जामनगर ही नहीं इन 22 रिफाइनरी को पाक से बचाना जरूरी, हमले की आग यहां पहुंची तो होगी भारी तबाही
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच देश की ऊर्जा सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है. कुछ रिफाइनरी हाई एलर्ट पर हैं. अगर इन पर हमला हुआ, तो देश की अर्थव्यवस्था और आम जनजीवन पर क्या असर पड़ेगा? जानिए इस संभावित संकट की पूरी कहानी.

India Pakistan conflict: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े सैन्य तनाव ने देश की ऊर्जा सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता खड़ी कर दी है. गुरूवार यानी 8 मई को सरकार ने गुजरात के जामनगर में स्थित रिलायंस की तेल रिफाइनरी को हाई अलर्ट पर रखने का आदेश दिया. वहां कि सुरक्षा बढ़ा दी गई है. जामनगर स्थित दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी पर संभावित हमले को लेकर जो चिंता सामने आई थी वह अब देश की सभी प्रमुख तेल रिफाइनरियों तक पहुंच चुकी है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर भारत-पाकिस्तान हमले का आग इन रिफाइनरी तक पहुंची तो देश की अर्थव्यवस्था और ऊर्जा आपूर्ति पर क्या असर पड़ेगा?
भारत की रिफाइनिंग क्षमता का बुनियादी ढांचा
भारत में कुल 23 तेल रिफाइनरी हैं, जिनमें 19 सरकारी, 3 प्राइवेट है और 1 संयुक्त उद्यम की रिफाइनरी शामिल है. भारत की कुल रिफाइनिंग कैपेसिटी 256.816 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MMTPA) है. इनमें जामनगर की रिलायंस इंडस्ट्रीज की दो रिफाइनरियां, DTA और SEZ है जिसकी क्षमता क्रमशः 33 और 35.2 MMTPA है. इनके अलावा वडीनार (20 MMTPA), कोच्चि (15.5), पारादीप और पनिपत (दोनों 15 MMTPA), मैंगलोर (15 MMTPA) और कॉयली (13.7 MMTPA) जैसी रिफाइनरी भारत की रिफाइनिंग सेक्टर की रीढ़ हैं.
भारत को क्या फायदा होता है इन रिफाइनरी से?
इन रिफाइनरी के जरिए भारत न केवल अपनी घरेलू पेट्रोलियम जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि यह दुनिया का सातवां सबसे बड़ा रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पाद निर्यातक भी है. भारत की ये रिफाइनरिज दक्षिण एशिया, अफ्रीका और यूरोप जैसे बाजारों में पेट्रोल, डीजल, एलपीजी, और विमान ईंधन का निर्यात करती हैं जिससे देश को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा मिलती है.
2022-23 में भारत की GDP में ‘कोक और रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों’ का योगदान 2.12 लाख करोड़ रुपये था, जो 2012-13 में 1.56 लाख करोड़ रुपये रहा. भारत का भंडार भरने के अलावा इन फैक्ट्रियों में लाखों लाखों की संख्या में लोग काम करते हैं, जिससे उनके घर का राशन पानी चलता है.
सार्वजनिक क्षेत्र की रिफाइनरियां (PSU Refineries)
रिफाइनरी स्थान – वर्ष | कंपनी का नाम | क्षमता (एमएमटीपीए) |
---|---|---|
डिगबोई – 1901 | इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड | 0.650 |
गुवाहाटी – 1962 | इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड | 1.000 |
बरौनी – 1964 | इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड | 6.000 |
कोयली – 1965 | इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड | 13.700 |
बोनगाईगांव – 1974 | इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड | 2.700 |
हल्दिया – 1975 | इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड | 8.000 |
मथुरा – 1982 | इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड | 8.000 |
पानीपत – 1998 | इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड | 15.000 |
पारादीप – 2016 | इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड | 15.000 |
मनाली – 1965 | चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड | 10.500 |
कैवरे बेसिन – 1993 | चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड | 1.000 |
मुंबई – 1954 | हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड | 9.500 |
विजाग – 1957 | हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड | 13.700 |
मुंबई – 1955 | भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड | 12.000 |
बीना – 2011 | भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड | 7.800 |
कोच्चि – 1963 | भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड | 15.500 |
नवी मुंबई – 2000 | मंगालोर रिफाइनरी लिमिटेड | 5.000 |
मंगलोर – 1996 | मंगालोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड | 15.000 |
तडीपल्लीगुडेम, आंध्र प्रदेश – 2001 | ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड | 0.066 |
कुल सार्वजनिक रिफाइनरी: 157.316 एमएमटीपीए
निजी क्षेत्र की रिफाइनरियां (Private Sector Refineries)
रिफाइनरी स्थान – वर्ष | कंपनी का नाम | क्षमता (एमएमटीपीए) |
---|---|---|
डीटीए-जामनगर – 1999 | रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड | 33.000 |
एसईजेड-जामनगर – 2008 | रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड | 35.200 |
वडिनार – 2006 | नायरा एनर्जी (पूर्व में एस्सार ऑयल लिमिटेड) | 20.000 |
कुल निजी क्षेत्र क्षमता: 88.200 एमएमटीपीए
ज्वाइंट वेंचर रिफाइनरी (JV Refineries)
रिफाइनरी स्थान – वर्ष | कंपनी का नाम | क्षमता (एमएमटीपीए) |
---|---|---|
बठिंडा – 2012 | एचपीसीएल मित्तल एनर्जी लिमिटेड | 11.300 |
कुल JV रिफाइनरी क्षमता: 11.300 एमएमटीपीए
अगर युद्ध में रिफाइनरियों को निशाना बनाया गया तो क्या होगा?
अगर पाकिस्तान द्वारा जामनगर जैसी किसी भी रिफाइनरी पर हमला किया जाता है तो इसके गंभीर प्रभाव होंगे:
- तेल की आपूर्ति में रुकावट: देश भर में पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की किल्लत हो सकती है, जिससे ट्रांसपोर्ट, एग्रीकल्चर और इंडस्ट्री तीनों प्रभावित होंगे.
- महंगाई में उछाल: ईंधन की कमी के चलते परिवहन महंगा होगा जिसका असर खाद्य वस्तुओं समेत सभी जरूरी सामानों पर पड़ेगा.
- विदेशी व्यापार प्रभावित: भारत की पेट्रोलियम निर्यात क्षमता घटेगी, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ेगा.
- राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा: सेना और अन्य सुरक्षा बलों के लिए जरूरी ईंधन की आपूर्ति बाधित हो सकती है.
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क्या भारत तैयार है?
सरकार ने ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए तीन जगहों – विशाखापट्टनम, मंगलुरु और पादूर में रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार बनाए हैं, जिनकी कुल क्षमता 5.33 मिलियन मीट्रिक टन है. लेकिन यह केवल अस्थायी समाधान हो सकता है. इसलिए जामनगर के साथ-साथ कोच्चि, पारादीप, पनिपत, मैंगलोर और वडीनार जैसी रिफाइनरिज की सुरक्षा बेहद जरूरी हो जाती है.
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