बुलंदशहर का ये शख्स बन गया गुरुग्राम का सबसे बड़ा जमींदार, राजीव गांधी की खराब कार ने खोल दी किस्मत
1980 के दशक में गुडगांव हिंदुस्तान के लाखों गांव जैसी एक जगह थी, जिसकी खुद की कोई खास पहचान नहीं थी. आज यह आईटी सेक्टर में दुनिया के मैप पर सबसे चमकते स्पॉट्स में से एक है. लाखों गांवों से अलग दुनिया के नक्शे पर जगह बनाने की कहानी में राजीव गांधी की कार खराब होने और बुलंदशहर के एक शख्स का गहरा रिश्ता है. आइए जानते हैं क्या है पूरी कहानी?

जून, 1980 की एक गर्म दोपहर में, एक शख्स कुतुबमीनार से थोड़ी दूर हरियाणा में एक सुनसान इलाके में कुछ ग्रामीणों के साथ बातचीत कर रहा था. तभी वहां, एक जीप वहां आकर रुकी. गाड़ी चला रहे व्यक्ति ने गाड़ी बाहर निकलकर पानी मांगा. क्योंकि, इंजन गरम हो गया था. ये शख्स कोई और नहीं राजीव गांधी थे, जो उस समय की पीएम और अपनी मां इंदिरा गांधी के महरौली फार्म हाउस की ओर जा रहे थे. वहीं, जो शख्स ग्रामीणों से बात कर रहा था, वह डीएलफ के केपी सिंह थे, जो 40 एकड़ बंजर भूमि पर नजर गड़ाए हुए थे, ताकि गुड़गांव में एक शहर में बनाया जा सके. यह वाकया खुद केपी सिंह अपनी बायोग्राफी “Whatever the odds: The Incredible Story Behind DLF” में बताया है. इसके साथ ही सिंह बताते हैं, उस वक्त में वे बेहद खराब दौर से गुजर रहे थे और इस मुलाकात से उनकी किस्मत बदल गई.
कौन हैं केपी सिंह
15 अगस्त, 1931 को बुलंदशहर में जन्मे केपी सिंह को आज दुनियाभर में मशहूर रियल एस्टेट कारोबारी के तौर पर जानती है, जिसने भारत की साइबर सिटी गुरुग्राम को बसाया है. दुनिया के शीर्ष अमीरों की फेरहिस्त में शामिल सिंह की नेटवर्थ आज करीब 15 अरब डॉलर है. गांधी परिवार से कनेक्शन, एक मशहूर वकील के बेटे और DLF के फाउंडर राघवेंद्र सिंह के दामाद होने के बाद भी केपी सिंह का साफर आसान नहीं रहा है.
सिर्फ 26 लाख में बेचने वाले थे DLF
केपी सिंह ने डीएलएफ को लेकर ऐसा भी दौर देखा, जब वे अपने ही सपनों के बोझ तले दबे जा रहे थे. हालात इतने बिगड़ चुके थे कि उन्होंने डीएलएफ को लगभग 26 लाख रुपये में बेचने का फैसला कर लिया था, लेकिन आखिर वक्त पर रुक गए. आज तमाम उतार-चढ़ाव के बाद गुरुग्राम को बसाने वाले और यहां के सबसे बड़े जमींदार होने के साथ देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी के मालिक हैं.
राजीव गांधी की दोस्ती ऐसे आई काम
1976 में भारत सरकार ने कम आय वाले आवास विकसित करने और खाली शहरी भूमि के स्वामित्व के लिए सीमाएं तय करने के लिए अरबन लैंड एंड सीलिंग रेगुलेशन एक्ट पेश किया गया. इस कानून की वजह से गुरुग्राम बसाने का केपी सिंह का सपना चूर-चूर हो रहा था. लेकिन, 1980 में राजीव गांधी की कार खराब होने के वजह से हुई मुलाकात ने उन्हें गांधी परिवार के करीब पहुंचा दिया. बाद में जब उन्होंने अपना सपना राजीव गांधी से साझा किया, तो राजीव गांधी ने उनकी मदद के लिए अपनी मां इंदिरा गांधी से नियमों में बदलाव पर जोर दिया. आखिर में केपी सिंह को इसका फायदा मिला और गुरुग्राम बसा. 1990 में जब उदारीकरण के दौर में विदेशी कंपनियां भारत आईं, तो American Express, British Airways और IBM ने DLF की इमारतों में दफ्तर बनाने का फैसला किया.
पनामा पेपर्स में आया नाम
अप्रैल 2016 में केपी सिंह का नाम पनामा पेपर्स में जारी किए गए हाई-प्रोफाइल नामों की सूची में शामिल था. सिंह के बेटे राजीव, पत्नी इंदिरा, बेटी पिया और उनके पति टिम्मी सरना सभी ने मोसैक फोंसेका के जरिये ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में ऑफशोर कंपनियां बनाई हैं. इसकी वजह से भी इन सभी का नाम पनामा पेपर्स में शामिल है.
91 की उम्र में की दूसरी शादी
फरवरी 2023 में केपी सिंह ने 91 वर्ष की उम्र में खुद से कई दशक छोटी शीना सिंह से शादी की है. केपी सिंह ने एक साक्षात्कार में कहा कि उन्होंने यह शादी जीवन में आए खालीपन को कम करने के लिए की है. वे खुद से उम्र में दशकों छोटी अपनी पत्नी के साथ बेहद खुश हैं, क्योंकि वह उन्हें हमेशा खुश रखती है.
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