रतन टाटा के लिए मेहली मिस्त्री ने परिवार से की थी बगावत, बन गए थे सबसे भरोसेमंद; खत्म हो गया ‘ट्रस्ट’

Tata Trust Mehli Mistry: नवंबर 2022 में दो सबसे बड़े टाटा ट्रस्ट्स सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में नियुक्त किए गए मेहली रतन टाटा के सबसे भरोसेमंद सहयोगी थे. लेकिन अब विरासत की बंदूकों पर दबदबे के लिए छिड़ी जंग बता रही है कि मिस्त्री और टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टियों के ये लड़ाई खिंच जाएगी.

मेहली मिस्त्री और टाटा ट्र्स्ट विवाद. Image Credit: AI

Tata Trust Mehli Mistry: टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टियों के बीच खींची तलवारें, ये बताने के लिए काफी हैं कि बोर्ड के भीतर भरोसे की कमी किस कदर हो गई है. दिवंगत उद्योगपति रतन टाटा ने अपनी विरासत की बंदूकें दशकों तक अपने करीबी विश्वासपात्र रहे मेहली मिस्त्री के हाथों में सौंपकर रखी थीं. लेकिन अब विरासत की बंदूकों पर दबदबे के लिए छिड़ी जंग बता रही है कि मिस्त्री और टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टियों के ये लड़ाई खिंच जाएगी.

मिस्त्री एम. पलोनजी समूह के प्रमुख हैं, जिसकी शिपिंग, ड्रेजिंग और ऑटो डीलरशिप में रुचि है.Cउस समय उनकी नियुक्ति को दिवंगत टाटा समूह के संरक्षक द्वारा अपने प्रमुख सहयोगियों को इस प्रतिष्ठित व्यावसायिक समूह को नियंत्रित करने वाली परोपकारी संस्थाओं की कमान सौंपने के रूप में देखा गया था.

टाटा ट्रस्ट्स में नियुक्ति

मिस्त्री ने रतन टाटा के प्रति अपनी प्रशंसा व्यक्त की थी, जब उन्हें 2022 में टाटा ट्रस्ट्स के बोर्ड में नियुक्त किया गया था. इसके बाद उन्होंने कहा था कि वे रतन टाटा को अपना गुरु मानते हैं. तब मिस्त्री ने एक और बात कही थी, ‘मैं वही करूंगा जो वह (रतन टाटा) मुझसे करवाना चाहेंगे. मुझे हर समय उनके हितों की रक्षा करनी होगी.’

2016 में साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद टाटा-मिस्त्री के बीच एक लंबा टकराव चला, जो अलग-अलग मंचों पर खुलकर सामने भी आया.

अदालत में जाएगा मामला

मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, करीबी लोगों ने बताया कि मेहली मिस्त्री अपने निष्कासन को कानूनी चुनौती देंगे, जिससे अदालतों में टाटा-मिस्त्री के बीच एक और बड़ी लड़ाई की संभावना है, जिसमें इस बार नई परिस्थितियों में अलग-अलग व्यक्ति शामिल होंगे.

पिछले साल रतन टाटा के निधन के कुछ दिनों बाद, मेहली मिस्त्री ने ही नोएल टाटा को दो मुख्य टाटा ट्रस्ट्स का चेयरमैन नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा था. नोएल टाटा उन तीन ट्रस्टियों में से एक थे जिन्होंने मिस्त्री को उन्हीं ट्रस्टों से बाहर कर दिया.

टाटा ट्रस्ट्स और टाटा संस

टाटा ट्रस्ट्स एक व्यापक संस्था है, जिसमें 15 परोपकारी संस्थाएं शामिल हैं. इनमें से 6 के पास टाटा संस में शेयर हैं. सर रतन टाटा ट्रस्ट्स और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट, जिनके बोर्ड में मिस्त्री एक ट्रस्टी थे, के पास क्रमशः टाटा संस के 27.98 फीसदी और 23.56 फीसदी शेयर हैं. छोटे ट्रस्टों के पास शेष 14.38 फीसदी शेयर हैं, जिससे टाटा ट्रस्ट्स के पास टाटा संस के 65.9 फीसदी शेयर हैं.

शापूरजी पलोनजी परिवार के पास टाटा संस में 18.38 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि टाटा समूह की 9 कंपनियों के पास 12.86 फीसदी हिस्सेदारी है. 7 व्यक्तियों के पास टाटा संस के शेष 2.87 फीसदी शेयर हैं. नोएल सबसे बड़े व्यक्तिगत शेयरधारक हैं, जिनके पास 1 फीसदी शेयर हैं. रतन टाटा के नाम पर 0.83 फीसदी और उनके भाई जिमी के पास 0.81 फीसदी शेयर हैं.

टाटा और मिस्त्री परिवार

मिस्त्री, नोएल टाटा की पत्नी के भी रिश्तेदार हैं. मेहली की मां और साइरस, आलू, शापूर और लैला मिस्त्री की मां बहनें थीं. नोएल टाटा का विवाह आलू मिस्त्री से हुआ है. शापूर मिस्त्री शापूरजी पलोनजी समूह के चेयरमैन हैं.

मेहली मिस्त्री के नाना इंग्लैंड में रहते थे, जहां उनकी मां का जन्म हुआ था. इसके बाद परिवार ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आयरलैंड में शरण ली, जहां शापूर और आलू मिस्त्री की मां का जन्म हुआ. यह छोटी सी बात आज भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि मेहली मिस्त्री के पास ब्रिटिश पासपोर्ट है, जबकि शापूर मिस्त्री, उनकी बहन आलू और नोएल टाटा आयरिश नागरिक हैं.

मेहली मिस्त्री और आलू मिस्त्री पैतृक पक्ष से भी संबंधित हैं. उनके पिता चचेरे भाई थे. उनके परदादा ने 1865 में लिटिलवुड पलोनजी नामक एक छोटी निर्माण कंपनी स्थापित की, जो शापूरजी पलोनजी समूह और एम पलोनजी समूह दोनों की पूर्वज थी.

मेहली के पिता केरसप मिस्त्री ने फिर एक व्यवसाय शुरू किया जो औद्योगिक स्तर पर पेंटिंग और कोटिंग के ठेके लेता था. मेहली और उनके भाई फिरोज़ के नेतृत्व में, इस व्यवसाय का विस्तार ड्रेजिंग, बार्जिंग और शिपिंग के क्षेत्र में हुआ. एम. पलोनजी समूह की ग्रोथ टाटा समूह से निकटता से जुड़ा था और दोनों घरानों के बीच 1950 के दशक से ही व्यापारिक संबंध रहे हैं. 1990 के दशक में टाटा पावर के साथ ही समूह ने ड्रेजिंग के सेक्टर में विविधता लाई. आज, यह स्टर्लिंग मोटर्स के जरिए कई टाटा मोटर्स डीलरशिप भी चलाता है.

घनिष्ठ संबंध

टाटा और मिस्त्री के बीच घनिष्ठ संबंधों ने मेहली को 9 साल पहले उस समय मुश्किल स्थिति में डाल दिया था, जब रतन टाटा और साइरस मिस्त्री के बीच विवाद छिड़ गया था. तब उन्होंने टाटा, जिन्हें वे अपना मार्गदर्शक मानते थे, के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया था, न कि साइरस के प्रति, जिनके साथ उनके पहले से ही तनावपूर्ण संबंध थे. बाद में, साइरस मिस्त्री गुट ने कई अदालती मामलों में मेहली मिस्त्री का नाम भी लिया था. मिस्त्री ने तब रतन टाटा और टाटा समूह के साथ अपनी एकजुटता दिखाने के लिए टाटा पावर के 200 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे.

मेहली के निकाले जाने के पीछे की वजहें

रिपोर्ट के अनुसार, मेहली टाटा ग्रुप द्वारा इटली की कमर्शियल व्हीकल कंपनी इवको ग्रुप के अधिग्रहण के फैसले को लगातार खींच रहे थे. यह डील 38 हजार करोड़ रुपये की है. कहा जा रहा है कि मेहली ग्रुप के चलते ही अधिग्रहण अटका हुआ है.

शापूरजी-पलोनजी समूह लगातार टाटा ट्रस्ट्स पर लिस्टिंग के लिए दबाव बना रहा था. इस समूह के पास टाटा संस में 18 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी है. जबकि नोएल टाटा लिस्टिंग के खिलाफ हैं.

इसके अलावा कहा जा रहा है कि मेहली ने बोर्ड के भीतर सुपरबोर्ड बना रखा था और उनका खेमा 66 फीसदी मेजॉरिटी हिस्सेदारी मेंटेन करके चल रहा था. इस वजह से टाटा ट्रस्ट्स के कामकाज में दिक्कतें आ रही थीं.

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