शशिधर जगदीशन पर लगे आरोपों को HDFC बैंक ने किया खारिज, कहा पुरानी रंजिश का लिया जा रहा बदला
लीलावती कीर्ति लाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट ने HDFC बैंक के सीईओ शशिधर जगदीशन पर करोड़ों की गड़बड़ी और रिश्वत के आरोप लगाए हैं. ट्रस्ट का दावा है कि कोर्ट के आदेश से दर्ज एफआईआर में 14.42 करोड़ रुपये के गबन का खुलासा हुआ है, जिसमें से 2.05 करोड़ रुपये सीधा जगदीशन को मिले.

HDFC Bank Denies Allegation of Lilavati Trust: देश के सबसे बड़े निजी बैंकों में से एक HDFC बैंक इन दिनों एक नए विवाद के केंद्र में है. बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (MD & CEO) शशिधर जगदीशन पर लीलावती कीर्ती लाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट (LKMM ट्रस्ट) ने भारी वित्तीय गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं. अब बैंक ने जगदीशन पर लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. उसका कहना है कि यह आरोप झूठे और दुर्भाग्यपूर्ण हैं. यह पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल है. वहीं दूसरी ओर, ट्रस्ट का दावा है कि जगदीशन ने करोड़ों रुपये की अवैध धनराशि प्राप्त की और उन्होंने सबूतों को दबाने की कोशिश भी की.
HDFC बैंक का क्या है जवाब?
बैंक ने एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि, “ये आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद, असंगत और झूठे हैं. हम इन्हें मजबूती से नकारते हैं.” बैंक ने बताया कि प्रशांत मेहता, जो ट्रस्ट के एक ट्रस्टी हैं और उनके परिवार पर एचडीएफसी बैंक का बड़ा कर्ज बकाया है जिसे वह सालों से नहीं चुका पाए हैं. बैंक ने पिछले 20 सालों में कई बार रिकवरी के लिए कानूनी कार्यवाही की लेकिन हर बार मेहता परिवार ने तरह तरह के कारनामों से प्रक्रिया को लंबित कर दिया है. इससे इतर, बैंक ने यह भी कहा कि, “सुप्रीम कोर्ट तक हारने के बाद अब उन्होंने बैंक के सीईओ पर व्यक्तिगत हमला किया है, ताकि कर्ज वसूली की प्रक्रिया को रोका जा सके और बैंक को धमकाया जा सके.”
क्या है ट्रस्ट के आरोप?
लीलावती अस्पताल का संचालन करने वाला ट्रस्ट, LKMM ट्रस्ट, ने आरोप लगाया है कि एक जब्त की गई नकद डायरी में 14.42 करोड़ रुपये की गड़बड़ी सामने आई है. इसमें से 2.05 करोड़ रुपये सीधा शशिधर जगदीशन तक पहुंचा जिससे उनकी संलिप्तता साबित होती है. इसके आधार पर ट्रस्ट ने न सिर्फ एचडीएफसी बैंक के बोर्ड, बल्कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) और वित्त मंत्रालय तक से अपील की है कि वे जगदीशन को तत्काल उनके सभी पदों से निलंबित करें.
ट्रस्ट का कहना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए निष्पक्ष जांच के लिए यह कदम जरूरी है. इसके अलावा ट्रस्ट ने यह भी कहा कि अस्पताल के कर्मचारियों को दिए गए 1.5 करोड़ रुपये के फंड को CSR फंड के रूप में दिखाया गया, लेकिन इसका असली मकसद सबूत मिटाना और जांच में बाधा डालना था.
कानूनी मांगें और अगली कार्रवाई
ट्रस्ट ने SEBI से यह भी मांग की है कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, तब तक शशिधर जगदीशन को किसी भी SEBI-रेगुलेटेड संस्था में पद संभालने से रोका जाए. ट्रस्ट का आरोप है कि बैंक ने अब तक Companies Act की धारा 166 और SEBI के गवर्नेंस नियमों का उल्लंघन किया है क्योंकि उसने कोई कार्रवाई नहीं की.
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