मोदी–पुतिन की बैठक में बहुपक्षीय समझौते, ऊर्जा से उर्वरक तक 2030 तक व्यापार विस्तार पर सहमति
भारत और रूस की शीर्ष स्तरीय बैठक में कुछ ऐसे फैसले लिए गए जिन्होंने द्विपक्षीय संबंधों की दिशा को नया रूप दे दिया. व्यापक क्षेत्रों में सहयोग की बात हुई और अब निगाहें इस बात पर हैं कि इन फैसलों का असर वास्तविक व्यापार और नीति स्तर पर कैसे दिखेगा.
भारत और रूस ने गुरुवार को आर्थिक सहयोग को नई दिशा देने वाला प्रोग्राम तय किया, जिसके तहत दोनों देशों ने 2030 तक व्यापार विस्तार का लक्ष्य रखा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई बातचीत के बाद कई अहम समझौते हुए, जिनसे ऊर्जा, उर्वरक, खाद्य सुरक्षा और समुद्री परिवहन जैसे क्षेत्रों में साझेदारी मजबूत होगी.
एनर्जी सप्लाई और फर्टिलाइजर प्रोडक्शन में बड़ा कदम
रूस ने भारत को निरंतर ईंधन आपूर्ति का भरोसा दिया. पुतिन ने कहा, “हम भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए निरंतर ऊर्जा आपूर्ति जारी रखने के लिए तैयार हैं.” यह आश्वासन ऐसे समय में आया है जब वैश्विक ऊर्जा बाजार अनिश्चितताओं से गुजर रहे हैं.
भारत की कंपनियों और रूस की यूरालकेम के बीच रूस में यूरिया प्लांट लगाने का समझौता हुआ. इसे औद्योगिक सहयोग की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है, जिससे भारत की कृषि जरूरतों के लिए फर्टिलाइजर सप्लाई चेन मजबूत होगा.
खाद्य सुरक्षा, चिकित्सा और उपभोक्ता संरक्षण में भी सहयोग
बैठक के दौरान FSSAI और रूस की विभिन्न एजेंसियों के बीच खाद्य सुरक्षा, चिकित्सा विज्ञान, प्रशिक्षण और उपभोक्ता संरक्षण सहित कई क्षेत्रों में समझौते हुए. इसके अलावा पोर्ट और शिपिंग सेक्टर में सहयोग के लिए भी MOU पर हस्ताक्षर हुए, जो समुद्री लॉजिस्टिक्स में साझेदारी को आगे बढ़ाएगा.
बहुपक्षीय स्तर पर रूस ने इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस में शामिल होने के लिए ढांचा समझौते पर हस्ताक्षर किए. यह पहल वन्यजीव संरक्षण पर दोनों देशों की साझा प्राथमिकताओं को दिखाती है.
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EEU के साथ FTA की कवायद तेज
पीएम मोदी ने कहा कि भारत यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ मुक्त व्यापार समझौते को जल्दी अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा, “हमने 2030 तक व्यापार विस्तार के लिए आर्थिक सहयोग कार्यक्रम पर सहमति बनाई है.”