ICICI Bank को झटका, GST डिमांड नोटिस जारी; जानें क्या है मामला

ICICI Bank पर टैक्स अधिकारियों ने 49.11 करोड़ रुपये का डिमांड नोटिस जारी किया है. यह नोटिस वेस्ट बंगाल GST एक्ट 2017 की धारा 107 के तहत आया है. नोटिस में 23.52 करोड़ टैक्स, 23.23 करोड़ ब्याज और 2.35 करोड़ पेनाल्टी शामिल है. मामला ग्राहकों को न्यूनतम बैलेंस पर दी जाने वाली सेवाओं पर GST डिमांड से जुड़ा है.

ICICI Bank को 49.11 करोड़ रुपये का डिमांड नोटिस जारी किया है. Image Credit: @Tv9

ICICI Bank को टैक्स अथॉरिटी से बड़ा झटका लगा है. बैंक ने जानकारी दी है कि उस पर 49.11 करोड़ रुपये का डिमांड नोटिस जारी किया गया है. यह नोटिस GST के कथित कम पेमेंट को लेकर लगाया गया है. बैंक ने बताया कि यह आदेश वेस्ट बंगाल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स एक्ट 2017 की धारा 107 के तहत जारी किया गया है. इसमें टैक्स, ब्याज और पेनाल्टी शामिल है.

कितना है कुल डिमांड

नोटिस में कुल 49.11 करोड़ रुपये की डिमांड की गई है. इसमें 23.52 करोड़ रुपये टैक्स, 23.23 करोड़ रुपये ब्याज और 2.35 करोड़ रुपये पेनाल्टी शामिल है. यह आदेश एडिशनल कमिश्नर ऑफ रेवेन्यू अपील्स वेस्ट बंगाल की ओर से 15 सितंबर 2025 को जारी किया गया है.

किस बात पर उठा विवाद

नोटिस में बैंक द्वारा ग्राहकों को न्यूनतम बैलेंस रखने पर दी जाने वाली सेवाओं पर GST डिमांड का मुद्दा शामिल है. टैक्स विभाग का मानना है कि इस सर्विस पर भी GST लगाया जाना चाहिए. बैंक का कहना है कि पहले भी इसी मामले में अलग अलग टैक्स अधिकारियों से शो कॉज नोटिस और आदेश मिल चुके हैं.

बैंक ने क्या कदम उठाए

ICICI Bank ने कहा है कि उसने इस मामले पर पहले ही रिट याचिकाएं दायर की हैं. बैंक का इरादा है कि वह इस आदेश को चुनौती देगा और निर्धारित समयसीमा के भीतर अपील दाखिल करेगा. यह पहली बार नहीं है जब ICICI Bank पर ऐसा नोटिस आया है. इससे पहले भी टैक्स अधिकारियों ने इसी मुद्दे पर शो कॉज नोटिस भेजे थे. अब फिर से अपील ऑर्डर के रूप में यह मामला सामने आया है.

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क्यों अहम है मामला

बैंक ने कहा कि इस मामले की राशि काफी बड़ी है और यह उसकी मटेरियलिटी थ्रेशहोल्ड को पार कर चुकी है. इसी वजह से इसे सार्वजनिक तौर पर रिपोर्ट करना जरूरी था. अब यह देखना होगा कि आगे की अपील में बैंक को राहत मिलती है या नहीं. Bank ने साफ किया है कि वह कानूनी विकल्प अपनाएगा. बैंक इस आदेश को चुनौती देगा और अपने पक्ष को मजबूत तरीके से पेश करेगा. आने वाले समय में इस पर न्यायालय का फैसला ही तय करेगा कि टैक्स का पेमेंट करना पड़ेगा या बैंक को राहत मिलेगी.

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