India-Russia 23 Summit: कारोबार से आतंकवाद तक संयुक्त वक्तव्य में क्या बोले दोनों देश, जानें 10 बड़ी बातें

भारत-रूस 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में दोनों देशों ने व्यापार, ऊर्जा, रक्षा, आतंकवाद, आर्कटिक सहयोग, परमाणु परियोजनाओं और वैश्विक सुरक्षा पर अहम सहमति जताई. संयुक्त वक्तव्य में 2030 तक 100 अरब डॉलर व्यापार लक्ष्य, आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस, INSTC और परमाणु सहयोग को नई गति देने जैसे बड़े ऐलान शामिल रहे.

प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन Image Credit: X/Narendra Modi

23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में दुनिया को यह साफ संदेश दिया गया है कि अब दोनों देश अपनी साझेदारी को नई ऊंचाई पर ले जाने को तैयार हैं. यह साझेदारी अब सिर्फ हथियारों की खरीद-फरोख्त तक सीमित नहीं रहेगी. बल्कि, इसके दायरे में कारोबार, ऊर्जा, रक्षा उत्पादन और अत्याधुनिक तकनीक से लेकर आतंकवाद, आर्कटिक, परमाणु सहयोग और जियो-पॉलिटिक मसलों पर करीबी सहयोग शामिल होगा. इसके साथ ही दोनों देशों ने द्विपक्षीया रिश्तों के लिए अगले दशक का एक विजन भी पेश किया है, जो आपसी संबंधों की गहराई और भारत की वैश्विक भूमिका को मजबूत करता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने द्विपक्षीय बातचीत के दौरान राजनीतिक, सैन्य, आर्थिक, ऊर्जा, तकनीक, शिक्षा, अंतरिक्ष और सांस्कृतिक क्षेत्र सहित सभी मोर्चों पर सहयोग की प्रगति की सराहना की. इस बैठक के बाद जारी किए गए संयुक्त वक्तव्य में बताया गया है कि रूस और भारत दोनों का मानना है कि बदलते वैश्विक परिदृश्य के बीच यह साझेदारी न केवल प्रासंगिक है, बल्कि उनके राष्ट्रीय हितों और वैशिक बहुध्रुवीय संतुलन के लिए जरूरी भी है. दोनों पक्षों ने संबंधों की पूर्ण क्षमता का उपयोग करने का संकल्प व्यक्त किया. आइए जानते हैं संयुक्त वक्तव्य की 10 अहम बातें.

1. 2030 तक 100 अरब डॉलर ट्रेड का लक्ष्य

भारत और रूस ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य तय किया है. इसमें खास जोर “संतुलित और टिकाऊ व्यापार संरचना” पर दिया गया है. रूस ने भारत के निर्यात में तेजी लाने, एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग में औद्योगिक सहयोग बढ़ाने और FTA वार्ता को गति देने पर सहमति जताई है. टैरिफ व गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने, लॉजिस्टिक्स में अड़चनें मिटाने, इंश्योरेंस–रीइंश्योरेंस सॉल्यूशन बनाने और पेमेंट सिस्टम बनाने को इस लक्ष्य का अहम हिस्सा बताया गया है. दोनों देशों ने स्वीकार किया कि नियमित बिजनेस-टू-बिजनेस संपर्क लक्ष्य की प्राप्ति में निर्णायक भूमिका निभाएंगे.

2. रुपये–रूबल और डिजिटल इंटरऑपरेबिलिटी

संयुक्त वक्तव्य में दोनों देशों ने अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं में ट्रेड सेटलमेंट को मजबूत करने पर जोर दिया है, ताकि जियो-पॉलिटिकल बाधाओं से सुरक्षा मिले और डॉलर-निर्भरता के बीच व्यापार निर्बाध चल सके. भारत और रूस ने पेमेंट मैसेज सिस्टम, नेशनल पेमेंट नेटवर्क और सेंट्रेल बैंक डिजिटल करेंसी प्लेटफार्मों की इंटरऑपरेबिलिटी विकसित करने पर परामर्श जारी रखने पर सहमति जताई. यह सिस्टम भविष्य में दोनों देशों के बीच तेज, सुरक्षित और ट्रेसेबल डिजिटल पेमेंट का नया मॉडल तैयार करेगा. इससे न केवल द्विपक्षीय लेन-देन आसान होंगे, बल्कि बड़ी परियोजनाओं, ऊर्जा व्यापार और लंबी अवधि के कॉन्ट्रैक्ट्स में जटिल निपटान संबंधी अड़चनें भी कम होंगी.

3. ऊर्जा गठबंधन का विस्तार

ऊर्जा क्षेत्र को “रणनीतिक साझेदारी का केंद्रीय स्तंभ” मानते हुए दोनों देशों ने तेल, गैस, LNG-LPG इन्फ्रास्ट्रक्चर, पेट्रोकेमिकल तकनीक और अपस्ट्रीम सेवाओं में नई परियोजनाओं पर फोकस बढ़ाया है. भारत ने ऊर्जा आपूर्ति की विश्वसनीयता में रूस की भूमिका को रेखांकित किया, जबकि रूस ने भारतीय निवेशकों के लिए बाधाओं के समाधान का आश्वासन दिया. कुडनकुलम की शेष इकाइयों के निर्माण पर प्रगति, उपकरणों और ईंधन आपूर्ति की समयसीमा सुनिश्चित करने और भारत में दूसरे परमाणु संयंत्र स्थल को अंतिम रूप देने पर भी चर्चा आगे बढ़ी. अंडर ग्राउंड कोल गैसीफिकेशन (UCG) और भविष्य की परमाणु ऊर्जा क्षमता में भारत के 100 GW लक्ष्य में रूस प्रमुख तकनीकी भागीदार रहेगा.

4. रक्षा सहयोग में बड़ा बदलाव

रक्षा साझेदारी अब पारंपरिक आयात मॉडल से आगे बढ़कर “मेक-इन-इंडिया बेस्ड जॉइंट प्रोडक्शन” की दिशा ले रही है. IRIGC-M&MTC की बैठक के बाद दोनों देशों ने एडवांस्ड हथियार प्रणालियों के को-डेवलपमेंट, को-प्रोडक्शन, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और स्पेयर पार्ट्स–टूल्स के भारत में निर्माण को प्राथमिकता दी गई है. इससे भारतीय सशस्त्र बलों के लिए उपकरण रखरखाव और सप्लाई चेन मजबूत होगी. इंद्र सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण कार्यक्रम और हाई-लेवल रक्षा संवाद को भी बढ़ाया जाएगा. संयुक्त वक्तव्य में मित्र देशों को निर्यात हेतु संयुक्त उद्यमों के विकास का भी उल्लेख हुआ, जिससे Indo-Russia Defence Corridor मॉडल को नया बल मिलेगा.

5. चेन्नई से व्लाडीवोस्टक कॉरिडोर को गति

दोनों देशों ने स्वीकार किया कि ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत और रूस की भूमिका तभी मजबूत हो सकती है जब INSTC, पूर्वी समुद्री गलियारा (Chennai–Vladivostok) और नॉर्दर्न सी रूट (NSR) जैसे कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट गति पकड़ें. बयान में लॉजिस्टिक लिंक विस्तार, पोर्ट क्षमताओं को बढ़ाने और कस्टम-रेगुलेटरी प्रक्रियाओं को सरल करने पर खास जोर रहा. ध्रुवीय जल में जहाजों के लिए विशेषज्ञ प्रशिक्षण MoU से भारत NSR उपयोग के लिए तैयार होता दिखता है. यह ढांचा भारत को यूरोप और आर्कटिक क्षेत्रों तक तेज, कम लागत वाली वैकल्पिक व्यापार लाइन उपलब्ध कराएगा.

6. रूसी फार ईस्ट और आर्कटिक में भारत की बढ़ती उपस्थिति

रूसी फार ईस्ट को भारत “रणनीतिक आर्थिक विस्तार” का मुख्य केंद्र मानता है. दोनों देशों ने 2024–2029 के लिए कृषि, ऊर्जा, खनन, हीरा उद्योग, मानव संसाधन और समुद्री परिवहन जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का रोडमैप अपनाया. आर्कटिक में भारत की वैज्ञानिक और आर्थिक भागीदारी को मजबूत करने के लिए नियमित द्विपक्षीय परामर्श जारी रहेंगे. भारत नॉर्दर्न सी रूट में सक्रिय भूमिका निभाने और आर्कटिक काउंसिल में अपनी उपस्थिति बढ़ाने का इच्छुक है. यह सहयोग भारत को भविष्य की कोल्ड-रीजन सप्लाई चेन, समुद्री सुरक्षा और खनिज संसाधनों में नई संभावनाएं देता है.

7. अंतरिक्ष, विज्ञान और तकनीक

ISRO और Roscosmos ने मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रमों, रॉकेट इंजन विकास, उपग्रह नेविगेशन और ग्रहों की खोज में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है. उभरती प्रौद्योगिकियों, एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग और अहम खनिज और रेयर अर्थ की खोज के साथ ही इनकी रिसाइक्लिंग में साझेदारी को महत्व दिया गया है. दोनों देशों ने स्टार्ट-अप और MSME सेक्टर को जॉइंट R&D, टेक्नोलॉजिकल सॉल्यूशन और इनोवेशन चुनौतियों के जरिये जोड़ने की योजना बनाई है. सूचना सुरक्षा, साइबर प्रोटेक्शन और क्रिटिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ेगा, जिससे डिजिटल पारिस्थितिकी को नई मजबूती मिलेगी.

8. आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस

संयुक्त वक्तव्य में आतंकवाद को सबसे गंभीर वैश्विक खतरा बताते हुए, दोनों देशों ने सीमा पार आतंकवाद, आतंकवादी वित्तपोषण नेटवर्क और सुरक्षित ठिकानों को खत्म करने की आवश्यकता दोहराई. पहलगाम (J&K) और क्रोकस सिटी हॉल (मॉस्को) हमलों का उल्लेख करते हुए दोनों ने आतंकवाद की हर रूप में निंदा की और UN सूचीबद्ध समूहों जैसे अलकायदा, ISIS और सहयोगी नेटवर्क पर ठोस कार्रवाई की मांग की. ड्रोन, डिजिटल प्लेटफॉर्म, भुगतान तकनीकों और फंडिंग चैनलों के दुरुपयोग को रोकने के लिए संयुक्त सहयोग बढ़ाया जाएगा. संयुक्त राष्ट्र में व्यापक आतंकवाद-रोधी कन्वेंशन को शीघ्र अपनाने पर भी सहमति रही.

9. UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता को समर्थन

रूस ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के प्रति अपना दृढ़ समर्थन दोहराया, यह मानते हुए कि वैश्विक वास्तविकताओं के अनुसार UNSC का विस्तार अनिवार्य है. G20 में ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं को भारत द्वारा केंद्र में लाने की सराहना की गई. ब्रिक्स में राजनीतिक सुरक्षा, आर्थिक और सांस्कृतिक स्तंभों के तहत विस्तार और समन्वय बढ़ाने पर सहमति रही. एससीओ ढांचे में भी दोनों देश मिलकर बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था, क्षेत्रीय स्थिरता, आतंकवाद रोधी रणनीति और आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाएंगे.

10. जलवायु पर संयुक्त प्रतिबद्धता

दोनों देशों ने पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने, कार्बन कटौती तकनीक, सतत वित्त और उत्सर्जन कम करने वाली प्रणालियों पर कार्य तेज करने पर जोर दिया. संयुक्त जलवायु कार्य-समूह की पहली बैठक के परिणामों का स्वागत किया गया और आर्टिकल 6 (कार्बन मार्केट) पर सहयोग मजबूत करने पर सहमति बनी. जैव विविधता, दुर्लभ और प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर भी प्रतिबद्धता दोहराई गई. रूस ने इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस में शामिल होने की दिशा में बढ़त दिखाई, जो भारत की वैश्विक पर्यावरण नेतृत्व भूमिका को मजबूती देता है.