भूल जाइए शेयर मार्केट, इस सट्टा बाजार में तय होता है कौन बनाएगा सरकार, जुनून ऐसा कि जूता भी नहीं छोड़ते

Phalodi Satta Bazaar: फलोदी सट्टा बाजार एक छोटा सा कस्बा है जो राजस्थान के जोधपुर के पास है. यहां पर चुनावी सट्टेबाजी का एक बड़ा बाजार है, जो करोड़ों का माना जाता है. यह बाजार पूरी तरह से अंडरग्राउंड चलता है और इसकी भविष्यवाणियां अक्सर सही साबित होती हैं. लेकिन यह पूरी तरह से अवैध है.

क्या है फलोदी सट्टा बाजार, कैसे काम करता है? (प्रतिकात्मक तस्वीर) Image Credit: Freepik

Phalodi Satta Bazaar: दिल्ली में चुनावी माहौल है लेकिन ओपिनियन पोल का माहौल ठंडा है, वजह साफ है क्योंकि पिछले कई समय से ओपिनियन और एग्जिट पोल बुरी तरह से फेल हो रहे हैं. इन पोल्स के आधार पर कई लोग सट्टेबाजी भी करते हैं. भले ही इस बार न्यूज चैनलों के चुनावी पोल्स गायब हो लेकिन चुनाव पर सट्टा लगना जारी है. राजस्थान के जोधपुर के पास एक छोटा सा कस्बा फलोदी चुनावी सट्टेबाजी को लेकर चर्चा में रहता है. यहां के सट्टे को “फलोदी सट्टा बाजार” कहा जाता है, जो चुनावी नतीजों की भविष्यवाणी करने के लिए मशहूर है. फिर लोकसभा का चुनाव हो, विधानसभा, निकाय या फिर अमेरिका का चुनाव. सभी का इसकी भविष्यवाणी का इंतजार करते हैं. लेकिन इसकी भविष्यवाणियां कितनी सही होती है? ये सट्टा बाजार कितने दशकों से चला आ रहा है? दिल्ली को लेकर इसके क्या अनुमान हैं और ये काम कैसे करता है? चलिए जानते हैं.

दिल्ली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 36 है. पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, फलोदी सट्टा बाजार ने दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी को 37 से 39 सीटें दी हैं और बीजेपी को 31 से 33 सीटें जीतने का अनुमान लगाया है.

कैसे काम करता है फलोदी सट्टा बाजार?

भारत में संगठित रूप से सट्टेबाजी गैरकानूनी है इसलिए फलोदी सट्टा बाजार पूरी तरह से अंडरग्राउंड चलता है. लेकिन अब हर कोई जानता है कि यहां जमकर सट्टा चलता है. ये सट्टा बाजार गांव के छोटे-छोटे टीन के खोखे से ऑपरेट होता है लेकिन इसकी पहुंच पूरे देश में है.

यहां चुनावी सट्टेबाजी कई तरीकों से होती है, जैसे, किसी खास उम्मीदवार को टिकट मिलेगा या नहीं, किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी, कौन सी पार्टी या उम्मीदवार जीतेगा, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री कौन बनेगा?

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां “खाना” और “लगाना” इन दो शब्दों का ज्यादा इस्तेमाल होता है. “खाना” उन दांवों को कहा जाता है, जिनमें जीतने की संभावना कम होती है, जबकि “लगाना” उन दांवों को कहा जाता है, जिनकी जीतने की संभावना ज्यादा होती है. स्थानीय लोग बिना पैसे जमा किए भी सट्टा लगा सकते हैं क्योंकि बुकी उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानते हैं. लेकिन बाहरी लोगों को पहले पैसे जमा करने पड़ते हैं. ये सब डिजिटली भी होने लगा है.

रिपोर्ट के मुताबिक, सट्टे का रेट बाजार की स्थिति के हिसाब से हर घंटे बदलता रहता है. अगर किसी पार्टी को ज्यादा सीटें मिलने का दांव लगाया जाता है और वह संख्या हद से ज्यादा होती है, तो उसका रेट ऊंचा होता है. अगर पार्टी की सीटों की संख्या अपेक्षित संख्या के करीब होती है, तो रेट कम होता है.

फलोदी सट्टा बाजार का कामकाज

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह बाजार हर दिन सुबह 11 बजे खुलता है, लेकिन सट्टे के रेट एक घंटे पहले तय कर दिए जाते हैं. बाजार शाम 5 बजे तक चलता है, और लोग फोन या व्यक्तिगत रूप से दांव लगाते हैं. जो लोग जीतते हैं, उन्हें पेमेंट फोन वॉलेट्स के जरिए किया जाता है.

ये कारोबार कितना बड़ा?

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, फलोदी के बुकी वोटर्स के मूड और चुनावी रुझानों का विश्लेषण करते हैं, एक बुकी ने बताया कि उनके पास बिहार, यूपी, कोलकाता और कई अन्य जगहों से लोग होते हैं जो उन्हें जातिगत समीकरणों और स्थानीय स्थितियों की जानकारी देते हैं. वह रोज सुबह 10 बजे रेट तय करते हैं और 5 बजे तक करोड़ों का कारोबार होता है.

रिपोर्ट में एक बुकी ने यहां तक दावा किया कि राजनीति में सक्रिय लोग, जैसे विधायक, सांसद, और यहां तक कि मुख्यमंत्री भी इस बाजार से संपर्क करते हैं.

फलोदी सट्टा बाजार की भविष्यवाणी कितनी सही?

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल में हुए कुछ चुनावों में फलोदी सट्टा बाजार की भविष्यवाणियां काफी हद तक सही साबित हुईं हैं, जैसे

  • 2023 विधानसभा चुनाव: राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जीत और तेलंगाना में कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी फलोदी बाजार ने सही की थी.
  • गुजरात और हिमाचल प्रदेश (2022): गुजरात में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत और हिमाचल में कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी बाजार ने पहले ही कर दी थी.
  • छत्तीसगढ़ (2023): अधिकतर एग्जिट पोल्स कांग्रेस की जीत दिखा रहे थे, लेकिन इस सट्टा बाजार ने बीजेपी को बढ़त दी जो सही साबित हुई.

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भी दिया था अनुमान

फलोदी सट्टा बाजार के अनुसार, बीजेपी को 330-333 सीटें और कांग्रेस को 41-43 सीटें मिलने का अनुमान था. लेकिन यहां फलोदी सट्टा बाजार सारे एग्जिट पोल की तरह फेल हो गया था.

फलोदी सट्टा बाजार का इतिहास

TOI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की आजादी के बाद फलोदी में सट्टा लगाने की शुरुआत हुई थी. पहले यहां कपास के दामों पर सट्टा लगता था, लेकिन अब यह मुख्य रूप से चुनावों पर फोकस करता है.

कई मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि फलोदी में सट्टा लगाने की परंपरा सदियों पुरानी है. यहां पर लोग जूता उछालकर इस पर भी सट्टा लगा देते हैं कि वह किस दिशा में गिरेगा या सड़क पर लड़ते हुए बैलों में कौन जीतेगा.

बहुत पहले यहां बारिश पर सट्टा लगता था. चूंकि फलोदी थार रेगिस्तान में स्थित है, यहां बारिश बहुत कम होती है. लोग इस पर सट्टा लगाते थे कि किस दिन, हफ्ते या महीने में बारिश होगी. जब क्रिकेट कमेंट्री रेडियो पर आने लगी, तब क्रिकेट सट्टा लोकप्रिय हुआ और अब आईपीएल के चलते यह और बड़ा हो गया है.

चुनावों में दिलचस्पी बढ़ने के बाद फिर चुनावी सट्टा शुरू हो गया. जब मीडिया ने लगभग 10 साल पहले फलोदी सट्टा बाजार पर रिपोर्टिंग शुरू की, तो इसे हर कोई पहचानने लग गया.

डिस्क्लेमर: मनी9लाइव किसी भी सट्टे में पैसा लगाने की सलाह या इसे बढ़ावा नहीं देता है. भारत में सट्टेबाजी अवैध है, जब तक कि राज्य इसे अनुमति न दें. यह खबर केवल इसलिए की गई है ताकि फलोदी सट्टा बाजार के बारे में जानकारी मिल सके.