मर्जर की चर्चाओं के बीच बड़ा कदम, इस बैंक में 6% हिस्सा बेच रही सरकार, ₹2600 करोड़ जुटाने का लक्ष्य

बैंक मर्जर से पहले सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है. केंद्र सरकार बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 6% हिस्सेदारी बेचकर लगभग ₹2,600 करोड़ जुटाने की तैयारी में है. OFS के जरिए सरकारी स्टेक 75% से नीचे आएगा, जिससे SEBI के 25% न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियम का पालन हो सकेगा.

सरकार इन छोटे सरकारी बैंकों को करेगी मर्ज Image Credit: money9 live

सरकार बैंक ऑफ महाराष्ट्र में बड़ी हिस्सेदारी बिक्री की तैयारी में है. केंद्र सरकार बैंक में अपनी 79.6% हिस्सेदारी में से अधिकतम 6% बेचने की योजना बना रही है, ताकि सूचीबद्ध कंपनियों के लिए निर्धारित 25% न्यूनतम सार्वजनिक शेयरहोल्डिंग (MPS) नियम को पूरा किया जा सके. मौजूदा बाजार भाव ₹57.65 के आधार पर सरकार को इस OFS से लगभग ₹2,600 करोड़ मिलने का अनुमान है. सरकार की हिस्सेदारी लंबे समय से 75% से अधिक थी, जिस वजह से बैंक को MPS के अनुपालन के लिए यह कदम उठाना जरूरी हो गया है.

2 दिसंबर से OFS खुलेगा

DIPAM सचिव अरुणिश चावला ने बताया कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र का OFS मंगलवार, 2 दिसंबर को नॉन-रिटेल निवेशकों के लिए खुलेगा, जबकि रिटेल निवेशक इसके अगले दिन यानी 3 दिसंबर को हिस्सेदारी के लिए बोली लगा सकेंगे. सरकार ने पहले चरण में 5% इक्विटी बेचने का प्रस्ताव रखा है, जबकि 1% का ग्रीन शू ऑप्शन भी शामिल किया गया है, ताकि मांग अधिक होने की स्थिति में अतिरिक्त शेयर बेचे जा सकें. यह कदम बाजार की लिक्विडिटी और निवेशकों की दिलचस्पी को देखते हुए लिया गया है.

SEBI के MPS नियम

Bank of Maharashtra में यह डाइवेस्टमेंट केवल धन जुटाने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह SEBI के MPS नियमों के अनुपालन का भी हिस्सा है. SEBI ने सभी सूचीबद्ध कंपनियों, जिनमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम भी शामिल हैं, के लिए न्यूनतम 25% जनता के पास शेयर रखने का नियम अनिवार्य किया है. हालांकि सेबी ने CPSEs और सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों को अगस्त 2026 तक की राहत दी है, लेकिन सरकार धीरे-धीरे बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर बाजार में फ्री-फ्लोट बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रही है.

4 बैंकों में हिस्सेदारी MPS से ऊपर

फिलहाल, चार अन्य बैंक ऐसे हैं, जहां सरकार की हिस्सेदारी MPS सीमा से काफी ऊपर है, इंडियन ओवर Indian Overseas Bank (94.6%), Punjab & Sind Bank (93.9%), UCO Bank (91%) और Central Bank of India (89.3%). इन बैंकों में भी आने वाले समय में इसी तरह की हिस्सेदारी बिक्री देखने को मिल सकती है.

Q2FY26 नतीजे मजबूत उछाल

सरकारी बैंक ने सितंबर 2025 तिमाही में मजबूत वित्तीय प्रदर्शन किया है. बैंक का स्टैंडअलोन नेट प्रॉफिट 23% बढ़कर ₹1,633 करोड़ पर पहुंच गया, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह इससे काफी कम था. मुनाफे में यह बढ़त मुख्यतः बेहतर एसेट क्वालिटी, क्रेडिट ग्रोथ और ब्याज आय में वृद्धि की वजह से आई है.

बैंक की ब्याज आय सितंबर तिमाही में बढ़कर ₹7,128 करोड़ हो गई, जो एक साल पहले ₹6,017 करोड़ थी. इसी तरह कुल आय भी बढ़कर ₹7,973.61 करोड़ पर पहुंच गई, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में ₹6,809.2 करोड़ थी. बैंक की ऑपरेटिंग परफॉर्मेंस में यह सुधार बैलेंस शीट की मजबूती और बेहतर लोन बुक ग्रोथ को दर्शाता है.

एसेट क्वालिटी में सुधार जारी

बैंक की एसेट क्वालिटी लगातार सुधार के संकेत दे रही है. ग्रॉस NPA घटकर 1.72% पर आ गया, जो एक साल पहले 1.84% था. नेट NPA भी मामूली सुधार के साथ 0.18% पर पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही में 0.2% था. कम NPA से बैंक की जोखिम प्रोफाइल मजबूत हुई है और प्रोविजनिंग की जरूरत भी कम पड़ी है, जिससे मुनाफा बढ़ने में मदद मिली.

बढ़ेगा फ्री-फ्लोट

मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकारी हिस्सेदारी में कमी से स्टॉक का फ्री-फ्लोट बढ़ेगा और शेयर की लिक्विडिटी में सुधार होगा. इससे बैंक के वैल्युएशन पर भी सकारात्मक असर पड़ सकता है. OFS से मिलने वाली राशि सरकार की डिसइन्वेस्टमेंट योजना में भी योगदान देगी.