GST कटौती के 10 दिन बाद सरकार को मिली 3981 शिकायतें, दूध-लैपटॉप-फ्रिज जैसे सामानों पर हंगामा
22 सितंबर से लागू जीएसटी की नई दरों के बाद पहले 10 दिनों में ही नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन को 3,981 शिकायतें और सवाल मिले. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, इनमें से 69 फीसदी शिकायतें थीं. दूध की कीमतों को लेकर सबसे अधिक शिकायतें दर्ज की गईं, जबकि कई उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रॉनिक सामान पर पुरानी दरें चुकानी पड़ीं. यह स्थिति नई व्यवस्था को लेकर भ्रम को दर्शाती है.
Complaints after GST Rate Cut: 22 सितंबर को जीएसटी की नई दरें लागू होने के बाद पहले 10 दिनों में नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन को 3,981 शिकायतें और सवाल मिले. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने बताया कि इनमें से 69 फीसदी शिकायतें थीं, जो उपभोक्ताओं की बढ़ती उम्मीदों और जीएसटी सुधारों को लेकर भ्रम पैदा होने के बाद आया है. बाकी 31 फीसदी सवाल थे.
दूध की कीमतों पर सबसे ज्यादा शिकायतें
कंज्यूमर्स की सबसे ज्यादा शिकायतें दूध की कीमतों को लेकर थीं. कई लोगों का कहना था कि डेयरी ने जीएसटी सुधार के बाद भी दूध की कीमतें कम नहीं कीं. मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ताजा दूध पहले से ही जीएसटी से मुक्त था और सुधार के बाद केवल अल्ट्रा-हाई-टेम्परेचर (UHT) दूध को भी छूट दी गई है. इसलिए, दूध की कीमतों में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए. मंत्रालय ने कहा कि इस भ्रम को दूर करने के लिए जीएसटी छूटों के बारे में बेहतर जानकारी देने की जरूरत है.
इलेक्ट्रॉनिक सामान पर भी असमंजस
लैपटॉप, फ्रिज और वॉशिंग मशीन जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामानों की खरीदारी करने वालों ने शिकायत की कि ई-कॉमर्स साइट्स पर उन्हें पुरानी जीएसटी दरों के हिसाब से कीमत चुकानी पड़ रही है. सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने बताया कि इनमें से ज्यादातर सामानों पर पहले से ही 18 फीसदी जीएसटी थी. केवल टेलीविजन, मॉनिटर, डिशवॉशर और एयर-कंडीशनर जैसे कुछ उत्पादों पर जीएसटी 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी किया गया है.
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जीएसटी 2.0: दो दरों की नई व्यवस्था
पिछले महीने सरकार ने जीएसटी व्यवस्था को सरल करते हुए ज्यादातर उत्पादों और सेवाओं पर दो दरें – 5 फीसदी और 18 फीसदी – लागू कीं. 12 फीसदी और 28 फीसदी की दरें खत्म कर दी गईं. इस सुधार से ऑटोमोबाइल, कपड़ा, एयर-कंडीशनर, पैकेज्ड फूड, स्वास्थ्य और जीवन बीमा जैसे 400 से ज्यादा उत्पादों और सेवाओं पर टैक्स कम हुआ. इस कदम से उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा देने के लिए 2 लाख करोड़ रुपये की राहत देने का अनुमान है.
एलपीजी और पेट्रोल पर गलतफहमी
कई उपभोक्ताओं को उम्मीद थी कि एलपीजी (रसोई गैस) की कीमतें कम होंगी, लेकिन मंत्रालय ने कहा कि घरेलू एलपीजी पर पहले से ही 5 फीसदी जीएसटी है और इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ. वहीं, पेट्रोल जीएसटी के दायरे में ही नहीं आता, इसलिए उसकी कीमतों को लेकर शिकायतें गलतफहमी का नतीजा हैं.
शिकायतों के लिए कई रास्ते
मंत्रालय ने उपभोक्ताओं को अपनी शिकायतें दर्ज करने के लिए कई विकल्प दिए हैं, जैसे नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन, टोल-फ्री नंबर, ऐप और 17 भाषाओं में व्हाट्सएप. 1,992 शिकायतें सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स (CBIC) को भेजी गई हैं, जबकि 761 शिकायतें कंपनियों को तुरंत हल करने के लिए दी गई हैं.
उपभोक्ताओं की उम्मीदें और भविष्य
शिकायतों की बढ़ती संख्या से पता चलता है कि उपभोक्ताओं की जीएसटी सुधारों से उम्मीदें बहुत ज्यादा हैं. खासकर खाने-पीने, ईंधन और घरेलू सामानों पर खर्च के मामले में लोग छोटे-छोटे टैक्स बदलावों पर भी तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं. मंत्रालय ने कहा कि सीसीपीए अब लोगों को यह समझाने के लिए और प्रयास करेगा कि किन सामानों पर जीएसटी दरें बदली हैं और किन पर नहीं.