मार्च से अक्टूबर तक 3.5% टूट गया रुपया, वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में सामने आई अंदर की बात

मार्च 2025 से अक्टूबर 2025 तक भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 3.5 फीसदी कमजोर हुआ है. वित्त मंत्रालय की October Monthly Economic Review के अनुसार यह गिरावट धीरे-धीरे हुई और इसका मुख्य कारण ग्लोबल मार्केट में बना दबाव है.

रुपये में कमजोरी Image Credit: freepik

Rupee vs Dollar: भारतीय रुपया पिछले कुछ समय से लगातार गिरावट का सामना कर रहा है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मार्च 2025 से अक्टूबर 2025 तक भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगभग 3.5 फीसदी कमजोर हुआ है. वित्त मंत्रालय की October Monthly Economic Review में यह साफ बताया गया है कि पिछले सात महीनों में यह गिरावट तेज झटकों वाली नहीं, बल्कि धीरे-धीरे हुई. रिपोर्ट के मुताबिक रुपया जिस दबाव का सामना कर रहा है, वह मुख्य रूप से वैश्विक कारणों से जुडा है. मजबूत होता अमेरिकी डॉलर, ऊंची अमेरिकी ब्याज दरें और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में बनी अस्थिरता इसके प्रमुख कारण हैं.

वैश्विक दबाव के बीच रुपये की चाल

रिव्यू पीरियड में अमेरिकी डॉलर लगातार मजबूत हुआ, जिससे लगभग सभी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की करेंसी पर दबाव बढा है. रुपये ने सितंबर से अक्टूबर के बीच अपेक्षाकृत स्थिर रेंज में कारोबार किया और 87.8–88.8 प्रति डॉलर के दायरे में रहा. मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार यह कम उतार-चढाव दिखाता है कि ग्लोबल करेंसी मार्केट कुछ हद तक स्थिर हुआ, जबकि भारत में पोर्टफोलियो फ्लो भी संतुलित रहा.

RBI की आक्रामक पॉलिसी

रुपये को स्थिर रखने के लिए RBI ने स्पॉट मार्केट में बडे पैमाने पर दखल दिया. मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी–सितंबर 2025 में RBI ने 37.99 बिलियन डॉलर बेचे, जो 2022 के बाद किसी भी नौ महीने में सबसे ज्यादा है. जनवरी–सितंबर 2022 में यह आंकडा 58.255 बिलियन डॉलर था.

वहीं FY26 (अप्रैल–सितंबर 2025) में रिजर्व बैंक अब तक 23.5 बिलियन डॉलर बेच चुका है. डॉलर बेचकर रुपये खरीदने की यह रणनीति RBI की उस पॉलिसी का हिस्सा है, जिसके तहत वह रुपये को तेज गिरावट से बचाता है और लिक्विडिटी को नियंत्रित करता है.

FDI में मजबूती, FPI में उतार-चढाव

रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल–सितंबर FY26 में भारत को 24 बिलियन डॉलर का नेट FDI मिला, जो पिछले साल के 15.6 बिलियन डॉलर से काफी अधिक है. पोर्टफोलियो मोर्चे पर अक्टूबर में सुधार दिखा और 4 बिलियन डॉलर का नेट FPI इनफ्लो दर्ज किया गया. हालांकि अप्रैल–नवंबर 2025 (25 नवंबर तक) कुल मिलाकर FPI ने 205 मिलियन डॉलर नेट पैसा बाहर निकाला है.

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