Reliance Retail को बड़ी राहत, NCLT ने कंपनी की पूंजी हिस्सेदारी में कमी के खिलाफ खारिज की याचिका
रिलायंस इंडस्ट्रीज की कंपनी रिलायंस रिटेल (Reliance Retail) को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) से बड़ी राहत मिली है. NCLAT ने कहा कि कंपनी के शेयर पूंजी घटाने का फैसला एक Domestic Concern है और इसमें बहुमत की राय मायने रखती है. अगर छोटे निवेशकों को उनके शेयर का फेयर वैल्यू मिल रहा है और अधिकांश निवेशक इससे सहमत हैं, तो किसी एक व्यक्ति की आपत्ति पर कंपनी का निर्णय नहीं रोका जा सकता.
Reliance Retail: रिलायंस इंडस्ट्रीज की कंपनी रिलायंस रिटेल (Reliance Retail) को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) से बड़ी राहत मिली है. ट्रिब्यूनल ने एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कंपनी के शेयर पूंजी घटाने (Capital Reduction) के फैसले पर सवाल उठाए गए थे. साल 2023 में रिलायंस रिटेल ने फैसला किया कि कंपनी के 7865423 शेयर, जो छोटे शेयरधारकों (माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स) के पास थे. उन्हें वापस खरीदकर रद्द कर दिया जाए.
ये सभी शेयर प्रोमोटर्स या होल्डिंग कंपनी के पास नहीं थे. इसके लिए कंपनी ने छोटे शेयरधारकों को प्रति शेयर 1380 रुपये की दर से भुगतान करने का प्रस्ताव दिया. यह कीमत दो स्वतंत्र वैल्युएशन करने वालों (Valuers) ने जो “फेयर वैल्यू” तय की थी, उससे करीब 56% ज्यादा थी. ये शेयर कंपनी की कुल हिस्सेदारी का सिर्फ 0.09% थे.
किसने आपत्ति की?
इस फैसले के खिलाफ मुंबई के एनसीएलटी (National Company Law Tribunal) में एक शेयरधारक एन.जी. जोशी ने याचिका दाखिल की. उनके पास केवल 129 शेयर थे, जो कंपनी की कुल पूंजी का 0.0000014% हिस्सा था. जोशी ने आरोप लगाया कि कंपनी जबरदस्ती छोटे निवेशकों को बाहर कर रही है और यह अल्पसंख्यक निवेशकों (Minority Shareholders) के खिलाफ है.
उन्होंने कहा कि ऐसा कदम कंपनी कानून (Companies Act, 2013) की धारा 66 के खिलाफ है. हालांकि जनवरी 2024 में NCLT ने यह याचिका खारिज कर दी. एन.जी. जोशी ने इसके बाद NCLT के आदेश के खिलाफ NCLAT में अपील की. लेकिन पिछले हफ्ते NCLAT ने भी यह अपील खारिज कर दी और कहा कि कंपनी ने सही तरीके से शेयर कैपिटल घटाने का फैसला लिया है.
NCLAT ने क्या कहा?
- कंपनी ने शेयर पूंजी घटाने का प्रस्ताव एक स्पेशल रेजोल्यूशन के जरिए पास किया था.
- इस प्रस्ताव को 99.99% शेयरधारकों ने मंजूरी दी थी.
- छोटे निवेशकों को दिए गए ₹1,380 प्रति शेयर, फेयर वैल्यू से काफी ज्यादा थे.
- रिलायंस रिटेल के आर्टिकल 56 के मुताबिक कंपनी शेयर पूंजी घटा सकती है.
- न तो रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (ROC) और न ही रीजनल डायरेक्टर ने इस पर कोई बड़ी आपत्ति जताई.
- केवल एक ही शेयरधारक (जोशी) ने विरोध किया, जबकि बाकी किसी ने कोई शिकायत नहीं की.
ट्रिब्यूनल का तर्क
NCLAT ने कहा कि कंपनी के शेयर पूंजी घटाने का फैसला एक Domestic Concern है और इसमें बहुमत की राय मायने रखती है. अगर छोटे निवेशकों को उनके शेयर का फेयर वैल्यू मिल रहा है और अधिकांश निवेशक इससे सहमत हैं, तो किसी एक व्यक्ति की आपत्ति पर कंपनी का निर्णय नहीं रोका जा सकता.
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