कर्नाटक में सब्जीवाले को 29 लाख के GST नोटिस पर भिड़े केंद्र-राज्य, UPI पर उतरा व्यापारियों का गुस्सा

कर्नाटक में एक सब्जीवाले को दिया गया 29 लाख रुपये का GST नोटिस केंद्र और राज्य सरकार के बीच रस्साकशी का मुद्दा बन गया है. वहीं, राज्य में UPI पर व्यापारियों का गुस्सा फूट पड़ा. राजधानी बेंगलुरु सहित पूरे राज्य में व्यापक स्तर पर व्यापारियों ने UPI से पेमेंट लेना बंद कर दिया है.

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Karnataka Vegetable Vendor GST Notice: इन दिनों कर्नाटक के व्यापारी UPI से दूर भाग रहे हैं. भले ही UPI ने उनका जीवन आसान बनाया है. उन्हें बार-बार बैंक नहीं जाना पड़ता, हर रोज कैश नहीं को संभालना पड़ता. लेकिन, अब दुकानों के बाहर ‘No UPI, Only Cash’ लिखा जाने लगा है. असल में कर्नाटक में UPI ट्रांजैक्शन के आधार पर बहुत से कारोबारियों को GST नोटिस जारी किए गए. पिछले दिनों इसी सिलसिले में एक सब्जीवाले को 29 लाख रुपये का नोटिस मिला. सब्जी वाले ने दलील दी कि उसका बिजनेस पूरी तरह GST से मुक्त है, ऐसे में उसे यह नोटिस देना प्रताड़ना से कम नहीं है.

सब्जीवाले को क्यों दिया गया नोटिस?

GST अधिकारियों का कहना है कि UPI ट्रांजैक्शन डाटा के आधार पर यह संदेह हुआ कि सब्जीवाले की सालाना आय 20 लाख की कर-मुक्त सीमा से ज्यादा है. लिहाजा, जब जांच की गई, तो पता चला कि उसने 1 करोड़ से ज्यादा का लेनदेन किया है, जिसके आधार पर 29 लाख की GST देनदारी का नोटिस भेजा गया. Deccan Herald की रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक के हावेर में पिछले चार साल से सब्जी की दुकान चला रहे शंकरगौड़ा हदीमनी रजिस्टर्ड GST टैक्सपेयर नहीं है. वे एक छोटी सब्जी की दुकान चलाते हैं. चार सालों में उनका कुल डिजिटल लेनदेन 1.63 करोड़ रुपये हुआ, सिर्फ इसके आधार पर उन्हें 29 लाख रुपये का GST नोटिस जारी कर दिया गया.

केंद्र राज्य में रस्साकशी क्यों?

इस मामले में सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने लिखा, यह बेहद हास्यास्पद है कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने छोटे व्यापारियों को कर बकाया का नोटिस दिया है और अब कह रही है कि राज्य सरकार और जीएसटी नोटिस का इससे कोई लेना-देना नहीं है.

केंद्र की कोई भूमिका नहीं

जोशी ने कहा कि जीएसटी के दो भाग होते हैं. केंद्र सरकार के अधीन CGST और राज्य सरकारों के अधीन SGST होता है. छोटे व्यापारियों को नोटिस राज्य सरकार के वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा दिए गए हैं. इसमें केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार फल, दूध, सब्जियों सहित रोजमर्रा की जरूरी वस्तुओं और सेवाओं के व्यापारियों को नोटिस देकर उन्हें परेशान कर रहे हैं.


राज्य सरकार की सफाई

वहीं, इस मामले में कर्नाटक सरकार का कहना है कि ये नोटिस केवल “जानकारी मांगने के लिए हैं”, न कि फाइनल टैक्स डिमांड के हैं. सरकार का कहना है कि वे GST नियमों को लागू कर रहे हैं, न कि उत्पीड़न.

व्यापारी संगठनों का विरोध

इस मुद्दे ने राज्यभर के व्यापारियों में आक्रोश है. FKCCI और अन्य संगठनों ने सरकार से स्पष्ट दिशा-निर्देश की मांग की है. इसके साथ ही 23 से 25 जुलाई तक राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा भी की है. इसके साथ ही व्यापारियों का कहना है कि वे अब UPI के बजाय नकद लेनदेन को प्राथमिकता दे रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि वे ईमानदारी से टैक्स देना चाहते हैं, लेकिन UPI ट्रांजैक्शन के आधार पर GST नोटिसों ने डर का माहौल बना दिया गया है.

क्या है कहते हैं नियम?

GST के तहत यदि किसी व्यापार का सालाना टर्नओवर सेवाओं के मामले में 20 लाख और वस्तुओं के मामले में 40 लाख से अधिक होती है, तो GST रजिस्ट्रेशन जरूरी होता है. हालांकि, जानकारों का मानना है कि केवल UPI ट्रांजैक्शन को टर्नओवर मान लेना तकनीकी रूप से गलत हो सकता है, क्योंकि इसमें लेनदेन की पुनरावृत्ति और पारिवारिक व गैर-बिक्री भुगतान भी शामिल हो सकते हैं.