E20 फ्यूल पर विवाद पर बोले नितिन गडकरी, कहा-अमीर और ताकतवर पेट्रोल लॉबी ने फैलाई गलतफहमी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने E20 फ्यूल विवाद को अमीर और ताकतवर पेट्रोल लॉबी की तरफ से फैलाया गया दुष्प्रचार करार दिया है. गडकरी ने कहा कि यह गलतफमी पेट्रोल लॉबी की तरफ से फैलाई जा रही है, ताकि ऑटो सेक्टर की ग्रोथ और इनोवेशन पर असर डाला जा सके.

नितिन गडकरी Image Credit: PTI PHOTOES

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने E20 फ्यूल विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह कुछ लोगों की तरफ से देश के ऑटो सेक्टर में हो रहे इनोवेशन में बाधा खड़ी करने का प्रयास है. असल में E20 फ्यूल में 20 फीसदी एथेनॉल और 80 फीसदी पेट्रोल होता है. पिछले दिनों सोशल मीडिया पर यह चर्चा शुरू हुई कि इसकी वजह से गाड़ियों का माइलेज कम होगा और इंजन की क्षमता घटेगी.

गडकरी ने फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के वार्षिक सम्मेलन में इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी. BS की रिपोर्ट के मुताबिक गडकरी ने कहा, “हर जगह लॉबी होती हैं. आप भी एक लॉबी हैं. कुछ प्रचार सोशल मीडिया पर चल रहा है. इसे कुछ लोग बढ़ावा दे रहे हैं. पेट्रोल लॉबी बहुत अमीर और ताकतवर है.”

इस मामले में पेट्रोलियम मंत्रालय पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि ईंधन दक्षता घटने की आशंका बेकार है. मंत्रालय ने कहा कि यदि हम E20 से हटकर पुराने ईंधन पर लौटे, तो पर्यावरण और एनर्जी ट्रांजिशन में मिली उपलब्धियों को नुकसान होगा.

सेमीकंडक्टर और रेयर मेटल्स पर क्या कहा?

गडकरी ने कहा कि भारत पहले से ही सेमीकंडक्टर चिप्स और रेयर अर्थ मेटल्स के लिए चीन पर निर्भर रहा है. लेकिन अब भारत में चिप निर्माण शुरू हो गया है. इसके साथ ही स्टार्टअप्स नई बैटरी तकनीक जैसे- सोडियम आयन, लिथियम आयन, जिंक आयन, एल्यूमिनियम आयन पर काम कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पुराने वाहनों को स्क्रैप करने से भी रेयर मेटल्स मिल सकते हैं. सरकार इसके लिए एक प्रोत्साहन योजना भी लाई है.

पेट्रोल-डीजल वाहनों का भविष्य

गडकरी ने कहा कि वैकल्पिक ईंधन और इलेक्ट्रिक वाहन बढ़ रहे हैं, लेकिन पेट्रोल और डीजल गाड़ियों की मांग बनी रहेगी. ऑटोमोबाइल निर्माण की ग्रोथ 15-20 फीसदी है. अंतरराष्ट्रीय बाजार भी बहुत बड़ा है. इसलिए इन वाहनों की मांग कम नहीं होगी.

भारत को नंबर 1 बनाने का लक्ष्य

गडकरी ने बताया कि जब उन्होंने मंत्रालय संभाला, तब भारत की ऑटो इंडस्ट्री 14 लाख करोड़ रुपये की थी और दुनिया में 7वें नंबर पर थी. अब यह 22 लाख करोड़ तक पहुंच गई है और तीसरे नंबर पर है. उन्होंने कहा कि अमेरिका का ऑटो उद्योग 78 लाख करोड़ रुपये का है, चीन का 47 लाख करोड़ रुपये का और भारत 22 लाख करोड़ रुपये का है. नई तकनीक, बैटरी इनोवेशन और क्वालिटी के दम पर भारत को नंबर 1 बन सकता है.