ऑपरेशन सिंदूर से निकले ये ‘रत्‍न’, डिफेंस सेक्‍टर के बनेंगे बादशाह, दुनिया भी मानेगी लोहा

ऑपरेशन सिंदूर के बाद से भारत सरकार सैन्‍य क्षमता को बेहतर बनाने के मकसद से प्राइवेट डिफेंस कंपनियों को बढ़ावा दे रही है. इससे डिफेंस सेक्‍टर में ऐसी कंपनियों के ग्रोथ की काफी संभावनाएं हैं. इनके पास कई बड़े ऑर्डर हैं, जिसके तहत ये आधुनिक हथियार बनाएंगी, जिसका लोहा दूसरे देश भी मानेंगे.

भारत की इन प्राइवेट डिफेंस कंपनियों का होगा जलवा Image Credit: money9

Private Defense Companies: एक दशक पहले भारत का डिफेंस सेक्‍टर सरकारी कंपनियों और इंपोर्टेड तकनीक पर निर्भर था, लेकिन अब प्राइवेट कंपनियां तेजी से इसकी कमान संभाल रही हैं. सरकार की ओर से स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देने और भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उठाए गए कदम के चलते ये प्राइवेट डिफेंस कंपनियाें की ग्रोथ हुई हैं. ऑपरेशन सिंदूर के बाद से इन कंपनियों को और बल मिला है. टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स (TAS), अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज (ADTL) और पारस डिफेंस समेत कई कंपनियां अब हाईटेक हथियार और टेक्‍नोलॉजी को विकसित कर रही हैं, जिससे भारतीय सैन्य क्षमताओं को बढ़ाया जा सके. आज हम आपको कुछ ऐसी ही चुनिंदा कंपनियों के बारे में बताएंगे जिनके पास तमाम बड़े ऑर्डर हैं और भविष्‍य में इनके डिफेंस सेक्‍टर का बादशाह बनने की उम्‍मीद है.

कौन-सी कंपनियां क्‍या प्रोडक्‍ट कर रहीं तैयार?

  • टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स (TASL) कई प्रमुख रक्षा और एयरोस्पेस परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिसमें लाइट आर्मर्ड मल्टी-रोल व्हीकल (LAMV), एडवांस्ड लोइटरिंग सिस्टम्स (ALS) और भारतीय वायु सेना के लिए C295 विमान शामिल हैं.
  • कंपनी भारतीय सेना के लिए थर्मल हथियार स्थलों और रिमोट हथियार स्टेशनों का विकास और इंटीग्रेशन भी कर रही है.
  • पारस डिफेंस हाइड्रोजन से चलने वाले ड्रोन विकसित करने के लिए हेवेन ड्रोन के साथ साझेदारी की है.
  • यह कंपनी ईएमपी सुरक्षा समाधान विकसित करने का भी काम जारी रखेगी.
  • भारत फोर्ज अगले कुछ महीनों में एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) का एग्‍जीक्‍यूशन करेगी.
  • L&T ने हाई-पावर रडार और क्लोज-इन वेपन सिस्टम तैयार करेगी.

टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL)

टाटा संस की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) टाटा समूह की रणनीतिक एयरोस्पेस और डिफेंस यूनिट है. TASL एक ऑपरेटिंग और होल्डिंग कंपनी दोनों है. सुकरन सिंह कंपनी के सीईओ और एमडी हैं. ये कंपनी रडार, मिसाइल और UAV सिस्टम जैसे व्‍यापक सॉल्‍यूशन मुहैया करती है. ये एयरबस स्पेन के साथ मिलकर वडोदरा में भारत के पहले निजी सैन्य विमान संयंत्र में C-295 सैन्य परिवहन विमान बना रहा है.

कैसा है वित्‍तीय प्रदर्शन?

क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक TASL ने वित्तीय वर्ष 2024 में शानदार रेवेन्‍यू दर्ज किया, इसमें 30% से अधिक की वृद्धि देखी गई. कोविड महामारी के बाद हवाई यात्रा के सामान्य होने और रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया उद्योग बढा़वा देने के कारण एयरोस्पेस सेगमेंट में मांग में सुधार हुआ, जिसका फायदा इस कंपनी को मिला. मार्च 2024 तक, कंपनी के पास एक मजबूत ऑर्डर बुक थी, जो पांच वर्षों से अधिक के रेवेन्‍यू ग्रोथ को दर्शाता है. इसके अलावा ऑपरेशनल मार्जिन वित्तीय वर्ष 2023 में 13% की तुलना में वित्तीय वर्ष 2024 में बढ़कर 16% हो गया.

पारस डिफेंस (Paras Defence & Space Technologies)

यह कंपनी रक्षा और स्‍पेस ऑप्टिक्‍स, ईएमपी सेफ्टी, हेवी इंजीनियरिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं के हिसाब से खास टेक्‍नोलॉजीज तैयार करने में माहिर है. पारस डिफेंस स्वदेशी डिजाइन, विकास और विनिर्माण के साथ ड्रोन्स बनाने में भी आगे है. शरद विरजी इस कंपनी के चेयरमैन और मुंजाल शरद शाह मैनेजिंग डायरेक्‍टर हैं. कंपनी की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 के लिए इसका वित्‍तीय प्रदर्शन बेहतर रहा. इसका ऑपरेशनल रेवेन्‍यू इस दौरान 253.5 करोड़ रुपये दर्ज किया, जो पिछले वर्ष के 222.4 करोड़ रुपये से अधिक है. EBITDA 51.05 करोड़ रुपये और PAT 30.04 करोड़ रुपये दर्ज की गई. जबकि ऑर्डर बुक लगभग दोगुनी हो गई है, जो वित्त वर्ष 23 में ₹ 393 करोड़ की तुलना में बढ़कर ₹630 करोड़ तक पहुंच गई है.

भारत फोर्ज (Bharat Forge)

भारत फोर्ज लिमिटेड जिसे BFL के नाम से भी जाना जाता है. यह एक भारतीय कंपनी है, जो ऑटोमोटिव, डिफेंस, एयरोस्पेस और अन्य क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण कंपोनेंट बनाती है. इसके तिमाही नतीजों के तहत कंपनी का रेवेन्‍यू 3,853 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की समान अवधि में 4,164 करोड़ रुपये की तुलना में 7.5% की गिरावट दर्शाता है. रेवेन्‍यू घटने के बावजूद, भारत फोर्ज की ब्याज, कर, और ड्रेपिसिएशन से पहले की कमाई 5.9% बढ़कर 681 करोड़ रुपये हो गई, जो साल-दर-साल 643 करोड़ रुपये थी. कंपनी का एबिटा मार्जिन भी पिछले साल के 15.4% से बढ़कर 17.7% हो गया. तिमाही नतीजे में शुद्ध लाभ में 19.5% की वृद्धि देखी गई, जो पिछले साल की इसी अवधि में 236 करोड़ रुपये की तुलना में 282 करोड़ रुपये हो गई.

नए ऑर्डर से ग्रोथ की उम्‍मीद

भारत फोर्ज आने वाले वर्षों में डिफेंस सेक्‍टर में तेजी से आगे बढ़ सकता है. दरअसल कंपनी अगले कुछ महीनों में एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) ऑर्डर के एक्‍जीक्‍यूशन में जुटेगी. भारत फोर्ज के पास वर्तमान में ₹9,500 करोड़ से अधिक का डिफेंस ऑर्डर बुक है, जिसे अगले तीन से चार वर्षों में एग्‍जीक्‍यूट किए जाने की उम्मीद है. ऐसे में कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक बाबा कल्याणी को उम्मीद है कि 2025-26 (FY26) में यह वर्टिकल 15-20% तक बढ़ेगा.

लार्सन एंड टुब्रो (L&T)

लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के Q4FY25 नतीजे के तहत ₹5,497 करोड़ का कंसॉलिडेटेड शुद्ध लाभ दर्ज किया. यह Q4FY24 में ₹4,396 करोड़ से साल-दर-साल (Y-o-Y) 25 प्रतिशत ज्‍यादा है. L&T का ऑपरेशनल रेवेन्‍यू चौथी तिमाही में ₹67,078.7 करोड़ से सालाना 10.9 प्रतिशत बढ़कर ₹74,392.3 करोड़ हो गया. FY25 में इसके ऑर्डर इनफ्लो और Q4 ऑर्डर में 24% की सालाना उछाल दर्ज की गई है. इसे ग्‍लोबल स्‍तर पर बड़े ऑर्डर मिले हैं. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक L&T ने हाई-पावर रडार और क्लोज-इन वेपन सिस्टम के लिए 13,369 करोड़ रुपये के कॉन्‍ट्रैक्‍ट हासिल किए हैं.

अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस (Adani Defence & Aerospace)

ये कंपनी प्रमुख तौर पर जहाजों और नावों का निर्माण और मरम्मत करती है. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक इसने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी DRDO के साथ साझेदारी की है, इसने एयरो इंडिया 2025 में अपना व्हीकल-माउंटेड काउंटर-ड्रोन सिस्टम लॉन्च किया. यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के तहत विकसित भारत का पहला ऐसा सिस्टम है. इसके अलावा अन्‍य रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने उत्तर प्रदेश में दो गोला-बारूद और मिसाइल निर्माण सुविधाएं शुरू की है, जो हर साल 15 करोड़ छोटे-कैलिबर गोला-बारूद का प्रोडक्‍शन करेगी, ये भारत की 25% जरूरतों को पूरा करेगी.

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क्‍यों मिला प्राइवेट डिफेंस कंपनियों को बूस्‍ट?

वित्त वर्ष 2024 में स्वदेशी रक्षा उत्पादन 1.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जिसमें निजी कंपनियों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है. इनोवेशंस फॉर डिफेंस एक्सीलेंस और SRIJAN (आयात प्रतिस्थापन के लिए) जैसे कार्यक्रमों ने स्टार्टअप्स और स्थापित निजी फर्मों के लिए अवसर खोले हैं. ये पहल न केवल स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा दे रही हैं, बल्कि भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी अहम कदम हैं.