भारत पर US टैरिफ के 100 दिन: बेदम बिजनेस से निर्यात लड़खड़ाया, छंटनी की तलवार, लेकिन तूफान में बच गए ये धंधे
अमेरिका के 25-50 फीसदी टैरिफ लागू होने के 100 दिनों में भारत का निर्यात तेजी से गिरा, लेबर-इंटेंसिव सेक्टर दबाव में आए और व्यापार घाटा रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. हालांकि एक रिपोर्ट बताती है कि भारत ने इस झटके का सामना नए बाजारों, नीति समर्थन और जारी व्यापार वार्ताओं के सहारे किया.
100 days of US tariff: अमेरिका की व्यापार नीति में आए टैरिफ मोड़ ने भारत के निर्यात ढांचे को ऐसे झकझोर दिया है कि उसका असर कई उद्योग झेल रहे हैं. 7 अगस्त 2025 को जब अमेरिकी प्रशासन ने भारतीय प्रोडक्ट पर 25 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाया, तो किसी ने नहीं सोचा था कि कुछ ही हफ्तों में यह बढ़कर 50 फीसदी तक पहुंच जाएगा. लेकिन ठीक यही हुआ, और इसके अगले 100 दिन भारत के लिए सिर्फ आर्थिक परीक्षा नहीं बल्कि रणनीतिक धैर्य और प्रतिक्रिया की भी परख बन गए.
Brickwork Ratings की ताजा रिपोर्ट इसी झटके की पूरी कहानी सामने रखती है कि कैसे इन सौ दिनों में भारतीय उद्योगों की रफ्तार धीमी पड़ी, रोजगार दबाव में आए, निवेश रुका और व्यापार संतुलन रिकॉर्ड स्तर पर डगमगाया. हालांकि इन 100 दिनों में भारत ने जहां भारी नुकसान झेला, वहीं अपने निर्यात ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव भी शुरू किए, जो आने वाले वर्षों की दिशा तय कर सकते हैं.

निर्यात में सबसे तेज गिरावट
मई 2025 में अमेरिका को भारत का निर्यात 8.8 अरब डॉलर था. अक्टूबर 2025 तक यह घटकर 5.3 अरब डॉलर रह गया, यानी करीब 40 फीसदी की गिरावट. यह सिर्फ एक झटके वाला महीना नहीं था, बल्कि पांच महीनों तक चलने वाली लगातार गिरावट थी.

इस गिरावट के पीछे कई कारण एक साथ काम कर रहे थे. टैरिफ अचानक बढ़ जाने से भारतीय उत्पादों की कीमत प्रतिस्पर्धी नहीं रह गई. उसी समय, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देश कम टैक्स और कम लागत के कारण अमेरिकी बाजार में सहजता से जगह बना रहे थे. अमेरिका की घरेलू मांग भी थोड़ी कमजोर पड़ी, जिससे भारतीय निर्यात की गति और धीमी हो गई. भारतीय MSME सेक्टर पहले ही लागत बढ़ने और फाइनेंसिंग के दबाव में था; टैरिफ ने उनकी स्थिति और मुश्किल बना दी.
सबसे ज्यादा चोट लेबर-इंटेंसिव उद्योगों पर
रिपोर्ट साफ बताती है कि इस टैरिफ का सबसे बड़ा असर उन्हीं क्षेत्रों पर पड़ा जहां करोड़ों लोग काम करते हैं, टेक्सटाइल, रेडीमेड गारमेंट, जेम्स एंड ज्वैलरी, फ्रोजन श्रिम्प, लेदर और प्रोसेस्ड फूड.
इन सेक्टर में अमेरिकी बाजार की निर्भरता अधिक है, इसलिए टैरिफ बढ़ने का असर तुरंत दिखा. कई इकाइयों ने उत्पादन कम किया, मजदूरों के काम के घंटे घटाए, और कहीं-कहीं अस्थायी छंटनी भी करनी पड़ी. वियतनाम और ASEAN देशों के उत्पाद भारत के मुकाबले 20-30 फीसदी सस्ते पड़ने लगे, जिससे भारतीय आपूर्तिकर्ता अमेरिकी खरीदारों की पसंद से धीरे-धीरे बाहर होते गए.
तीन कैटेगरी में बंटा निर्यात और हर सेगमेंट में गिरावट
रिपोर्ट भारतीय निर्यात को तीन कैटेगरी में बांटती है, टैरिफ-फ्री सेक्टर, समान वैश्विक टैरिफ वाले सेक्टर, और 50% टैरिफ वाले सेक्टर. बीते महीनों में इन तीनों कैटेगरी में गिरावट देखी गई.
कैटेगरी A: टैरिफ-फ्री उत्पाद
- स्मार्टफोन: मई 2025 में 2.29 बिलियन डॉलर से घटकर सितंबर 2025 में 884.6 मिलियन डॉलर रह गया.
- फार्मास्यूटिकल्स: मई 2025 में 745.6 मिलियन डॉलर से घटकर सितंबर 2025 में 628.3 मिलियन डॉलर हो गया.
- ये दोनों ही सेक्टर भारत के प्रमुख (फ्लैगशिप) सेक्टर हैं और PLI स्कीम से लाभ पाने वाले बिजनेस हैं.
कैटेगरी B: एकसमान टैरिफ वाले सेक्टर
- एक्सपोर्ट वैल्यू में 16.7% की गिरावट आई. यह मई 2025 में 0.6 बिलियन डॉलर से घटकर सितंबर 2025 में 0.5 बिलियन डॉलर हो गया.
- प्रमुख सेक्टरों में धातु और ऑटो पार्ट्स, एल्युमिनियम, आयरन और स्टील, तथा कॉपर शामिल हैं.
- इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिका की औद्योगिक मंदी है, न कि भारतीय प्रतिस्पर्धा में कमी, क्योंकि सभी देशों पर समान टैरिफ लागू है.
कैटेगरी C: 50% भारत-विशेष टैरिफ वाले उत्पाद
- निर्यात मूल्य में 33% की भारी गिरावट आई. मई 2025 में 4.8 बिलियन डॉलर से घटकर सितंबर 2025 में 3.2 बिलियन डॉलर रह गया.
- प्रमुख सेक्टरों में जैम्स और ज्वैलरी, सोलर पैनल, टेक्सटाइल और गारमेंट, केमिकल्स, सीफूड, कृषि और प्रोसेस्ड फूड शामिल हैं.
गिरावट के बीच भारत का नए बाजारों की ओर रुख
हालांकि इस 100 दिन के उठापटक में भारत के हिस्से केवल घाटा नहीं आया. रिपोर्ट यह भी दिखाती है कि भारत ने इन 100 दिनों में तेजी से नए बाजारों की तलाश शुरू कर दी. कॉटन गारमेंट के निर्यात UAE, फ्रांस और जापान जैसे देशों में बढ़े. मरीन उत्पादों की मांग चीन, वियतनाम और थाईलैंड में 60 फीसदी से अधिक उछली.
इन वैकल्पिक बाजारों के कारण ही सितंबर 2025 में भारत का कुल निर्यात 36.38 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो साल-दर-साल 6.7 फीसदी की वृद्धि थी. यह इस बात का संकेत है कि भारत अकेले अमेरिकी बाजार पर निर्भर नहीं रहना चाहता और उसकी रणनीति अब बहु-क्षेत्रीय बन रही है.
कृषि क्षेत्र को राहत, लेकिन ट्रेड डेफिसिट रिकॉर्ड स्तर पर
12 नवंबर 2025 को अमेरिका ने चाय, कॉफी, मसाले, कोको, फल, जूस, केले और प्रोसेस्ड फूड जैसे 200 से अधिक उत्पादों पर टैरिफ वापस ले लिया. इस कदम से लगभग एक अरब डॉलर के सालाना भारतीय कृषि निर्यात को सीधी राहत मिलती है, जो कुल कृषि निर्यात का लगभग 40% हिस्सा हैं. इस छूट के बाद भारतीय उत्पादों को अमेरिकी सुपरमार्केट चेन में अधिक प्रतिस्पर्धी कीमतों पर जगह मिल सकेगी, जिससे लाभकारी प्रीमियम और वैल्यू-ऐडेड कैटेगरीज- जैसे मसाले, कॉफी, प्रोसेस्ड फूड और फल की मांग बढ़ने की संभावना है.
हालांकि कृषि क्षेत्र को यह राहत महत्वपूर्ण है, लेकिन व्यापक ट्रेड फ्रेमवर्क में भारत की चुनौतियां यथावत हैं. अक्टूबर 2025 में भारत का ट्रेड डेफिसिट 41.7 अरब डॉलर के अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जिसका मुख्य कारण सोने के आयात में रिकॉर्ड वृद्धि थी, जो तीन गुना होकर 14.72 अरब डॉलर तक पहुंच गया. इसी अवधि में अमेरिका को भारत का निर्यात भी टैरिफ और वैश्विक मांग की कमजोरी के चलते 8.7% घटकर 6.3 अरब डॉलर पर आ गया, जिससे व्यापार संतुलन पर और दबाव बढ़ा.

हालांकि सेवाओं का निर्यात लगभग 12% बढ़कर 38.5 अरब डॉलर पहुंचा और कुछ राहत मिली, लेकिन यह उछाल माल व्यापार की भारी गिरावट की भरपाई करने के लिए पर्याप्त नहीं था. नतीजतन, घटते निर्यात, बढ़ते आयात, वैश्विक अनिश्चितताओं और औद्योगिक मांग में कमजोरी ने मिलकर अक्टूबर को भारत के इतिहास का सबसे बड़ा मासिक ट्रेड डेफिसिट बना दिया.
यह भी पढ़ें: भारत पर टैरिफ का डबल अटैक! दोगुना करेगा अमेरिका का पड़ोसी, ऑटो और फार्मा कंपनियों की उड़ी नींद
भारत की रणनीति- सहायता, FTA और बातचीत
भारत ने इस अवधि में कई मोर्चों पर रणनीतिक कदम उठाए. MSME के लिए इंटरेस्ट सब्सिडी और आपातकालीन क्रेडिट जैसी योजनाएं तेज की गईं. लगभग 50 देशों के साथ नए व्यापार अवसर तलाशे गए. India-UK CEPA और India-EFTA जैसे मुक्त व्यापार समझौतों को गति दी गई.
साथ ही, अमेरिका के साथ बातचीत भी जारी रही जिसका पहला चरण लगभग पूरा है. रिपोर्ट का अनुमान है कि अगर टैरिफ राहत जल्द मिलती है तो भारत की GDP ग्रोथ पर पड़ा 0.5 फीसदी का अनुमानित दबाव कुछ हद तक कम हो सकता है.
Latest Stories
WinZO के को-फाउंडर्स गिरफ्तार, खिलाड़ियों के 43 करोड़ रोकने का है आरोप, ED का बड़ा एक्शन
व्हर्लपूल ऑफ इंडिया के शेयरों में पतझड़, एक ब्लॉक डील से बिखरा स्टॉक… 13 फीसदी टूटा
भारत पर टैरिफ का डबल अटैक! दोगुना करेगा अमेरिका का पड़ोसी, ऑटो और फार्मा कंपनियों की उड़ी नींद
