की स्थिरता, मुनाफे की क्षमता और झटके झेलने की ताकत इसे भारत की पूंजी बाजार की रीढ़ बनाती है. पिछले 20 वर्षों में इस सेक्टर के मार्केट कैप में 50 गुना उछाल भारत के उस बदलाव को दर्शाता है, जिसमें देश ‘कैश से कैपिटल, अनौपचारिक से औपचारिक और बचत से निवेश’ की दिशा में आगे बढ़ रहा है.”
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