अमेरिकी दबाव का नहीं हो रहा असर, सितंबर में भी बढ़ा भारत-रूस का ऑयल ट्रेड, 16 दिनों में ही रिकॉर्ड बढ़ोतरी
भारत की रूस से तेल की खरीद सितंबर में भी मजबूत बनी हुई है. अमेरिका ने 50 फीसदी टैरिफ और आलोचनाओं के बावजूद भारत ने आयात में कटौती नहीं की. सितंबर के पहले 16 दिनों में भारत ने रोजाना 1.73 मिलियन बैरल रूस से इंपोर्ट किया है.
Russian Oil: भारत की रूस से तेल इंपोर्ट सितंबर में भी मजबूत बना हुआ है. अमेरिकी दबाव और 50 फीसदी टैरिफ के बावजूद भारत ने रूस से क्रूड ऑयल की सप्लाई में कटौती नहीं की है. सितंबर के पहले 16 दिनों में भारत ने रोजाना 1.73 मिलियन बैरल रूस से इंपोर्ट किया. पिछले जुलाई और अगस्त में यह मात्रा 1.59 और 1.66 मिलियन बैरल प्रति दिन थी. रूस के बंदरगाहों पर तेल की लोडिंग भी स्थिर बनी हुई है.
अमेरिकी दबाव का असर नहीं
अमेरिका ने भारत पर दबाव डाला कि वह रूस से तेल की खरीद कम करे. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 25 फीसदी बेस रेट और 25 फीसदी सेकेंडरी टैरिफ लगाई. इसके साथ ही ट्रंप के सीनियर अधिकारी भी भारत के रूस से तेल खरीदने के फैसले की आलोचना करते रहे. इसके बावजूद भारत ने अपनी रणनीति नहीं बदली.
रूस से लगातार बढ़ रहा इंपोर्ट
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर में रूस के बंदरगाहों से तेल की लोडिंग स्थिर रही. भारत के रिफाइनर लगातार रूस से क्रूड इंपोर्ट कर रहे हैं. इससे यह साफ होता है कि अमेरिकी दबाव का भारतीय ऑयल इंडस्ट्री पर कोई खास असर नहीं पड़ा है.
रिश्तों में सुधार के संकेत
हाल ही में अमेरिकी और भारतीय अधिकारियों के बीच टैरिफ के मामले को हल करने के प्रयास बढ़े हैं. 16 सितंबर को अमेरिकी डेलिगेशन नई दिल्ली पहुंचे. इसके अलावा, ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 75वां जन्मदिन की शुभकामनाएं भी दी. यह दोनों देशों के संबंधों में नरमी का संकेत माना जा रहा है.
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नहीं झुका भारत
भारत ने रूस से तेल खरीद को रणनीतिक फैसले के रूप में जारी रखा है. अमेरिकी टैरिफ और आलोचनाओं के बावजूद देश ने एनर्जी सिक्यूरिटी और कच्चे तेल की लगातार सप्लाई पर ध्यान दिया. जानकारों का मानना है कि यह फैसला भारत के एनर्जी और आर्थिक हितों के लिए जरूरी है.