13200 करोड़ रुपये तक की हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में LIC, SEBI का दबाव; जानें- क्या है मेगा प्लान

LIC Stake: यह कदम सिक्योरिटीज एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के निर्देश के अनुसार पब्लिक हिस्सेदारी को 10 फीसदी तक बढ़ाने के प्रयास का हिस्सा है. 3 जुलाई से एलआईसी का शेयर अपने आईपीओ प्राइस बैंड 949 रुपये के स्तर से नीचे चल रहा है.

हिस्सेदारी कम करने की तैयारी में एलआईसी. Image Credit: Getty image

LIC Stake: केंद्र सरकार साल के अंत तक भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में 1-1.5 अरब डॉलर (8,800-13,200 करोड़ रुपये) की हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है. अगले कुछ हफ्तों में रोड शो होने की संभावना है. यह कदम सिक्योरिटीज एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के निर्देश के अनुसार पब्लिक हिस्सेदारी को 10 फीसदी तक बढ़ाने के प्रयास का हिस्सा है. सरकार ने मई 2022 में इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) के जरिए LIC में 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर 20,557 करोड़ जुटाए थे, जो भारत में अब तक की सबसे बड़ी शेयर बिक्री में से एक है.

सरकार के पास कितनी हिस्सेदारी?

मिनिमम पब्लिक इश्यू की लिमिट को पूरा करने के लिए, उसे 16 मई 2027 तक 6.5 फीसदी हिस्सेदारी और बेचनी होगी, जिसकी मौजूदा वैल्यू 4.2 अरब डॉलर या 37,000 करोड़ रुपये से थोड़ा अधिक है. सरकार के पास वर्तमान में 96.5 फीसदी हिस्सेदारी है. सूत्रों ने बताया कि सरकार समय सीमा के भीतर 6.5 फीसदी हिस्सेदारी को टुकड़ों में बेचने का इरादा रखती है, लेकिन इसे धीरे-धीरे बेचा जाएगा.

निवेशकों की मांग पर आधारित निर्णय

ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, रिपोर्ट के अनुसार, धीरे-धीरे हिस्सेदारी ऑफलोड करने के पीछे की वजह यह है कि शेयर में गिरावट न आए और इसका असर शेयरधारकों पर न पड़े. इस मामले से अवगत एक मर्चेंट बैंकर ने कहा, ‘हिस्सेदारी बिक्री कई चरणों में की जाएगी और हमें उम्मीद है कि पहला चरण चालू तिमाही के अंत से पहले पूरा हो जाएगा.’

आईपीओ प्राइस से नीचे शेयर

3 जुलाई से एलआईसी का शेयर अपने आईपीओ प्राइस बैंड 949 रुपये के स्तर से नीचे चल रहा है. मंगलवार को यह मामूली बढ़त के साथ 900.7 पर बंद हुआ, जिससे इसकी मार्केट वैल्यू 5.7 लाख करोड़ रुपये हो गई. इस प्रक्रिया को संभालने वाले निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग ने अगली हिस्सेदारी बिक्री की सटीक समय-सीमा और वॉल्यूम को अंतिम रूप देने के लिए विचार-विमर्श तेज कर दिया है.

यह भी तय किया जा रहा है कि इस डील को कैसे आगे बढ़ाया जाए, क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) या ऑफर फॉर सेल (OFS). रिपोर्ट के अनुसार, यह आने वाले हफ्तों में होने वाले रोड शो में निवेशकों की मांग पर आधारित होगा. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इस मामले पर चर्चा चल रही है, लेकिन अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है. उन्होंने कहा, ‘फिलहाल इस पर कोई भी टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी.’

हिस्सेदारी कम करना क्यों है जरूरी?

मई 2024 में LIC को SEBI से 10 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डिंग की आवश्यकता को पूरा करने के लिए तीन साल का विस्तार मिला. LIC को मई 2032 तक 25 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डिंग की आवश्यकता पूरी करनी है. नियामक ने बैंकों जैसे सरकारी वित्तीय संस्थानों सहित कई बड़ी संस्थाओं के लिए अनिवार्य 25 फीसदी पब्लिक फ्लोट आवश्यकता को पूरा करने की समय सीमा बढ़ा दी है, ताकि किसी भी समय शेयरों की अधिक सप्लाई के जोखिम से बचा जा सके.

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