रिलायंस समूह पर ED की फिर बड़ी कार्रवाई! ₹1120 करोड़ की नई संपत्तियां अटैच, अटैचमेंट 10117 करोड़ के पार

एक बड़े कारोबारी समूह से जुड़ा मामला इस हफ्ते फिर सुर्खियों में छाया रहा. जांच एजेंसियों की ताजा कार्रवाई ने केस के दायरे और गहराई दोनों को बढ़ा दिया है. अब बाजार, निवेशक और कानूनी हलके सभी इस पर नजर रखे हुए हैं कि आगे जांच किस दिशा में जाती है.

अनिल अंबानी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. Image Credit: Getty image

अनिल अंबानी के रिलायंस समूह से जुड़े कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है. एजेंसी ने 1,120 करोड़ रुपये की अतिरिक्त संपत्तियां अस्थायी तौर पर अटैच कर ली हैं, जिसके बाद अब तक की गई कुल अटैचमेंट 10,117 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. ताजा कार्रवाई से संकेत मिलता है कि जांच आगे जा सकती है.

मुंबई के प्रमुख रिलायंस सेंटर सहित 18 संपत्तियां अटैच

अधिकारियों के अनुसार, नए अटैचमेंट में रिलायंस अनिल अंबानी समूह की 18 संपत्तियां शामिल हैं. इनमें मुंबई के बल्लार्ड एस्टेट स्थित प्रमुख रिलायंस सेंटर, फिक्स्ड डिपॉजिट, बैंक खाते और अनेक अप्रकाशित निवेशों में हिस्सेदारी शामिल हैं. कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग निवारण कानून (PMLA) के तहत की गई है.

ईडी ने रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की सात संपत्तियां, रिलायंस पावर लिमिटेड की दो और रिलायंस वैल्यू सर्विस प्राइवेट लिमिटेड की नौ संपत्तियां भी फ्रीज की हैं. इसके अलावा, विभिन्न समूह कंपनियों जैसे रिलायंस वैल्यू सर्विस, रिलायंस वेंचर एसेट मैनेजमेंट, फाई मैनेजमेंट सॉल्यूशंस, आधार प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी और गेमसा इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट के फिक्स्ड डिपॉजिट और निवेश भी जांच दायरे में आए हैं.

जांच की जड़ में कंपनी वित्तीय अनियमितताओं के आरोप

ईडी की जांच रिलायंस समूह की कई कंपनियों में कथित वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर है. एजेंसी ने पहले बैंक धोखाधड़ी से जुड़े मामलों, रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस और रिलायंस होम फाइनेंस की भी जांच की थी. उस चरण में 8,997 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां अटैच की गई थीं.

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ईडी का कहना है कि यह कार्रवाई इसलिए की जा रही है ताकि जांच पूरी होने तक संपत्तियों की बिक्री या हस्तांतरण को रोका जा सके. रिलायंस समूह ने इस नई कार्रवाई पर अब तक कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया जारी नहीं की है. अधिकारियों का कहना है कि आने वाले समय में फंड फ्लो, संपत्तियों के मूल्यांकन और समूह कंपनियों की भूमिका की और जांच की जाएगी. इससे साफ है कि मामला अभी शुरुआती चरण से आगे बढ़ चुका है और जांच और लंबी चल सकती है.