रेयर अर्थ मैग्नेट के प्रोडक्शन की तैयारी में महिंद्रा और Uno Minda, चीन पर निर्भरता घटाने की बड़ी कोशिश
देश की कुछ प्रमुख ऑटो और ऑटो कंपोनेंट कंपनियां एक नई दिशा में कदम बढ़ा रही हैं. यह कदम भारत की रणनीतिक जरूरतों से भी जुड़ा है और सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना से भी. इस प्लान से चीन पर भारत की निर्भरता कम करने का इरादा साफ दिख रहा है.
भारत अब रेयर अर्थ मैग्नेट्स के लिए चीन पर निर्भर नहीं रहना चाहता. इसी दिशा में एक बड़ा बदलाव सामने आ रहा है. ऑटो सेक्टर की दिग्गज कंपनियां महिंद्रा एंड महिंद्रा और Uno Minda अब भारत में ही रेयर अर्थ मैग्नेट्स के निर्माण की योजना पर विचार कर रही हैं. यह कदम ऐसे वक्त में उठाया जा रहा है जब चीन ने इन जरूरी मैग्नेट्स के निर्यात पर पाबंदियां लगाई थीं और भारतीय कंपनियों को अब तक उनकी आपूर्ति की मंजूरी नहीं मिली है.
सरकार की आत्मनिर्भरता योजना और कंपनियों की पहल
सरकार पहले ही संकेत दे चुकी है कि वह रेयर अर्थ मैग्नेट्स का भंडार (स्टॉकपाइल) बनाएगी और देश में इनके निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए स्पेशल इंसेंटिव्स देगी. इन मैग्नेट्स का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों, डिफेंस उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक्स में होता है. रॉयटर्स के हवाले से सरकारी सूत्र ने कहा, “महिंद्रा जैसी कंपनियां देश में निवेश और उत्पादन के लिए तैयार हैं, ताकि चीन पर निर्भरता कम हो सके.”
महिंद्रा और Uno Minda का क्या है प्लान?
महिंद्रा ने हाल ही में दो इलेक्ट्रिक SUV लॉन्च की हैं और कंपनी इस सप्लाई को रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम मानती है. महिंद्रा सरकार के साथ हुई एक बैठक में यह भी कह चुकी है कि वह किसी घरेलू निर्माता के साथ साझेदारी करने या लॉन्ग-टर्म सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट साइन करने को तैयार है.
वहीं Uno Minda ने भी घरेलू स्तर पर मैग्नेट निर्माण में रुचि दिखाई है. यह कंपनी मारुति सुजुकी सहित कई प्रमुख वाहन निर्माताओं को पुर्जों की सप्लाई करती है. मारुति पहले ही चीन से सप्लाई बाधित होने के कारण उत्पादन में देरी की आशंका जता चुकी है.
Sona Comstar, जो Ford और Stellantis जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को इलेक्ट्रिक मोटर और गियर सप्लाई करती है, भारत में रेयर अर्थ मैग्नेट उत्पादन की योजना घोषित करने वाली पहली कंपनी रही. कंपनी ने जून में ही इस दिशा में अपने इरादे सार्वजनिक कर दिए थे.
भारत के पास है कच्चे माल की ताकत
भारत के पास दुनिया के पांचवें सबसे बड़े रेयर अर्थ रिजर्व्स हैं, जिससे कच्चे माल की उपलब्धता की चिंता नहीं है. हालांकि, इन खनिजों को निकालना और प्रोसेस करना तकनीकी और रेगुलेटरी रूप से चुनौतीपूर्ण है. फिलहाल देश में रेयर अर्थ की माइनिंग IREL नाम की सरकारी कंपनी करती है.
IREL साल 2024 में लगभग 2,900 टन रेयर अर्थ अयस्क (Rare Earth Ore) का प्रोडक्शन कर चुकी है, जो मुख्यतः न्यूक्लियर और डिफेंस सेक्टर में जाता है. अब IREL इन अयस्कों का निर्यात रोककर देश में ही प्रोसेसिंग बढ़ाने की तैयारी में है.
विदेशों में भी बढ़ रही है भारत की पकड़
भारत सिर्फ घरेलू उत्पादन पर ही निर्भर नहीं रहना चाहता. रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2024 में IREL की एक टीम म्यांमार गई थी, जहां संभावित भंडारों का आकलन किया गया. इसके अलावा भारत पांच मध्य एशियाई देशों से भी संयुक्त खनन परियोजनाओं को लेकर बातचीत कर रहा है. रेयर अर्थ मैग्नेट की बढ़ती मांग को देखते हुए भारत की यह रणनीति आने वाले वर्षों में आत्मनिर्भरता की मजबूत नींव रख सकती है.