Forex Reserves लगातार दूसरे सप्ताह गिरावट, 1.88 अरब डॉलर घटकर 686 अरब डॉलर पर पहुंचा
भारत के फॉरेक्स रिजर्व में लगातार दूसरी हफ्ते गिरावट दर्ज हुई है. RBI के मुताबिक 28 नवंबर को खत्म हफ्ते में रिजर्व 1.88 अरब डॉलर टूटकर 686 अरब डॉलर पर आ गया. जहां विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में भारी कमी दिखी, वहीं गोल्ड रिजर्व और SDR की बढ़त ने दबाव को कुछ कम किया.
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में नवंबर के आखिरी हफ्ते भी गिरावट जारी रही है. RBI के ताजा आंकड़ों के मुताबिक फॉरेक्स रिजर्व 1.88 अरब डॉलर घटकर 686.22 अरब डॉलर पर आ गया है. लगातार दूसरे हफ्ते बड़ी निकासी से रुपया और आयात लागत पर संभावित दबाव बढ़ने के संकेत मिलते हैं, हालांकि गोल्ड रिजर्व में मजबूत बढ़त ने गिरावट को आंशिक रूप से थामने की कोशिश की है.
लगातार दूसरे सप्ताह गिरावट
RBI के साप्ताहिक आंकड़े बताते हैं कि 28 नवंबर को खत्म हफ्ते में कुल फॉरेक्स रिजर्व 1.877 अरब डॉलर गिरकर 686.227 अरब डॉलर रह गया. इससे पहले वाले वीक में भी रिजर्व 4.472 अरब डॉलर टूटा था. दो हफ्तों में कुल गिरावट 6.3 अरब डॉलर के पार पहुंच चुकी है, जो यह संकेत देती है कि मुद्रा रक्षा और पूंजी प्रवाह में उतार-चढ़ाव का असर रिजर्व पर दिख रहा है.
फॉरेन करेंसी एसेट्स में गिरावट
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां यानी FCA, जो रिजर्व का सबसे बड़ा हिस्सा होती हैं, इस हफ्ते 3.569 अरब डॉलर गिरकर 557.031 अरब डॉलर रह गईं. FCA में यह कमजोरी डॉलर की मजबूती, बॉन्ड यील्ड में उतार-चढ़ाव और RBI के संभावित बाजार हस्तक्षेप की तरफ इशारा करती है. RBI के मुताबिक FCA में यूरो, पाउंड और येन जैसी मुद्राओं के उतार-चढ़ाव का भी असर आता है.
गोल्ड रिजर्व ने दी राहत
इस हफ्ते गोल्ड रिजर्व 1.613 अरब डॉलर बढ़कर 105.795 अरब डॉलर पर पहुंच गया. सोने की वैश्विक कीमतों में तेजी और RBI की रणनीतिक खरीद ने गिरते फॉरेक्स रिजर्व को आंशिक सहारा दिया है. यह लगातार उन ट्रेंड्स को मजबूत करता है जिनमें कई केंद्रीय बैंक डॉलर एक्सपोजर को कम कर सोने में आवंटन बढ़ा रहे हैं.
SDR और IMF पोजिशन सुधरी
Special Drawing Rights यानी SDR इस हफ्ते 63 मिलियन डॉलर बढ़कर 18.628 अरब डॉलर पर पहुंच गए. इसके साथ ही IMF में भारत की रिजर्व पोजिशन 16 मिलियन डॉलर बढ़कर 4.772 अरब डॉलर हो गई है. ये दोनों बढ़तें संकेत देती हैं कि भारत की मल्टीलेटरल फाइनेंशियल विंडो मजबूत बनी हुई है.
क्या संकेत देती है यह गिरावट?
दो हफ्तों की तीखी गिरावट यह बताती है कि RBI ने रुपये को सपोर्ट करने और बाहरी वित्तीय दबाव को मैनेज करने के लिए बाजार में सक्रिय इंटरवेंशन किया है. इसके साथ ही अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और डॉलर इंडेक्स में उतार-चढ़ाव का भी परोक्ष असर दिख रहा है. हालांकि 686 अरब डॉलर का विशाल रिजर्व भारत के लिए पर्याप्त बफर बना हुआ है, जो आयात और बाहरी झटकों से अर्थव्यवस्था को सुरक्षा देता है.
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