सिनेमा हॉल में बेचती थी स्नैक्स, अब लार टपका रहीं विदेशी कंपनियां; जानें कौन है बालाजी वेफर्स?

भारत के स्नैक मार्केट में एक नया मोड़ आने वाला है. अमेरिका की बड़ी कंपनी अब एक देसी ब्रांड के दरवाजे पर दस्तक दे रही है. यह वही कंपनी है जो पश्चिम भारत के घर-घर में नाम कमा चुकी है और अब निवेशकों की पहली पसंद बन रही है. जानें इस कंपनी में क्यों बढ़ रही है विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी.

इस भारतीय ब्रांड में एंट्री चाहता है अमेरिकी फूड किंग Image Credit: Money9 Live

General Mills Balaji Wafers: भारत के स्नैक मार्केट में इन दिनों हलचल मची हुई है. अमेरिका की दिग्गज फूड कंपनी जनरल मिल्स (General Mills Inc), जो दुनियाभर में पिल्सबरी और बेट्टी क्रॉकर जैसे मशहूर ब्रांड्स की मालिक है, अब गुजरात से निकली एक घरेलू कंपनी बालाजी वेफर्स में निवेश की संभावनाएं तलाश रही है. यह वही कंपनी है, जिसकी कहानी राजकोट के एक छोटे से सिनेमा हॉल की कैंटीन से शुरू होकर आज 6,500 करोड़ रुपये से ज्यादा के सालाना कारोबार तक पहुंच चुकी है.

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक जनरल मिल्स बालाजी वेफर्स में शुरुआती तौर पर पार्शियल हिस्सेदारी (करीब 10%) खरीदने की इच्छुक है, जो भविष्य में बड़े सौदे का रास्ता खोल सकती है. दिलचस्प बात यह है कि इस रेस में सिर्फ जनरल मिल्स ही नहीं, बल्कि पेप्सीको, आईटीसी और कई प्राइवेट इक्विटी फंड्स भी शामिल हैं.

कौन है बालाजी वेफर्स?

गुजरात से निकली यह कंपनी आज भारत की तीसरी सबसे बड़ी नमकीन और स्नैक बनाने वाली कंपनी है. पश्चिम भारत, खासकर गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान में इसका बाजार हिस्सा 65 फीसदी तक है. आलू चिप्स, भुजिया और नमकीन की कैटेगरी में बालाजी का नाम वहां के उपभोक्ताओं के लिए भरोसे का दूसरा नाम है.

कंपनी की खासियत इसका लो-कॉस्ट और हाई-एफिशिएंसी मॉडल है. बालाजी अपने रेवेन्यू का केवल 4 फीसदी विज्ञापन पर खर्च करती है, जबकि उद्योग में औसत 8-12 फीसदी है. यही वजह है कि वह कम दाम में भी अच्छी गुणवत्ता वाले प्रोडक्ट बाजार में उतार पाती है.

कंपनी की मजबूत वित्तीय स्थिति

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025 में बालाजी वेफर्स का राजस्व लगभग 6,500 करोड़ रुपये और शुद्ध लाभ करीब 1,000 करोड़ रुपये रहा. वहीं 2024 के वित्तीय आंकड़ों पर नजर डालें तो कंपनी ने 5,574 करोड़ रुपये का रेवेन्यू और 579 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया. इसकी कुल संपत्ति 2,624 करोड़ रुपये और नेटवर्थ 2,415 करोड़ रुपये रही. इन आंकड़ों से साफ है कि कंपनी न केवल प्रॉफिटेबल है बल्कि अपनी कैश रिजर्व पर भी मजबूत स्थिति रखती है.

कौन है कंपनी के पीछे?

बालाजी वेफर्स का नाम लिए बिना कंपनी की कहानी अधूरी है. इसके पीछे हैं चंदूभाई विरानी और उनके भाई, जिनकी गाथा किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं.

1970 के दशक में उनका परिवार राजकोट आ बसा. शुरुआती दिनों में चंदूभाई को आस्ट्रॉन सिनेमा हॉल की कैंटीन में नौकरी मिली. वहीं उन्होंने देखा कि दर्शक फिल्मों से ज्यादा आलू के वेफर्स पसंद कर रहे हैं. इसी एनालिसिस ने उनके मन में बिजनेस का बीज बोया.

1982 में मात्र 10,000 रुपये के निवेश से उन्होंने अपने भाइयों के साथ बालाज़ी वेफर्स की नींव रखी. शुरुआत छोटे स्तर से हुई, राजकोट के आसपास के दुकानों में सप्लाई देकर. लेकिन उनकी मेहनत और गुणवत्ता के भरोसे ने कारोबार को तेजी से आगे बढ़ाया.

फैक्ट्री से ब्रांड बनने तक

1989 में कंपनी ने गुजरात की पहली मैकेनाइज्ड चिप्स फैक्ट्री लगाई. 1992 में इसे आधिकारिक रूप से बालाज़ी वेफर्स प्राइवेट लिमिटेड के रूप में रजिस्टर कराया गया. ब्रांड का नाम भी खास था, इसे प्रेरणा मिली भगवान हनुमान की मूर्ति से, जो उनके विश्वास और हिम्मत का प्रतीक थी.

1995 में बालाज़ी ने पूरी तरह ऑटोमेटेड सिस्टम लगाया और स्नैक प्रोडक्ट्स की रेंज को नमकीन और भुजिया तक बढ़ा दिया. धीरे-धीरे कंपनी ने स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान बनाई. आज बालाजी के पास चार बड़े मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स हैं और कंपनी आने वाले समय में इसे दोगुना करने की योजना बना रही है ताकि राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मौजूदगी को मजबूत कर सके.

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संभावनाओं से भरा सौदा

भारत का स्नैक मार्केट करीब 45,000 करोड़ रुपये का है और तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में अगर जनरल मिल्स जैसी विदेशी कंपनी बालाजी के साथ हाथ मिलाती है तो यह उसके लिए भारतीय बाजार में मजबूत एंट्री होगी. वहीं बालाजी के लिए यह सौदा परिचालन दक्षता (Operational Efficiency) और भविष्य की IPO तैयारी में मददगार साबित हो सकता है.

हालांकि, संस्थापक चंदूभाई विरानी ईटी से बातचीत में साफ कर चुके हैं कि वे नियंत्रण छोड़ने के पक्ष में नहीं हैं. उनका कहना है, कंपनी के लिए निवेशक ढूंढने का मकसद सिर्फ विशेषज्ञता और अनुभव लाना है, हमारे पास पर्याप्त कैश रिजर्व है.

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