GST रिवीजन के बाद पैकेजिंग अपडेट का झंझट खत्म, स्टैम्पिंग से भी चलेगा काम; नहीं छपवाने होंगे विज्ञापन

केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने GST रिविजन के बाद पैकेजिंग और MRP बदलाव से जुड़ी कंप्लायंस प्रक्रिया को आसान बना दिया है. अब निर्माताओं और आयातकों को अखबारों में रिवाइज्ड MRP के विज्ञापन देना अनिवार्य नहीं होगा. कंपनियां थोक और खुदरा विक्रेताओं को सर्कुलर जारी कर जानकारी दे सकती हैं. साथ ही, पुराने पैकेजिंग मटीरियल का उपयोग 31 मार्च 2026 तक करने की छूट दी गई है.

GST रेट कट Image Credit: Getty image

GST Revision: केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने हालिया GST रेट में संशोधन के बाद प्री-पैकेज्ड सामानों के निर्माताओं, पैकर्स और आयातकों के लिए कंप्लायंस प्रक्रिया को काफी सरल बना दिया है. मंत्रालय ने अहम फैसले में अखबारों में रिवाइज्ड MRP के विज्ञापन देना अनिवार्य नहीं रहने दिया और कंपनियों को पुराने पैकेजिंग मटीरियल का इस्तेमाल मार्च 2026 तक जारी रखने की छूट दी है. 18 सितंबर को जारी अधिसूचना में मंत्रालय ने लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) रूल्स, 2011 के नियम 33 के तहत यह राहत देने का प्रावधान किया है. इसके तहत पहले के नियम, जिसमें टैक्स संशोधन के बाद रिवाइज्ड MRP का अखबारों में विज्ञापन देना जरूरी था, उसे अब समाप्त कर दिया गया है.

अब अखबारों में विज्ञापन देना अनिवार्य नहीं

पुराने नियम 18(3) के तहत, टैक्स में बदलाव होने पर निर्माताओं और आयातकों को रिवाइज्ड MRP की जानकारी दो अखबारों में विज्ञापन के जरिए देना अनिवार्य था. मंत्रालय के नए निर्देश के मुताबिक, अब कंपनियों के लिए केवल थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं को सर्कुलर जारी करना जरूरी होगा. साथ ही इसकी एक कॉपी केंद्र के निदेशक, लीगल मेट्रोलॉजी और सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के नियंत्रकों को सौंपनी होगी.

रिवाइज्ड प्राइस स्टिकर अब वैकल्पिक

अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि 22 सितंबर 2025 से पहले निर्मित पैकेजों पर कंपनियों के लिए रिवाइज्ड प्राइस दर्शाने वाले स्टिकर लगाना अब अनिवार्य नहीं, बल्कि वैकल्पिक है. मंत्रालय ने कहा कि, मौजूदा नियम 22 सितंबर 2025 से पहले निर्मित बिना बिके पैकेजों पर रिवाइज्ड प्राइस के स्टिकर लगाना अनिवार्य नहीं करते हैं.

पुरानी पैकेजिंग के इस्तेमाल की मिली छूट

सबसे महत्वपूर्ण राहत देते हुए मंत्रालय ने निर्माताओं और आयातकों को पुराने पैकेजिंग मटीरियल या रैपर का इस्तेमाल 31 मार्च 2026 तक या फिर उनके स्टॉक खत्म होने तक जारी रखने की अनुमति दे दी है. इस दौरान MRP में सुधार स्टैम्पिंग, स्टिकर लगाकर या ऑनलाइन प्रिंटिंग के जरिए किया जा सकता है. मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे बिना बिके स्टॉक या पैकेजिंग पर रिवाइज्ड यूनिट सेल प्राइस घोषित करना अनिवार्य नहीं है, हालांकि इसे स्वेच्छा से किया जा सकता है.

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