Maha Kumbh 2025: संगम किनारे होगा ‘महा’ बिजनेस, प्रयागराज में दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला
हर 12 साल में महाकुंभ का आयोजन होता है. 2025 में होने वाले मेले में 40 करोड़ से अधिक लोग भाग लेंगे. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है इतने बड़े स्तर पर आयोजित होने वाले इस मेले में बिजनेस के नजरिये से क्या-क्या हो रहा है? इस खबर में हम उसी पहलू पर बात करेंगे.
महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज (पहले इलाहाबाद) में होगा. गंगा और यमुना के संगम पर 13 जनवरी से 26 फरवरी तक ये आयोजन चलेगा. महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है. हिंदू धर्म में इसे काफी अहम माना जाता है. इस साल इस मेले में देश-विदेश से कुल 40 करोड़ से अधिक लोग भाग लेंगे. पिछला अर्धकुंभ 6 साल पहले प्रयागराज में ही हुआ था. हर 12 साल में इसका आयोजन होता रहा है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है इतने बड़े स्तर पर आयोजित होने वाले इस मेले में बिजनेस के नजरिये से क्या-क्या हो रहा है? इस खबर में हम आपको उसी पहलू के मद्देनजर जानकारी देंगे.
बजट में भी महाकुंभ शामिल
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महाकुंभ का राज्य की अर्थव्यवस्था पर काफी बड़ा प्रभाव पड़ेगा. 2024-25 के राज्य बजट में महाकुंभ के लिए 2,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए. इसके अलावा केंद्र की ओर से भी महाकुंभ के लिए 2,100 करोड़ रुपये के स्पेशल ग्रांट की मंजूरी मिली है.
कितना किया जाएगा खर्च
CII के एक पुराने रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 में हुए आखिरी महाकुंभ ने हवाई अड्डों, होटलों के विस्तार से कुल 12,000 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाया था. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी और कॉरपोरेट सेक्टर प्रयागराज में 45 दिवसीय महाकुंभ में ब्रांडिंग और मार्केटिंग के नाम पर कम से कम 3,000 करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी में है. कंपनियों को इस मेले में बड़े पैमाने पर खपत का मौका दिखाई दे रहा है. इसके अलावा इस मेले को आयोजित करने वाले कार्यकारी के अनुसार, कंपनियां मार्केटिंग खर्च को दोगुना कर रही है. स्टॉल्स की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. आध्यात्मिक पैक की लॉन्चिंग भी कर रही है.
2019 से दोगुना होगा 2025 में खर्च
महाकुंभ को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार, 13 दिसंबर को प्रयागराज पहुंचे और मेले के लिए शहर के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में 5,500 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया. पिछले महाकुंभों के मुकाबले 2025 का मेला काफी अलग है. इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी सरकार के विभिन्न विभागों के तुलनात्मक आंकड़े से पता चलता है कि 2025 का महाकुंभ 2019 के कुभ से काफी बड़ा साबित होने वाला है. लोगों की भागीदारी के आधार पर देखें तो 2025 में जहां कुल 40 करोड़ लोग इसमें शामिल होने वाले हैं, 2019 में 25 करोड़ तीर्थयात्रियों ने ही मेले में भाग लिया था.
कई मोर्चों पर होगा इजाफा
क्षेत्रफल के मोर्चे पर भी भिन्नता देखने को मिलेगी. मेला मैदान का क्षेत्रफल 4,000 हेक्टेयर है जो कि 2019 की तुलना में 20 फीसदी अधिक है. इस क्षेत्र को कुल 20 सेक्टरों में बांटा जाएगा. वहीं टेंट सिटी के आकार में भी काफी बढ़ोतरी हुई है. 2019 की तुलना में ये दोगुना हो गया है. क्षेत्र के आधार पर पक्के घाटों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. पहले जहां चार पक्के घाट हुआ करते थे, इस बार उसको बढ़ाकर 9 कर दिया गया है. सड़कों से लेकर पंटून पुलों तक की संख्या में इजाफा किया जाएगा. इसके साथ ही स्ट्रीट लाइटों की संख्या 40,000 से बढ़ाकर 67,000 की जाएगी.
बिजली की लगातार मांग के लिए उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने दो बिजली सबस्टेशन और 66 नए ट्रांसफार्मर स्थापित किए हैं. स्वच्छता और सीवरेज की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस बार मैदान में 1.5 लाख शौचालय बनाए जा रहे हैं वहीं शौचालयों को साफ रखने के लिए 10,000 सफाई कर्मचारी भी लगाए जाएंगे.
आवागमन को लेकर भी तैयारी तेज
ईटी की रिपोर्ट ने अधिकारी के हवाले से बताया कि तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए 550 से अधिक शटल बस और 7,000 रोडवेज बसें चलाई जाएंगी. इसके साथ ही बस स्टेशनों की संख्या को भी 5 से बढ़ाकर 7 कर दी गई है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेलवे महाकुंभ के दौरान लोगों की सुविधा के लिए 3,000 स्पेशल ट्रेन सहित तकरीबन 13,000 ट्रेनें चलाएगा. उनके हिसाब से मेले के दौरान लगभग 1.5 करोड़ से 2 करोड़ यात्री ट्रेन से शहर पहुंच सकते हैं.